सबके सिरजनहार सतपुरुष समय-समय पर धरती पर सतगुरु के रूप में आते रहते हैं : बाबा उमाकान्त जी

सतगुरु से शिष्य का संबंध बाप-बेटे जैसा होने का परमार्थी लाभ

उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीवों को अपने निज घर सतलोक जयगुरुदेव धाम चलने का रास्ता नामदान देने वाले, अपने अपनाए हुए जीवों को ताकत शक्ति देने वाले, अपनी कमाई से लुटाने वाले, जिनमें बाबा जयगुरुदेव जी महाराज स्वयं समाये हुए हैं और अब जिनके माध्यम से ही अब सबकी संभाल कर रहे हैं, ऐसे वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सतपुरुष, वह हमारे-आपके पिता, सबके सिरजनहार, समय-समय पर इस धरती पर सतगुरु के रूप में आते रहे हैं और जीवों को जगाते रहे हैं। हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी में पूरी ताकत उस सतपुरुष की भरी हुई थी। पूरी ताकत लेकर यह इस धरती पर उतारे गए थे। पैदा हुए थे तब तो मां के पेट से यह भी बाहर निकले थे लेकिन फिर इन्होंने अपनी आत्मा को जगाया। कैसे नाम से जोड़ा? कैसे सोई हुई आत्मा को जगाया जाता है? आप बहुत से लोगों को तरीका मालूम भी है। गुरु महाराज ने भी बताया आत्मा को जगाने का तरीका। उनके जाने के बाद  भी वो तरीका बताया गया और जो नये लोग सतसंग में आये हो, उनको भी बता दिया जाएगा।

सतगुरु से शिष्य का संबंध बाप-बेटे जैसा होने का परमार्थी लाभ

बाबा उमाकान्त जी ने 17 जनवरी 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु कोई हाड-मांस के शरीर का नाम नहीं होता। गुरु एक पावर, शक्ति होते हैं। वह शक्ति किससे झलकती निकलती है? आंखों से, मुंह से, रोम-रोम से वह शक्ति निकलती है। जो उस शक्ति को लेना चाहता है, कहीं न कहीं उस शक्ति को सामने पड़ने पर ले लेता है, मिल जाता है। और जब एक तरह से बाप-बेटे का संबंध हो जाता है तो बेटा न भी ले पावे, दूध न भी समझो पीने के लिए पंहुच पावे तब बाप बुलाकर के दूध पिलाता है, कहता है कि रोटी खा ले नहीं तो कमजोरी आ जाएगी, नहीं तो खेलता ही रहेगा तो कमजोर हो जाएगा, ले पी ले, फिर जा खेलना, फिर पढ़ना, यह काम करना। खुद भी ताकत शक्ति को दे दिया करते हैं। तो सामने होना चाहिए, सामने से नामदान लेना चाहिए, सामने बैठ कर के सुनना चाहिए, सामने एक बार जरुर पड़ना चाहिए

एक बार तो सन्त लुटाते ही हैं अपनी कमाई से

बाबा उमाकान्त जी ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि नाम के लिए उन्होंने (बाबा जयगुरुदेव जी ने मुझे) आदेश दे दिया कि सबको दो, खूब बांटो। जैसा उनके गुरु महाराज ने उनको कहा था कि तुम यह दौलत बांटना देना शुरू कर दो। यह जो तुम्हारी पूंजी है, इस पूंजी को तुम खर्च करो, लुटाओ। एक बार तो सन्त लुटाते ही हैं अपनी कमाई में से। एक बार तो देते ही देते हैं। किसी न किसी रूप में फायदा जीव को होना चाहिए तभी तो जीव जुड़ता है। वह तो अपनी कमाई में से देते ही हैं। लेकिन कब तक देंगे? कुछ अपने को भी अर्जित करना पड़ता है। तो कहा कि दो और इनको बताओ, यह भी नाम की कमाई करें और अंतर की दौलत को यह भी प्राप्त करें, खुद मेहनत करें।

सन्त द्वारा अपने जानशीन में समाने का मतलब क्या होता है

बाबा उमाकान्त जी ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ में बताया कि सन्त अपने जानशीन में समा जाते हैं। समाने का मतलब यह नहीं होता है कि बिल्कुल उसमें आकर के और दुनिया का यह शरीर से भोग भोगने लग जाए। फिर यहाँ से निकलने के बाद फिर यही अन्न खाने लग जाएं, टट्टी पैशाब इसी तरह का करने लग जाए, फिर धक्का-मुक्की खाने लग जाएं। यह मतलब नहीं होता है। विहंगम दृष्टि वहीं से डाले रहते हैं, बराबर पावर दिए हुए रहते हैं। इसलिए कहा गया- गुरु माथे पर राखिए, चलिये आज्ञा माहि, कह कबीर ता दास को तीन लोक भय नाहीं। फिर कहीं कोई चिंता नहीं रहती है।

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