राजेश शास्त्री, संवाददाता, ईस्ट न्यूज
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।
अर्थात पार्वती नन्दन देव श्रीगणेश जी को सिर झुकाकर प्रणाम करके अपनी आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये मैं उनका नित्यप्रति स्मरण करता हूँ।
इस मन्त्र से पार्वती नन्दन भगवान श्री गणेश का प्रात: काल स्मरण करने से पूरा दिन मंगल ही मंगल रहता है। यह मन्त्र इतना प्रभावशाली है कि यदि कोई भी व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भाव से इस मन्त्र का 108 बार नित्य जप रूद्राक्ष की माला से करता है अथवा अनुष्ठान कर सवा लाख मन्त्रों का जाप करवाता है। तो उसकी सभीं मनोंकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
इस मन्त्र के प्रभाव से चारों पुरुषार्थ यानी अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विद्यार्थियों के लिए तो यह मन्त्र त्वरित लाभकारी सिद्ध होता है। यदि विद्यार्थी भक्ति पूर्वक इस मन्त्र का प्रतिदिन जप करता है तो उसे विद्या एवं आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इसी तरह से व्यापारियों को उनके व्यवसाय में धीरे-धीरे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने लगती है और उसका मार्ग भगवान श्री गणेश जी के आशीर्वाद से प्रशस्त हो जाता है। इसलिए इस मन्त्र के जप से होने वाले लाभकारी प्रभाव के बारे में लोगों को अवश्य जानना चाहिए और पीड़ित व्यक्ति को निजात पानें का उपाय भी बताना चाहिए।

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