जीवात्मा को परमात्मा तक पहुंचा कर जीने-मरने के चक्कर से छुटकारा दिलाना ही सबसे बड़ी सेवा है

आप सभी धर्म प्रेमी नामदानी, लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त बनाने में लगो, बचाओ लोगों की जान

अहमदाबाद (गुजरात)। जन्म-मरण के चक्कर से बाहर निकालने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 जनवरी 2024 को अहमदाबाद में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जब मन निराश करने लगे तब इसे सेवा में लगा देना चाहिए। सेवा में बहुत सी चीज आती हैं। रोटी खिलाना, पानी पिलाना, बीमार का इलाज करना आदि सेवा, मानव धर्म, परोपकार है- एक सेवा यह है। दूसरी सेवा यह है कि जीवात्मा को परमात्मा तक पहुंचा करके बार-बार जीना-मरना बंद करा दो, यह सबसे बड़ी सेवा कहलाती है। इसके लिए क्या करना पड़ता है? लोगों को बताना, समझना और प्रचार करना पड़ता है। नाम दान दिलाने का, सुमिरन ध्यान भजन करने कराने का परमार्थी लाभ, बोनस मिल जाएगा, जैसे बीमा एजेंट को बोनस अपने आप मिलता रहता है, मांगना नहीं पड़ता।

गुरु भक्त कौन होते हैं : प्रेमियों! मैं आपको बताना चाहूंगा कि लोगों को समझाना, बताना, लगना लगाना, करना कराना चाहिए। जो गुरु भक्त होते हैं, वह इन कामों को करते हैं। मन भजन में लगे, उसके लिए सेवा करो। जो चीज नुकसान करने वाली है उसको अगर छुड़ाया नहीं तो फायदा होने वाला नहीं है। जैसे किसी को रोग हो गया, डॉक्टर बहुत काबिल है लेकिन परहेज नहीं किया तो दवा का असर कम हो जाएगा। जब पहरेज नहीं होगा तो वही दवा असरहीन हो जाएगी।

लोगों को क्या परहेज कराना रहेगा : लोगों को सबसे पहले यही बताना रहेगा कि यह भगवान का बनाया हुआ मनुष्य मंदिर है, देवनारायणी शरीर लोगों ने इसे बताया। देवता इसके लिए तरसते रहते हैं कि हमको (भी मनुष्य शरीर) कुछ समय के लिए मिल जाए, हम अपना काम बनावे। इसको टेंपल ऑफ लिविंग गाड, भगवान के रहने की जगह बताया गया। मनुष्य शरीर को (शराब मांस मछली अंडा आदि डाल कर) गंदा नहीं करना है।

गंदा करने का मतलब : जैसे जहां लैट्रिन पेशाब पड़ा हो तो आप वहां नहीं बैठोगे। ऐसे ही वह प्रभु भी साफ जगह पर बैठता है, दिखाई पड़ता है, रहता है, निवास करता है। आपका बच्चा अगर घर में लैट्रिन कर दिया तो आप उसे पहले साफ करोगे या कराओगे तब अंदर जाओगे। ऐसे ही सब उस प्रभु के बच्चे हैं। लेकिन अगर वह जगह (अंत:करण, ह्रदय) गंदी है तो वह कैसे बैठे? कैसे दिखाई पड़ेंगे? कैसे उनका दर्शन होगा? इसलिए इसको साफ रखना जरूरी है। शाकाहारी नशामुक्त बनो और बनाओ।

जैसे पूजा स्थान में गन्दगी हो तो वहां पूजा नहीं करते ऐसे ही : देखो प्रेमियों! हिंदुस्तान में बहुत से मंदिर मस्जिद गिरजाघर और गुरुद्वारा बने हैं। अगर उसमें कोई टट्टी पेशाब का ढेर लगा दे तो वहां मंदिर में पूजा, मस्जिद में नमाज, गुरुद्वारा में पाठ, गिरजाघर में प्रेयर नहीं करेगा। कहेंगे जगह गंदी है, यहां से कबूल नहीं होगा। ऐसे ही आपका शरीर गंदा हो जाए तो साबुन से धो लोगे लेकिन  (मांसाहार आदि से आई) अंतर आत्मा की गंदगी कैसे साफ होगी? उस प्रभु के बनाये मानव मंदिर को साफ रखो।

