एसआईटी जांच में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर वीडीओ और समाज कल्याण पर्यवेक्षक भर्ती प्रक्रिया निरस्त

  

 उम्मीदवारों को नौकरी मिलने की पूरी उम्मीद लेकर बेठे है और इंतजार करे है कुछ दिन बाद पता चलता है कि सरकार उसे निरस्त कर देता है तो सोचों उस बच्चे से जो दो-तीन साल उस नौकरी के लिए बैठा था। सरकार अपने फैसले को फिर से विचार विमर्श करें। क्योंकि इस फैसले से बच्चों की भविष्य निर्धारित होगा। क्या आपने सोचा है कि ऐसा करने से समाजिक वातावरण क्या प्रभाव पड़ेगा। इस समय बेरोजगारी और पर्यावरण समस्या से हर कोई जूझ रहा है.... बेरोजगारों की आबादी इतनी अधिक हो गई है कि सरकार अगर नौकरी दे भी तो कहां और किस पद पर दे। इस बात पर विचार करना चाहिए...

लखनऊ। साल भर में ऐसे कितनी नौकरियां निरस्त होती है। इसका जबाव किसी के पास नहीं है और ऐसा क्यो हो रहा। जब सरकार एग्जाम करने वाली उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को देती है तो अगर किसी भी प्रकार की कमी होती है तो इसका जिम्मेदार वहीं होंगे न। समय इतना मूल्यवान होता है इस बात को हर कोई जानता है। उस बच्चे से जरा जा के पूछों जो वर्ष 2018 में एग्जाम देता और परिणाम 2021 में आता है और कुछ लोग भूल जाते है हमने भी कोई एग्जाम दिया था। इसका भी दोष हम उन्हीं को देते है जो एग्जाम कराते है।

एक तरफ युवाओं में बेरोजगारी के नाम पर सरकार के खिलाफ आक्रोश है, वहीं दूसरी ओर सरकार एक के बाद एक भर्ती निरस्त करते जा रही है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एक परीक्षा तो धांधली की शिकायत के बाद निरस्त की। लेकिन तीन अन्य परीक्षाओं को बिना कारण बताएं निरस्त कर दिया। छात्र नेता और युवाओं के लिए संघर्ष करने वाले दीपक सिंह बताते हैं कि सरकार की नीति में युवाओं को रोजगार देना शामिल नहीं है। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते थे कि युवा पकौड़े तले तो सीएम योगी उन्हीं की राह पर चल पड़े हैं। नौकरियां निरस्त कर उन्होंने युवाओं को यह संदेश दे दिया कि उत्तम प्रदेश में युवाओं को सरकारी नौकरी अब नहीं मिलेगी।

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के उम्मीदवारों के लिए बड़ी निराशा की खबर है। ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की परीक्षाओं को सरकार ने निरस्त कर दिया है। आपको बता दें कि तीन साल पहले 22 और 23 दिसंबर 2018 को इन पदों के लिए परीक्षा हुई थी लेकिन सरकार ने इस परीक्षा को निरस्त कर दिया है। धांधली की शिकायत पर एसआईटी(SIT) जांच को आधार मानते हुए सरकार ने तीनों पदों की भर्ती को निरस्त कर दिया है।

जब ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की परीक्षाओं में धांधली की शिकायत सरकार से बड़े पैमाने पर हुई थी। उस समय सरकार ने शिकायत को ध्यान में रखते हुए SIT को जांच सौंप दी थी। एसआईटी ने 20 मार्च 2020 को जांच का आदेश जारी किया और धांधली की पुष्टि की और उसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों पदों के लिए परीक्षा को निरस्त कर दिया गया।

  • 1953 पदों के लिए यह भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें करीब नौ लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इस परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को जारी हुआ था।
  • यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वनरक्षक और वन्य जीव रक्षक के 728 पदों की भर्ती परीक्षा पर भी रोक लगा दी है। चौर अप्रैल को वनरक्षक और वन्य जीव रक्षक की परीक्षा होनी थी। 
  • वहीं अगले आदेशों तक सहायक बोरिंग टेक्नीशियन के 486 पद के लिए प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी रोक दी गई हैं। साथ ही सहायक सांख्यिकी अधिकारी एवं सहायक शोधअधिकारी की आठ मई को होने वाली परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है।

बताते चलें कि ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की परीक्षाओं में धांधली की शिकायत सरकार से बड़े पैमाने पर हुई थी। शिकायत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एसआईटी को जांच सौंप दी थी। 20 मार्च 2020 को एसआईटी ने जांच का आदेश जारी किया और धांधली की पुष्टि की। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों पदों के लिए परीक्षा को निरस्त कर दिया गया। गौरतलब है कि 1953 पदों के लिए यह भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें करीब नौ लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इस परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को जारी हुआ था।

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