आज व्यवस्था कहीं-कहीं पर फेल क्यों हो रही है, कैसे सुधरेगी



आजादी के बाद देश की हालत कैसे और क्यों बिगड़ती चली गई

सब अकाल मृत्यु मर कर प्रेत बन जाए तो कैसे काम चलेगा तो महात्मा बचाने में लगे हैं

उज्जैन (म.प्र.)। लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने मुक्ति दिवस कार्यक्रम में 24 मार्च 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि अंग्रेजों ने (भारतीयों की) शक्ति को क्षीण किया और इनके अंदर की प्रशासनिक शक्ति से काम लिया। जमींदारों को मिलाया कि यही इनको समझा पाएंगे और काम करा पाएंगे। लेकिन सजा देना अपने हाथ में रखा। बहुत अत्याचार किया। भारत देश को चलाना अंग्रेजों को आता ही नहीं था। तो वीर (चंद्रशेखर आदि) आगे बढ़े, लोगों में जज्बात पैदा हुआ और परिवर्तन (देश आजाद) हो गया।

भारत को असली आजादी 1948 में कैसे मिली

(वायसराय आदि) अंग्रेज 1947 के एक साल बाद तक यहीं डटे रहे और जो लोग हुकूमत में आए उनको पूरी तरह से अंग्रेजी (संस्कृति) में ढाल दिया। और उसी पैटर्न पर ये लोग चलने लग गए। गोरे अंग्रेजों की जगह काले अंग्रेज आ गये जो उन से भी ज्यादा ऐश-आराम की जिंदगी बिताने लगे। अंग्रेजों, मुगलों से ज्यादा इन लोगों ने लूटा। (बाहर के देशों में) ले जा करके जमा कर लिया। हुकूमत करने वाले और जनता- दोनों के सहयोग से देश चलता है। 1948 में जब बचे हुए अंग्रेज गए तब देश पूर्ण रूप से आजाद हुआ।

आजादी के बाद का भारत

अब वो भी देश को नहीं चला पाए, नहीं समझ पाए कि कैसे प्रजा को संभालेंगे, कैसे इनसे काम लेंगे, किस तरह की साधन-सुविधा देने पर ये हमसे प्रसन्न रहेंगे। तो देश की हालत बिगड़ती चली गई। पचासों सालों तक यह चला। एक ही परिवार के लोग हुकूमत में लगे रहे। जब अंग्रेज देश को सही से नहीं चला पाए तो उनके पैटर्न पर चलने वाले कैसे चला पाते? बीच में जो (थोड़े बहुत अच्छे लोग) आए उनको भी नहीं रहने दिया। इतिहास देखो, हटा दिया रास्ते से, उन्हीं के साथ लगा हुआ था, उसने कहा सेब में इंजेक्शन देकर के मार दिया हमारे साहब को, बाहर विदेश में। फिर जनता ने कहा अब धांधली नहीं चलेगी और सब को हटा दिया। प्रजातंत्र में व्यवस्था थोड़ी सुधर रही है।

व्यवस्था कहीं-कहीं पर फेल क्यों हो रही है, कैसे सुधरेगी

इनको इस इतनी ज्यादा बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने में बहुत समय लग जाएगा। इनकी दिल दिमाग बुद्धि कहीं-कहीं पर फेल हो रही है। कारण? पहले राजा लोग राजगुरु महात्माओं से सलाह लेते थे फिर उसमें जब हाथ डालते थे तो कामयाब हो जाए करते थे। तो जब तक आध्यात्मवाद इनके अंदर नहीं आएगा तब तक व्यवस्था का पूर्ण रूप से सही होना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। आये अवगुणों कमियों को निकाल देने पर दिल दिमाग बुद्धि सही रह जाएगी। भारत से निकली आध्यात्मिक बेल बढ़ने की वजह से ही यह विश्व टिका हुआ है।

सब अकाल मृत्यु मरें, प्रेतों की भरमार हो जाए तब कैसे काम चलेगा

विश्व का इंसान अभी बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। कभी भी अगर धोखा हो जाए, पूरा विश्व धवस्त हो जाए। सब लोग खत्म हो जाएंगे तो मृत्यु लोक रह कैसे जाएगा? तो दुनिया बनाने वाला भी बचत में लगा हुआ है। महात्मा तो बचत में लगे ही हुए हैं क्योंकि अकाल मृत्यु होने पर उद्धार नहीं हो सकता। तब तो प्रेत योनी में जाना पड़ता है। सब भूत ही भूत हो जाए तो कैसे काम चलेगा? यदि जानवरों के कटने पर रोक नहीं लगेगी, आत्महत्या, हत्या आदि बंद नहीं होगी तो भी भूत बहुत हो जाएंगे। एक-एक आदमी पर जब दस-दस भूत लगेंगे तो सोचो चैन की रोटी कैसे खा पाएगा? आदमी का दिल दिमाग सही न रहे, आधा पागल रहे तो क्या खा, पचा पाएगा? इसलिए चेतो।

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