असली चीज पकड़ो, नकली में मत फंसो
उज्जैन प्रभु कि सजह प्राप्ति का उपाय बताने वाले, प्रभु को जल्दी से पिघला कर अपना बनाने की युक्ति बताने वाले, जीते जी भगवान से मिलाने वाले, असली चीज देने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 19 मार्च 2019 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि प्रार्थना करना बहुत जरूरी होता है। प्रार्थना से ही वह मालिक रीझता है। प्रार्थना करना बहुत से लोगों ने बंद कर दिया है। प्रार्थना नहीं करोगे तो क्या सुनवाई करेगा? ध्यान और भजन जब नहीं बने तो प्रार्थना ही करनी चाहिए। ऐसी विरह की प्रार्थना बोलनी चाहिए कि आंख से आंसू निकल आवे तब आंसू वह बर्दाश्त नहीं करेगा फिर तो दया करेगा ही करेगा। बच्चा रोता है, रोता रहता है गी गी गी करने लगता है, करता रहता है तब मां धीरे से देखती रहती है, दूध नहीं पिलाती है और जब रोया, आंसू गिरा तब तुरंत उठा लेती है, प्यार से आंसू पोछती है और दूध पिला देती है।
तीन चार प्रार्थना तो सबको याद होना ही चाहिए
महाराज जी ने 19 मार्च 2019 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि देखो प्रेमियों सब लोग प्रार्थना याद कर लो। सब प्रेमियों को प्रार्थना याद होनी चाहिए। कम से कम तीन-चार प्रार्थना तो याद होनी ही चाहिए। और प्रार्थना बोलते रहो, गुनगुनाते रहो, जयगुरुदेव नाम की ध्वनि तो बोलते ही रहना है।
मरने के बाद भगवान नहीं मिलता है
महाराज जी ने 19 जनवरी 2023 सांय मदुरई (तमिलनाडु) में बताया कि प्रेमियों यह हमारी गुरु महाराज की तस्वीर है। यह चैलेंज के साथ कहते थे कि भगवान अगर मिलेगा तो जीते जी मनुष्य शरीर में मिलेगा। मरने के बाद न तो भगवान किसी को मिला है और न मिलेगा। यह बिलकुल सत्य है। अब मरने के बाद भगवान यदि मिला भी तो बताएगा कैसे? जिंदा ही तो बताएगा कि भगवान का ऐसा रूप रंग है। देखो यह देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। मूर्तियों का वर्णन किसने किया? जिसने उनको देखा कि वो इस तरह के है, इस तरह का लोक है, इस तरह की वहां के पक्षी, सरोवर, सीढ़ियां आदि है। यह सब जब सन्तों ने वर्णन किया तब लोगों ने लिख दिया। तो इसी मनुष्य शरीर में प्रभु मिलता और दिखाई पड़ता है।
असली चीज पकड़ो, नकली में मत फसो
महाराज जी ने 12 अगस्त 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि सतसंगियों के संस्कार जब अच्छे बने और उनको गुरु मिल गए, नाम दान मिल गया तो भी उसको नहीं छोड़ पा रहे हैं। मन बराबर उधर लगा हुआ है। आज कितने ही सतसंगियों के यहां मूर्तियां बना करके पूजा हो रही है। कभी समझाए? लड़का नाराज हो जाएगा, धनिया की पंजीरी नहीं बनी, फलहार नहीं बना, झांकी नहीं सजाई गई, झूला डाल कर के कृष्ण को झुलाया नहीं गया तो असली चीज जानते हुए भी आप घर वालों को कभी समझाए बताए? तो मन कहां लगा हुआ है? उधर ही जाता है जिधर और लोगों का मन लगा गया है, जो कर्ज अदा करने के लिए परिवार वाले जुड़े हुए हैं। सोचते हैं यह नाराज हो जाएंगे, रोटी पानी नहीं देंगे, उस मालिक को भी भूल जाते हैं जो पैदा होने से पहले उस मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वह करता है, देता खिलाता वह है, तो उसको जब भूलते हो और कहते हो ध्यान भजन नहीं बन रहा, कुछ दिखाइ सुनाई नहीं पड़ रहा है। तो आप खुद निर्णय ले लो, एक म्यान में दो तलवार क्या रह सकती है? कभी भी नहीं।
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