अच्छी बात सकारात्मक बातों को ही बताया जाए, अपराधी प्रवृत्ति वाले सिनेमा, यूट्यूब से बच्चों को दूर रखो
उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन (मध्य प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो प्रेमियों आपको भारतीय संस्कृति लाना है। लेकिन दूसरे का विरोध करके नहीं। यह सच है कि भारतीय संस्कृति, भारत का रीति रिवाज और भारत में जो उपलब्धि लोगों को मिली है, वह अगर आ जाए तो पूरा विश्व खुशहाल, हरा-भरा हो जाएगा। लेकिन कोई काना है, उसको बोलो ऐ एक आंख वाले तो खुश होगा? पूछो कि तुम्हारी आंख कैसे फूटी तो नहीं बतायेगा, और बैठ जाओ, पूछो भाई साहब क्या हाल है? कैसे जीवन आपका रहा?
अपनी बात पहले बताओ, फिर धीरे से पूछ लो आपकी आंख कैसे खराब हो गई तो सब बता देगा ऐसे। ऐसे इस भारत देश में बहुत से लोग आए, अच्छे राजा भी रहे, हर कौम में रहे। अंग्रेजों में भी अच्छे और खराब रहे। मुसलमानों ने राज्य किया, उनमें भी राजा खराब और अच्छे भी रहे। तो अच्छी बातों को ही बताया जाए। नेगेटिव नहीं बोला जाए। पॉजिटिव अच्छी बात बताओ, उतनी ही काफी है। अच्छी बात किसको कहते हैं। जैसे बजाय इसके कि आधा ही गिलास पानी है, ये कहो कि आधा गिलास पानी से भरा हुआ है। कमियों को क्यों उजागर किया जाए जिससे किसी का मन खराब हो। यह जो अपराधी प्रवृत्ति के सिनेमा यूट्यूब आते हैं, इसमें लोग इन चीजों को सिखाते हैं की कैसे अपराध, (पकड़े जाने से) बचत किया जाता है, कैसे क्या किया जाता है।
इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। प्रेमियों! बच्चों को भी इससे दूर रखो जिससे वह अपराधी प्रवृत्ति की तरफ न खींच जाए। नहीं तो आगे का समय उनको भी नहीं माफ करेगा। तो अच्छाई को उभारा जाए जिससे लोगों के प्रति, सन्त महात्माओं के प्रति, जो भी समय-समय पर अच्छे लोग आए, उनके आदर्शों को लोग अपना ले और उनके अनुसार चलने लग जाए, जिससे खुद का विकास हो, खुद को शांति मिले और देश का नाम ऊंचा हो।
गर्व से कहो कि हम उनके निर्देश पर काम करते हैं जिसके लिए बाबा जयगुरुदेव जी महाराज आदेश देकर गए
गर्व के साथ कहो कि हम जयगुरुदेव वाले हैं। हम जयगुरुदेव बाबा के शिष्य हैं। हम जयगुरुदेव बाबा के निर्देश के अनुसार काम करते हैं। वह जो आदेश देकर के गए, जिसके लिए आदेश देकर के गए, संभाल की बात जिसके लिए कहकर के गए, हम उनके आदेश और निर्देश पर काम करते हैं। यह लोगों को बताने कहने की जरूरत है। एक बार कोई आपसे बात न करें क्योंकि वह शराबी, मांसाहारी है, लेकिन इज्जत तो वह भी आपका करेगा। क्योंकि यह जो बुराईयों में लिप्त हैं, यह लोग भी नहीं चाहते हैं कि हमारे भी बच्चे, हमारा समाज, परिवार बिगड़े। वह तो अपनी आदतों पर पश्चाताप करते हैं। लेकिन आदत के गुलाम बन चुके हैं। अपनी आदत नहीं छोड़ पाते हैं। लेकिन वह यह नहीं चाहते हैं कि मेरा लड़का भी शराबी हो। जो वैश्या, नाचने वाली है, वह यह नहीं चाहती है कि मेरी लड़की भी इस पेशे में आवे। वह जो पेशा करके पैसे कमाती है, वह अपने बच्चे-बच्चीयों को पढ़ाती है, स्कूल में भेजती है, विदेशों में भेज करके पढ़ाती है।
