गुरु का दर्जा सबसे ऊंचा हुआ करता है : बाबा उमाकान्त जी



बाबा उमाकान्त जी ने समझाया वक्त के सतगुरु के दर्शन का महत्व 

दर्शन देते समय सतगुरु मुख मोड़ ले तो समझ लो कि हमसे कोई गलती बन गई है

सूरत (गुजरात)। जीते जी भगवान से मिलने का रास्ता बताने वाले, बड़ी चीज दिलाने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 6 जनवरी 2023 दोपहर सूरत (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि वक्त के नाम से जब उस प्रभु को पुकारेंगे तो मदद कर देता है। गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा। गुरु ही परमात्मा रूप में होते हैं क्योंकि गुरु ही परमात्मा का बोध, ज्ञान, दर्शन मनुष्य शरीर में कराते हैं। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताए। यानी भगवान परमात्मा से पहले गुरु का पैर पकड़ा जाए जिन्होंने भगवान की पहचान कराई। गुरु की दया से ही भगवान तक पहुंचे हैं तो गुरु का दर्जा सबसे ऊंचा हुआ करता है। 

वक्त के सतगुरु के दर्शन का महत्व

बाबा उमाकान्त जी ने 8 जुलाई 2017 प्रातः जयपुर में बताया कि बरकत खास चीज होती है। बरकत थोड़ी सी ही हो, थोड़े ही दिन में हो, समझ लो बड़ा आदमी हो गया। बड़ा आदमी जब हो गया तो वही जंजाल बढ़ा। अब उसको नींद नहीं आने लगी कि कैसे इस (धन) को सेट करें, क्या करें, कैसे इसको बढ़ावें। तब एक दिन नींद नहीं आ रही थी, सोचने लगा गुरु महाराज सतसंग में सुनाए थे कि हो सके तो रोज गुरु का दर्शन करो। और नहीं तो दूसरे दिन, तीसरे दिन करो। वो भी न हो सके तो हफ्ते में एक बार करो। न हो पाए तो 15 दिन में एक बार करो, एक महीने मे भी न हो पावे तो तीन महीने में करो, नहीं तो 6 महीने में करो और 6 महीने में भी न हो पाए तो साल में एक बार जरूर कर लो। कबीर साहब ने भी कहा, बरस बिना में दर्शन न कीना, ताको लागे दोष, कहत कबीर वाको कभी न होय मोक्ष। तो यह बात बिल्कुल सत्य है कि मिलने-जुलने से कर्म कटते हैं, जानकारी होती है। 

दर्शन देते समय सतगुरु मुख मोड़ ले तो समझ लो कि हमसे कोई गलती बन गई है 

बाबा उमाकान्त जी ने 8 जुलाई 2017 प्रातः जयपुर राजस्थान में एक प्रसंग के दौरान बताया कि गुरुजी शाम को जब निकले तब राजा ने पुन: प्रणाम किया। फिर (गुरूजी) उधर मुंह कर लिए। तब बोला महाराज दया करो। कोई ध्यान नहीं दिए। कभी ऐसा भी होता है किसी से नाराज हो जाओ तो फिर उसको ग्लानी होती है, मेरे से कोई गलती बन गई है इसलिए नहीं बोल रहे हैं। और अगर ऐसे ही बोल दो तो उस गलती पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है। ज्यादा टाइट हो जाओ तो एक दिन बोलना ही बंद कर दो फिर वह अपनी गलतियों को देखने लग जाता है तो फिर गुरूजी नहीं बोले। दूसरे दिन रात को फिर सोचता रहा कि मुझसे क्या गलती बन गई, क्या गलती बन गई। सुबह फिर ध्यान नहीं दिया। जब शाम का सतसंग सुना तब समझा कि मैं छोटी चीज में फंस गया। गुरु महाराज बताया करते थे, बड़ी चीज चाहो। दुनिया बनाने वाले को ही तुम प्राप्त कर लो। पारस पत्थर जिसके हाथ में है वह तुम ले लो तो तुम्हारा लोहा, सोना हो जाएगा। 

सन्त के दर्शन के प्रभाव से कौवा इंसान बन जाता है

बाबा उमाकान्त जी ने 1 सितंबर 2021 सायं जोधपुर आश्रम में एक प्रसंग में सुनाते हुए बताया कि सन्त के दर्शन का क्या लाभ मिलता है? गुरूजी ने राजा से कहा जाओ बगीचा में बने मंदिर में तुमको लोग मिलेंगे। राजा गया, देखा कोई नहीं, केवल दो कौवे बगीचे मे बैठे हुए हैं। देखकर चला आया, बोला मुझे तो कुछ दिखाई नहीं पड़ा। पूछा अरे! कोई नहीं दिखाई पड़ा? मंदिर के ऊपर दो कौवा बैठे थे और तो कोई नहीं था। बोले फिर जाओ। अबकी बार उसी स्थान पर कौओं की जगह दो हंस बैठे हुए दिखाई पड़े। फिर वापिस आया, बताया। बोले तो फिर जाओ। राजा बोला बेकार में दौड़ा रहे, समय बर्बाद हो रहा है। चलो एक बार और जाते हैं। तीन बार का विधान बताया गया। तीन बार कोई किसी को कह देता था, वचन दे देता था, पूरी जिंदगी पालन करता था। तीन बार हाथ में पानी चावल लेकर किसी दूसरे को दे देते थे कि यह कन्या, महल, जमीन आपकी हो गई तो निभाते थे। तीसरी बार जब गए तो दो हंस आदमी बन गए थे। आए राजा के चरणों में गिरे, कहा आपने हमारे ऊपर बड़ी मेहरबानी दया किया। आप सन्त का दर्शन करके आये और आपका दर्शन हमने किया तो कौवा से हंस हुए। दोबारा जब दर्शन करके आए, आपका दर्शन हमने किया तो हम हंस से आदमी बन गये। तो आप तो स्वयं सन्त का दर्शन करके आए हैं तो आपके ऊपर कितनी दया हुई होगी। तो अब आप बताइए वो महात्मा जी कहां मिलेंगे जिनका दर्शन आप करके आए हो, वह तो हमको इंसान से भगवान बना सकते हैं।

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