राजेश शास्त्री, क्राइम रिपोर्टर
सिद्धार्थनगर। जनपद सिद्धार्थ नगर स्थित तहसील मुख्यालय इटवा में एकमात्र स्थापित डॉ. राम मनोहर लोहिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, इटवा के भूगोल वर्ग बीए तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा एक टोली के विषयाचार्य लाल बहादुर यादव के नेतृत्व में सिद्धपीठ मां पाटेश्वरी तुलसीपुर से इस यात्रा का शुभारम्भ करते हुए पड़ोसी देश नेपाल राष्ट्र में स्थित दांग जिला का ऐतिहासिक एवं अलौकिक छटा से आच्छादित कोइलाबास में जाकर रुकी।
आपको बता दें कि इस यात्रा से छात्र-छात्राओं सहित प्रोफ़ेसर यादव ने वहां जो अनुभव किया उसी को चित्र और शब्दों के माध्यम से लिपिबद्ध किया जा रहा है। इस बात की पुष्टि क्राइम पॉइंट न्यूज को अपनें आंखों देखी हाल एवं छवि चित्रों के माध्यम से बताया। उस दरमियान सभी लोगों ने सबसे पहले सिद्ध माता पाटेश्वरी का दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया और वहां से यात्रा नेपाल के कोइलाबास नामक स्थान के लिए रवाना हुई।
वहां जाकर छात्र-छात्राओं ने प्राकृतिक एवं अलौकिक दृश्यों का अवलोकन किया और वीडियो भी बनाया और फोटो भी लिया तथा वहां की जलवायु, रहन-सहन, वेश भूषा, खानपान एवं कद काठी आदि के वास्तविकता का अवलोकन किया। जिससे उन्हें संबंधित भूगोल विषय के प्रैक्टिकल के बारे में विशेष जानकारियां मिली।
इसके बाद यह टोली पड़ोसी देश नेपाल राष्ट्र से पुन: वापस भारत पहुंचकर बलरामपुर जिले में स्थित चितौड़ गढ़ बांध का निरीक्षण किया तथा फोटो भी लिया और पुन: महाविद्यालय के लिए रवाना हुए। यात्रा से लौटने के उपरान्त टोली के संरक्षक एवं विषयाचार्य लाल बहादुर यादव ने छात्र छात्राओं के अनुशासित व्यवहार से रहने तथा विभिन्न प्रकार के भौगोलिक निरीक्षण करने के नए तरीकों की सराहना करते हुए प्रशंसा की तथा भौगोलिक पर्यटन को सफल बताया।
कोइलाबास की हालात कुछ इस तरह से
माओवादियों द्वारा नेपाल के कोइलाबास में करीब डेढ़ दशक पूर्व बमबारी कर उसे तहस-नहस करने के बाद अब तक नहीं उबर सका है। उसके बाद से कोइलाबास नेपाल के अन्य शहरों से कट गया। चारों ओर पहाड़ो से घिरा नेपाल का यह इलाका पूर्ण रूप से भारत पर निर्भर है। तहसील मुख्यालय से 24 किमी की दूरी पर बसा नेपाल काम यह नगर, नगरीय सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा है। कोइलाबास बाजार, नेपाल के 50 किमी की दूरी तक अपने स्वदेशी बाजार से सम्पर्क कटा होने के कारण वहां रह रहे नेपाली नागरिक दैनिक उपयोगी वस्तुओं के खरीद फरोख्त के लिए अपने इलाके से सटे भारतीय बाजार बालापुर, तुलसीपुर पर ही निर्भर होते हैं। इसके साथ ही कोइलाबास में उच्च चिकित्सा व शिक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण ये लोग बलरामपुर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों में ही चिकित्सीय लाभ लेते हैं।
माओवादी आन्दोलन के चलते कुछ इस तरह से बने हालात
आपको बता दें कि सीमा पार का कोइलाबास बाजार लगभग तीस वर्ष पूर्व सीमावर्ती क्षेत्र का प्रमुख बाजार था, लेकिन लमही-भालूबांग सड़क मार्ग पर लमही के निकट राप्ती नदी का पुल टूट जाने से इस बाजार का सम्पर्क नेपाल से कट गया। पहाड़ों से घिरे इस बाजार का नेपाल से जुड़ा यह एकमात्र सड़क मार्ग था। ऐसे में नेपाली नागरिकों का सम्पर्क अपने ही देश के लोगों से कट गया। उसी दौरान माओवादी आन्दोलन के चलते इस बाजार में हुए नर संहार व यहां के चिकित्सा, शिक्षा सहित अन्य सरकारी संस्थान आंदोलन की भेंट चढ़ गए थे, जिस कारण यहां की नगरीय सुविधा से यहां के लोग वंचित हो गए। चारों तरफ पहाड़ों व जंगलों से घिरा होने के कारण इस बाजार का अस्तित्व समाप्त होने लगा।
इसी वजह से वहां रह रहे सम्पन्न लोग नेपाल के दूसरे शहरों में बस गए तो कुछ सीमा क्षेत्र के भारतीय बाजारों में अपने रिश्तेदारों के माध्यम से पैठ बनाकर यहां आवास बनाकर रहने लगे हैं। हालत यह है कि यहां रह रहे लोग दैनिक उपयोगी वस्तुओं की खरीदारी व अन्य जरूरतों के लिए भारतीय बाजार पर निर्भर हैं। यहां के लोग आज भी अपने परिचितों के माध्यम से भारतीय क्षेत्रों के गांव में अपना आशियाना बना रहे हैं।
वहां के कुछ लोगों का कहना है कि....
कोइलाबास निवासी पुष्पा थापा ने बताया कि जरूरत के सभी सामान भारतीय बाजार बालापुर वह तुलसीपुर से खरीदना पड़ता है क्योंकि पहाड़ पर रास्ता खराब होने के कारण कोई भी सामान नेपाल के अन्य बाजार से नहीं पहुंच पा रहा है। माया थापा ने कहा कि उन्हें भी चावल दाल व अन्य सामान के लिए प्रत्येक रविवार को बालापुर में लग रहे साप्ताहिक बाजार में आना पड़ता है। विष्णु थापा कहते हैं कि उन्हें जीविकोपार्जन के लिए भी अपने पड़ोसी मुल्क भारत में मजदूरी करते हैं।
मो इ़कबाल कहते हैं कि यदि भारतीय बाजार ना होता तो कोइलाबास में रहना मुश्किल होता। सीमा पार कोयलावास बाजार का पुननिर्माण नहीं होने तथा नेपाली बाजार दूर होने से मजबूरन वहां के लोग सीमा क्षेत्र के भारतीय बाजार के ऊपर निर्भर हैं।
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से विशेष दिनों में वहां घूमने टहलने आते हैं...
बलरामपुर से सीधा जुड़ा होने के कारण इस बाजार में भारतीय क्षेत्र के लोग पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से विशेष दिनों में घूमने टहलने आते हैं। इस क्षेत्र को नेपाल और भारत दोनों देश की सरकार यदि पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाती है तो यहां की किस्मत बदल सकती है साथ ही नेपाल से भारत आ रहे लोगों का पलायन भी रोका जा सकता है।
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