आज की तारीख तक आपने कुदरती कहर, तकलीफें कुछ भी नहीं है देखी, आगे बहुत आएंगी

भ्रष्टाचार और अपराध इन्ही दो वजहों से बढ़ता चला जा रहा है- नशा करने और मांस खाने की वजह से

अहमदाबाद(गुजरात)। वर्तमान और भविष्य की तकलीफों से बचाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 जनवरी 2024 को अहमदाबाद में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बीमारियां घर-घर में फ़ैल गयी हैं है। एक अगर ठीक हुआ तो दूसरा बीमार हो गया, तीसरा बीमार, चौथा बीमार। बहुत से लोगों का तो तनख्वाह मिलते ही बजट बन जाता है की इतना रुपया दवा में खर्च करना ही करना पड़ेगा। तो वह अलग से उसको बचा कर रखते हैं। ज्यादा बीमारी आ गई तो उधार लेना, गाय बैल बेचना, औरत का जेवर, जमीन आदि भी गिरवी रखना पड़ जाता है। कारण? खून बेमेल हो जाता है तब तरह-तरह की बीमारी आ जाती है। लोगों के कर्म खराब हो जाते हैं, बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तो इस वजह से बीमारी आ जाती है। हवा पानी मौसम के बदलाव की वजह से आई बीमारी तो दवा से ठीक हो जाती है लेकिन कर्मों की बीमारी जल्दी ठीक नहीं होती है।

कर्म खराब क्यों होते हैं : इन्हीं गलत चीजों को खाने-पीने की वजह से। जो आप पढ़े-लिखे लोग हो, रेडियो सुनते, अखबार पढ़ते हो, लोगों के बीच में बैठते हो, जानकारी करते हो, आपको मालूम है कि भ्रष्टाचार और अपराध इन्ही दो वजहों से बढ़ता चला जा रहा है- नशा और मांस खाने की वजह से। क्योंकि तब दया इनके अंदर नहीं रह जाता है, बुद्धि उनकी वैसी हो जाती है तो फिर भ्रष्टाचार और अपराध करने में डरते नहीं है, तो वैसे ही आदत हो जाती है।

कुदरती कहर, तकलीफें तो आगे आ रही : कर्म प्रधान विश्व रची राखा। जो जसी किन्ही सो तो फल तसी चाखा।। धृष्टराष्ट्र ने कृष्ण से पूछा मैं अंधा क्यों हो गया? बोले तुम्हारे कर्म खराब थे बोले। कहा कि इस जन्म में तो मैंने कोई बुरा कर्म किया नहीं। बोले पीछे जन्म में आपने किया। कहा पिछले 100 जन्मों का मुझे याद है। बोले और पीछे देखो। 106 जन्म के पीछे जो उनसे बड़ा कर्म बन गया था, उसकी वजह से उनको अंधा होना पड़ा। कर्मों की सजा सबको भोगना पड़ता है। लोगों का कर्म जब तक नहीं कटवाया जाएगा, इनको शाकाहारी नहीं बनाओगे तब तक दोनों तरफ से परेशानी जाने वाली नहीं है। आज की तारीख तक जो कुदरती कहर है, तकलीफ है वो कुछ भी नहीं है। ये तो आगे आयेंगे, बहुत आयेंगे। अभी लोगों को बचाना अपना बहुत बड़ा धर्म बनता है। जितने भी नामदानी धर्म प्रेमी हो, आप लोग इस काम में लगो। इनको  सबसे पहले शाकाहारी नशा मुक्त बनाओ जिससे मानव मंदिर इनका साफ रहे,ये कोई भी पूजा उपासना करें तो प्रभु कबूल करें, सुनवाई करें, यह सबसे ज्यादा जरूरी है।


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