वर्तमान के सन्त उमाकान्त जी महाराज बारूद के ढेर पर खड़े संसार को बचाने, बिगडती व्यवस्था सही कराने के लिए कर रहे अथक परिश्रम

प्रथम सन्त कबीर साहब ने हिंदू-मुस्लिम दोनों को भजन इबादत का रास्ता बताकर व्यवस्था को करवाया सही

गोंडा (उ.प्र)। सर्व समर्थ, सर्व व्यापी, पूरे सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा 27 नवम्बर 2023 प्रात: गोंडा (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म को चलाने वाले नानक साहब का जन्म हुआ था। जीवों के दुखों को दूर करने के लिए सन्त आते हैं। कलयुग के प्रथम सन्त कबीर साहब और दुसरे सन्त उनके शिष्य गुरु नानक साहब। इन्होने वोही साधना किया जो सुबह और कल भी आप लोगों को करवाया गया था, नाम की कमाई। जब उन्होंने अंदर में गुरु को देखा तो मुंह से निकला वाह रे मेरे गुरु, वाहे गुरु। आज भी ये सिख धर्म का प्रचलित नाम है। जो भी महात्मा महापुरुष इस धरती पर आते हैं, वो किसी एक आदमी, एक जाति के लिए नहीं, सबके लिए आते हैं और सबका कष्ट दूर करते हैं, सबको बताते समझते हैं। 

कबीर साहब के जन्म जैसी स्थिति आज पूरे विश्व की हो रही

आज विश्व का क्या हाल है? इस्लाम धर्म वाले कह रहे हैं कि मेरा धर्म ऊंचा है, मैं पूरे दुनिया में इस्लाम धर्म लाकर ही चैन लूंगा। यहूदी, ईसाई, हिन्दू आदि भी अपने धर्म के लिए यही कह रहे। सिख कह रहे हैं कि हम पूरे विश्व को खालिस्तान बनाएंगे। उनको यह नहीं मालूम है कि कहा तो था- राज करेगा खालसा, आकी रहे न कोय। खुआर होय सब मिलैंगे, बचे शरण जो होय। इसका अर्थ क्या है? इसका अर्थ वही बता सकता है, जिसने इस बात को कहा है या जो उतनी ही योग्यता वाला जानकार हो।

इतिहासकार वहां तक अभी पहुंच भी नहीं पाए जब सृष्टि की रचना हुई थी

लेकिन उधर कोई नहीं जा रहा है। इतिहास का पता नहीं लगा रहे हैं। इतिहासकार तो वहां तक अभी पहुंच भी नहीं पाए, जब सृष्टि की रचना हुई थी। वह मानव जो यहां पैदा हुए थे शुरू में, वह कौन सी जाति के थे? कौनसे धर्म को मानते थे? वह धर्म जिसको सनातन धर्म कहा गया तभी से जो धर्म चल रहा, उस धर्म को अगर लोग अपना लें तो सारा का सारा तिफरका खत्म हो जाएगा।

कबीर साहब ने आपस में लड़ते हिंदू और मुसलमान दोनों को फटकारा

कबीर साहब ने कहा- इन दोउ राह न पाई। हिंदु आपन करे हिंदूवाई। गागर छुअन न देय, वैश्या के पैरन लोटे, यह देखो हिंदूवाई। कहते हैं गगरी बर्तन नहीं छूने देते हो और वैश्या के पैरों में लोटते रहते हो, यह हिंदूआई है? आप कहते हमारा धर्म ऊंचा लेकिन किसी भी धर्म में यह नहीं लिखा है की हिंसा हत्या करो, इस मानव मंदिर को गंदा करो, इस जिस्मानी मस्जिद में मुर्दा मांस डाल कर इसे कब्रिस्तान बनाओ। लेकिन अज्ञानता में, जुबान के स्वाद के लिए आदमी क्या-क्या नहीं कर रहा है। उन्होंने फटकारा और कहा- मुसलमान के पीर औलिया मुर्गी मुर्गा खाई। खाला तेरी बेटी ब्याहे घर में करे सगाई। इन दोउ राह न पाई। दोनों को फटकारा और असली चीज बताया, समझाया।

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