सब महात्माओं ने, यीशु ने भी कहा merciful यानी दयावान बनो लेकिन आज मांसाहार से दया धर्म, सत्य, सेवा भाव हो रहा ख़त्म
भावी नेता, जज, वकील, सेठ, महात्मा नशे में हो रहे धुत्त, सोचो देश कहां जायेगा
सन्तकबीर नगर (उ.प्र.)। देश सेवा और देश की प्रगति के लिए कड़वी बात भी बिना डरे स्पष्ट कहने वाले, पक्के देशभक्त, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने 9 दिसम्बर 2023 दोपहर सन्त कबीर नगर (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह मनुष्य शरीर जिसे हिंदू मुसलमान कहते हो, हम उसको नहीं बल्कि इसके अंदर प्रभु की अंश जीवात्मा को देखते हैं। वही सबके अंदर खेल रहा है, हमारे अंदर भी खेल रहा है। यह मूर्तियां जो मंदिरों में बनी हुई है, पहले के समय में नहीं थी। लोग यही सुरत शब्द योग की साधना करते थे। लेकिन व्यास जी एक ऋषि हुए, सोचे कि यह चीज चली जा रही है, यदि मूर्तियां बना दी जाएं, मंदिरों में लोग जाने लग जाएंगे, आंखों को देखकर के दृष्टि को टिकाएंगे तो दृष्टि उनके रुकने लगेगी। कबीर साहब दोनों हिन्दू मुसलमान, के लिए थे। वो जो नसीहत देकर के गए, उसको न हिंदू मान रहा है, न मुसलमान मान रहे हैं। मन मुखी हो गए जबकि कहा गया है गुरमुखता जरूरी है। गुरु के आदेश का पालन करना जरूरी है। गुरु के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। उनके बताए हुए रास्ते से लोग अलग हो रहे हैं। जो उन्होंने बताया वही सुरत शब्द योग का रास्ता अगर पकड़ लिया जाए, यह साधना अगर करने लग जाया जाए तो तिफरका खत्म हो जाएगा।
यीशु ने कहा (merciful) दयावान बनो
सब लोगों ने, जितने भी जानकार आए, चाहे यीशु रहे हो सबने कहा merciful यानी दयावान बनो। जब जीव को मारोगे, काटोगे, खाओगे तो दया रह जाएगी तुम्हारे अंदर? दया धर्म, सत्य, सेवा भाव खत्म हो जाएगा। यही कारण है सब खत्म हो रहा है। इसको अगर अपना ले लोग तो अभी सन्तमत को समझ जाएंगे। हुजूर मोहम्मद साहब ने कहा जीवों पर रहम करो। तुम्हारे लिए फल, फूल, खजूर आदि उगा दिया, इसको खाओ। कुरान और मजहबी किताब में लिखा है। मुसल्लम ईमान रहमान मुसलमान यानी जिसके अंदर पूर्ण ईमानदारी रहम दया हो वह मुसलमान है। मांस, मछली, अंडा, शराब का सेवन करने की वजह से इंसानियत की जगह हैवानियत आ रही है। बगैर गुरु, प्रभु की भक्ति किए बिना कितना भी ताकतवर राजा महाराजा हो, गधा की योनि में जाना पड़ता है।
सरकारें सोचती हैं शराब के पैसे से देश चल रहा लेकिन इससे भविष्य कितना हो रहा खराब
इतनी नशे की गोलियां आ गई कि नौजवान एकदम बर्बाद हो रहे हैं, चरित्र इनका खत्म हो रहा है, शरीर की ताकत, कार्य करने की क्षमता खत्म हो रही है। जहां शराब की बंदी है, वहां नशीली गोलियां उतार दी गई। बहुत सी जगहों की सरकार यही सोचती है कि शराब से ही हमारा देश चल पाएगा, आमदनी हो पाएगी। लेकिन भविष्य इसका बहुत खराब है। जो देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनने वाले, जो सुप्रीम कोर्ट जज वकील बनने वाले, जो सेठ साहूकार अच्छे किसान बनने वाले, जो देश के महात्मा बनने वाले, वह सब नशे में धुत्त पड़े हैं। वह न अपनी बुद्धि का विकास कर पा रहे हैं और न ही शरीर का विकास कर पा रहे हैं। सोचो देश कहां जाएगा। इस वक्त पर देश की बहुत ज्यादा हालत खराब हो रही है।
यदि मनुष्य न कर पाया तो कुदरत कर देगी
मेरी तो प्रार्थना रहती है, लोगों से कहता तो हूं, सुनवाई हो जाएगी तो हो जाएगी, सुधार हो जाएगा तो हो जाएगा। नहीं तो कुदरत सुधार करेगी। क्योंकि जब मनुष्य हार जाता है तो कुदरत परिवर्तन लाती है। हम तो परिवर्तन लाने में लगे हुए हैं। हम हाथ जोड़ते हैं- हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी।। छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी।। ब्रह्म में विचरण के लायक हो जाओ, जैसे सतयुग में था। सतयुग योगी सब विज्ञानी। तब शरीर के रहते-रहते ऊपरी लोकों में भ्रमण करके चले आते थे, इतनी लोगों के अंदर में ताकत हुआ करती थी।
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