आप अगर पता लगाओगे तो अच्छे-अच्छे ओहदों पर वह बच्चे चले जाते हैं, बच्चीयां देश, समाज की सेवा में लग जाती है, जिनके बाप का भी पता नहीं है। कोई भी किसी भी लाइन का अपराधी है, कोई भी समाज विरोधी काम करता है, वह भी यह नहीं चाहता है कि हमारे बच्चे, परिवार इसमें लगे, यह काम करें। तो वह भी इज्जत करता है। देखता है कि हम तो सिद्धांत नियम का पालन नहीं कर पाते हैं लेकिन यह (सतसंगी प्रेमी) सिद्धांत नियम का पालन करते हैं। इनको जो बताया समझाया गया, जो उपदेश इनके गुरु ने इनको दिया है, उस उपदेश का वह पालन करते हैं तो इस मामले में इज्जत करते हैं। इसलिए आपको संकोच नहीं करना चाहिए। प्रेमियों! वह समय अब निकल गया जब गालियां, मार खानी पड़ती थी, जब समाज बहिष्कृत करता था, जब हम लोग बोरा टाट पहन के रिश्तेदारों के यहां चले जाते थे तो रिश्तेदार परेशान हो जाते थे। अब तो टाटधारी, गुलाबी कपड़ा पहनने वाले को लोग इज्जत देते हैं। समझते हैं समाज के अच्छे कामों में यह एक इकाई तैयार कर रहे हैं, अंग बन रहे हैं। तो इज्जत वाली बात हो गई।
पहले तो लोग दरवाजे पर स्वतंत्रता सेनानियों को खड़ा ही नहीं होने देते थे, कहते थे, हट जाओ, तुम देश को आजाद करा पाओगे? अंग्रेजों का राज्य कोई खत्म नहीं कर सकता है। जहां से सूरज उदय होता है और जहां तक अस्त होता है- वहां तक अंग्रेजों का राज्य है। और तुम इसे खत्म कर पाओगे? बड़ा (अंग्रेज) साहब नाराज हो जाएगा, हमको सजा दे देंगे तो हमारे दरवाजे पर मत खड़े हो। लेकिन वह स्वतंत्रता सेनानी जो दुनिया से चले गए, उनकी विधवाओं, वीरांगनाओं को आज पेंशन मिल रही है, सम्मानित किया जा रहा है। तो समय-समय की बात होती है। अब तो सम्मान इज्जत मिलने का समय आ रहा है, फल लग रहा है, तोड़कर खाने का समय आ रहा है तो अब इस मामले में पीछे क्यों हट रहे हो? आगे बढ़ो। जैसे धन कमाने, मान प्रतिष्ठा को बढ़ाने में, घर मकान बनाने में आगे बढ़ रहे हो, ऐसे ही समाज को, देश को अच्छा बनाने में, लोगों को अच्छा बनाने में, आध्यात्मिक भजनानंदी बनाने में, सुधारने में प्रेमियों लगो तब बात बनेगी।
तभी फल जल्दी से खाने के लिए मिलेगा, नहीं तो फल लागे अति दूर। नहीं तो जिस फल की इच्छा कर रहे हो कि सतयुग देखने को मिलेगा, वह खजूर का पेड़ हो जाएगा। देखते ही रहो, देखते रहो। जब ऊपर से पक करके खजूर गिरेगा तब खाने को मिलेगा, तोड़कर नहीं खा सकते हो। इसलिए दूर ही दूर रहेगा, खजूर का पेड़ हो जाएगा। और अगर चाहते हो फल को तोड़कर के खा ले, सतयुग का आनंद ले ले, तो कुछ तो करना पड़ेगा, पसीना मेहनत तो बहाना पड़ेगा इसलिए अब मेहनत का समय है।
लोगों को समझाने, बताने, सुधारने की शक्ति सन्तों को ऊपर से मिलती है
महात्माओं का हमेशा इस धरती पर अवतरण रहा है। सन्त हमेशा इस धरती पर रहे हैं। घिरी बदरिया पाप की, बरस रहे अंगार, सन्त न होते जगत में, जल मरता संसार। सच पूछो तो सन्त इसी काम के लिए धरती पर भेजे जाते हैं। ऊपर से उनको शक्ति मिलती है, जीवों को समझाने, बताने की, लोगों को सुधारने की शक्ति मिलती है, उससे वह अपना काम करते हैं।
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