माघ पूर्णिमा श्रीहरि और समस्त देवकुल के संग सद्गृहस्थ स्नान


आचार्य संजय तिवारी

माघ पूर्णिमा का स्नान कोई सामान्य स्नान नहीं है। यह श्रीहरि और समस्त देवकुल के संग सद्गृहस्थ को भी मिलने वाला ऐसा अवसर है जो प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को और प्रति कुंभ में भी इसी तिथि को प्राप्त होता है। कठिन तप कर रहे कल्पवासी प्रत्येक साधक के लिए यह प्रतीक्षा के समापन की वह पवित्र बेला है जिसके लिए वह प्रयागराज में उपस्थित हुआ। माघ पूर्णिमा का यह स्नान साधक को सृष्टि से ब्रह्मांड की ऊर्जा से जोड़ने का क्षण है। इसी की प्रतीक्षा में साधक कल्पवासी के रूप में साधना करता है। यह स्नान स्वयं में एक महाविज्ञान भी है। सनातन आर्ष ग्रंथों में इस महाविज्ञान पर बहुत कुछ वर्णित है। माघ पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु स्वंय ही गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से विष्णुजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

इस ब्रह्मांड में वर्तमान सृष्टि के सबसे बड़े मानवीय आयोजन कुंभ में संगम नदी के किनारे साधु-संत और श्रद्धालु एकत्रित होकर आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही कल्पवास के नियमों का भी पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि कल्पवास का पालन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कल्पवास आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिकता की तरफ बढ़ने का साधन है। वैसे तो कल्पवास आप कभी भी कर सकते हैं, लेकिन कुंभ के दौरान करने का विशेष महत्व होता है।

क्या होता है कल्पवास 

कल्पवास का मतलब होता है पूरे एक महीने तक संगम के किनारे रहकर वेद अध्ययन ध्यान और पूजन करना। कल्पवास करने वाले को सफेद या पीले रंग का वस्त्र पहनना होता है।कल्पवास की सबसे कम अवधि एक रात की होती है। इसके अलावा कल्पवास की अवधि तीन रात, तीन महीने, 6 महीने, 6 साल, 12 साल या जीवनभर का हो सकता है। पद्म पुराण में कल्पवास के 21 नियम हैं. जो व्यक्ति 45 दिन इन नियमों का पालन करना होता है तभी कल्पवास का पूरा फल प्राप्त होता है।

कल्पवास के नियम 

1.सत्यवचन

2.अहिंसा

3.इंद्रियों पर नियंत्रण रखना

4.सभी प्राणियों पर दया भाव रखना

5.ब्रह्मचर्य का पालन करना

6.बुरी आदतों से दूर रहना

7.ब्रह्म मुहूर्त में उठना

8.तीन बार पवित्र नदी में स्नान करना

9.त्रिकाल संध्या का ध्यान करना

10.पिंडदान करना

11.दान-पुण्य करना

12.अंतर्मुखी जप

13.सत्संग

14.संकल्पित क्षेत्र से बाहर न जाना

15.निंदा न करना

16.साधु- संतों की सेवा

17.जप और कीर्तन करना

18.एक समय भोजन करना

19.जमीन पर सोना

20.अग्नि सेवन न करना

21.देव पूजन करना

कल्पवास के लाभ 

जो व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठापूर्वक नियमों का पालन करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुंभ मेले के दौरान किया गया कल्पवास उतना ही फलदायक होता है जितना 100 सालों तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करना। कुंभ में कल्पवास करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है। प्रयागराज कुंभ 2025 की माघी पूर्णिमा सभी के लिए कल्याणकारी और शुभ हो। पुनः 12 वर्षों की प्रतीक्षा।

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