- प्रचार-प्रसार क्यों करवाया जा रहा है
उत्तर प्रदेश। इतने जप तप पूजा पाठ यज्ञ होने पर भी देवता खुश क्यों नहीं हो रहे, इसका वास्तविक कारण बताने वाले, बाहरी जड़ पूजा से आत्मा को फायदा नहीं मिलता तो फिर जीवात्मा को मुक्ति मोक्ष कैसे मिलेगा, वो अनमोल रास्ता बताने वाले, वो रूहानी दौलत देने वाले, विश्वविख्यात निजधामवासी सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अति दया कर भक्तों की अर्जी मंजूर की है। महाराज जी का सतसंग व नामदान समय परिस्थिति अनुकूल होने पर निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार होगा।
महाराज जी सतसंग में लोक और परलोक दोनों बनाने का तरीका बताएंगे। घर-परिवार में किसी भी तरह की मुसीबत बीमारियों में आराम मिलने का तरीका जयगुरुदेव नामध्वनी के साथ-साथ आत्मा के कल्याण, जीते जी मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने, देवी-देवताओं के दर्शन, आकाशवाणी ब्रह्म वाणी सुनने का,बंधनों से मुक्ति का सीधा सरल रास्ता नामदान सभी जाति, धर्म के मानने वालों को बाबा उमाकान्त जी महाराज निःशुल्क बताएंगे। ज्ञातव्य है कि इनके दर्शन करने, सतसंग सुनने, नामदान लेने व अपनी बात कह देने से ही दुःख तकलीफ, परेशानियों में आराम मिलने लगता है। सतसंग के बाद भोजन भंडारा का भी प्रबंध है। ये कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क है। सभी को सादर आमंत्रण। महाराज जी के नए-पुराने सतसंग व लाइव प्रसारण अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर होता है।
आगामी सतसंग व नामदान कार्यक्रम
3 नवंबर 2022 को प्रातः11 बजे से दयानन्द इंटर कॉलेज अमृतपुर, फर्रुखाबाद-बदायूं रोड, फर्रुखाबाद। 4 नवंबर 2022 को प्रातः 11 बजे से श्री हरप्रसाद सिंह पटेल ग्राउन्ड, दातागंज रोड सिविल लाइन, बदायूं। 5 नवंबर 2022 को प्रातः 11 बजे से गुरु कृपा फार्म हाउस, गल्ला मंडी के पास, एटा रोड, ग्राम- गढ़िया, सिकंदराराऊ, हाथरस। अधिक जानकारी अधिकृत वेबसाइट जयगुरुदेवयूकेएम डॉट कॉम पर।
प्रचार-प्रसार क्यों करवाया जा रहा है
महाराज जी ने 1 नवम्बर 2022 को कन्नौज में दिया सन्देश में बताया कि लोगों में प्रचार करो, हाथ जोड़कर के लोगों को मनाओ नहीं तो आने वाला खराब समय इनको सतयुग का आनंद नहीं दिला पाएगा, सतयुग लाने, सतयुग में रहने का मौका नहीं मिल पाएगा। अब इसलिए प्रचार कराया जा रहा है कि सतयुग समय पर आ जाएगा, दिखने लगेगा। अभी इस समय कहां है, किसी को नहीं पता। लेकिन यह लोग बोल कर के गए, लिंग पुराण के 40 वें अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथ ओरिया किताब में कि कलयुग में सतयुग आएगा।
कलयुग गया था सतयुग में राज्य करने के लिए- इसका इतिहास मिलता है। सतयुग को ले भी आया जाए, सतयुग देखने के लायक कोई रह ही न जाए, कलयुग सबको लेकर रगड़ता मारता चला जाए तो सतयुग देखेगा कौन? लाने का आनंद क्या होगा? इसलिए सतयुग के लायक लोगों को बनाओ। आप लोग प्रचार-प्रसार तेजी से करो।
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