- ब्लाक में 47 सेंटरों में से लगभग 19 सेंटर अभियान में शामिल
- कठेला गर्बी गांव के 4 सदस्यों का आयुष्मान कार्ड निकला फर्जी
राजेश शास्त्री, संवाददाता
शासन की मंशा के अनुरूप आयुष्मान भारत कार्ड बनाने के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में सीएससी संचालकों की घोर उदासीनता ही सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। इस ब्लॉक में कुल 47 सीएससी संचालकों में से वर्तमान में लगभग 19 सेंटर माइक्रो प्लान में शामिल होकर ही कार्य कर रहे हैं। इन्हीं सब कारणों से कठेला गर्बी गांव के जो चार(4 ) सदस्यों का आयुष्मान कार्ड फ़र्ज़ी निकला। जो संचालकों के खाऊँ कमाऊँ नीति का परिचायक है। मिली जानकारी के मुताबिक आयुष्मान भारत कार्ड बनाने के लिए 10 मार्च से 30 मार्च तक का ही अभियान चलना बताया जा रहा है।
इस अभियान को सफल बनाने में कॉमन सर्विस सेंटर सीएचसी/बी एल ई संचालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक दिन में यदि 19 लोगों को विभिन्न गांवों में लगाया जाता है। तो उसमें से लगभग 8 लोग हीला हवाली कर के मौके पर आयुष्मान कार्ड बनाने नहीं पहुंचते हैं। सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार ये संचालक विभिन्न प्रकार की बहानेबाजी करके मौके पर पहुंचते ही नहीं हैं जिससे इस क्षेत्र के लोगों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
इस सम्बन्ध में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इटवा के चिकित्सा अधीक्षक व बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बी. के. वैद्य इस संवाददाता को बताया कि पूरे ब्लॉक में 8846 परिवार आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए चिन्हित हैं। जिसमें से 44230 सदस्य लाभार्थी हैं। इसमें से अब तक 7532 लाभार्थियों का कार्ड पहले ही बन चुका है। अब 10 से 30 मार्च तक अभियान चलाया जा रहा है। इसमें 2465 लोगों का 17 मार्च तक कार्ड बन चुका है।
दूसरी तरफ़ सीएचसी सूत्रों के अनुसार इटवा विकास खण्ड में कुल 47 सीएससी सेंटर हैं। जिसमें से सिर्फ 19 सेंटर माइक्रो प्लान अभियान में शामिल हो कर काम कर रहे हैं। उसमें से छह सात लोग अन्य कार्य में व्यस्त होने के कारण मौके पर नहीं पहुंचते हैं। जिससे अभियान को सफल बनाने में भारी असुविधा हो रही है। इसके लिए संबंधित लोगों को नोटिस भी दिया गया था। एक-दो दिन कार्य करके फिर यह लोग पुराने ढर्रे पर वापस चले गए। और अकारण नुक़सान हो रहा है उन लोगों का जिसके पास न तो शोर्श है और न ही रुपया और न ही इन ग़रीबों का वहां कोई सुनने वाला ही है। इसमें प्रशासन की उदासीनता साफ़ झलक रही है।
आम जन चर्चा गूँज रही है कि सूची में नाम न रहने पर पैसा लेकर कार्ड बनाने का मामला आए दिन प्रकाश में आता रहता है। लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। आयुष्मान कार्ड बनाने में हो रहे फर्जीवाड़े और धांधली के विषय में सीएचसी के अधीक्षक बी. के. वैद्य ने यह भी बताया कि यदि कोई पैसा लेकर कार्ड बना रहा है। तो वह घोर अपराध है। आपको बता दें कि सूची में नाम न रहने वाले ब्यक्ति का कार्ड बनाता है तो अपराध है। संज्ञान में आने पर उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ीकार्रवाई की जाएगी।
बताया जाता है कि सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार जिन लोगों का नाम सूची में है। उन्हीं का ही निशुल्क कार्ड बन रहा है। सरकार पात्र गरीबों को लाभ देना चाहती है। सीएचसी इटवा में भी आयुष्मान कार्ड बन रहा है। यहां आयुष्मान मित्र कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा गांव में भी कैंप लगाया जा रहा है।जिसके माध्यम से लोगों का कार्ड बनवाया जाएगा।
इससे पात्र व्यक्तियों का आयुष्मान कार्ड से नि:शुल्क इलाज होगा। जिससे ग़रीबों को भी जीवन मिल सकता है। इस प्रकार पात्र व्यक्ति आयुष्मान कार्ड से अपना व अपने परिवार का इलाज निशुल्क करवा सकता है। कोई भी पात्र व्यक्ति जिसे कोई बीमारी हो या दवा लेना चाहता है, तो वह सीएससी से संपर्क करे। यदि सूची में नाम है और उसका कार्ड नहीं बना है तो उसका कार्ड भी बनवाया जाएगा। ऐसी दशा में पात्र व्यक्ति अपने अपनें ग्रामों के आशा बहुओं से संपर्क कर। अपना कार्ड इस अभियान के अन्तर्गत बनवा लें। जो बिल्कुल निशुल्क है। किसी के बहकावे में आकर गलत कार्य न करें।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति वाले बच्चों का होगा निशुल्क इलाज वैद्य ने आगे बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी जन्मजात विकृति वाले बच्चों का निशुल्क इलाज कराने का प्राविधान है। होंठ या तालू कटा, हार्निया, ट्यूमर, कूबड आदि विकृति से ग्रसित बच्चों के अभिभावक इटवा सीएचसी पर एआरओ ओपी त्रिपाठी से सम्पर्क करें। या दूरभाष से डा. अजीत त्रिपाठी के 9628213074 पर सम्पर्क करें। इलाज निशुल्क होगा।
बताया जाता है कि कठेला गर्बी गांव के एक ही परिवार के 4 सदस्यों का आयुष्मान कार्ड फर्जी निकल गया। पीड़ित परिवार के लोग अपना इलाज कराने बढ़नी गए थे अस्पताल वालों ने कार्ड को फर्जी बताकर वापस कर दिया। जब वह सीएससी इटवा आकर अपने नाम का वेरिफिकेशन कराए तो सूची में नाम ही मौजूद नहीं था। इस तरह से लोग सूची में नाम न रहने पर गलत ढंग से कार्ड न बनवाएं नहीं तो बाद में उनको पछताना पड़ सकता है। मुन्ना लाल ने अपना व अपने परिवार विकास, विक्की, रानी का एक साल पहले आयुष्मान कार्ड बनवाया था। एक साल पहले बना आयुष्मान कार्ड जांच में फर्जी निकला।
इस संबंध में उप जिला अधिकारी इटवा उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि सीएससी की ड्यूटी लगाई गए है। सीएससी वाले काम करने जा रहे हैं। संयोगवश यदि किसी का तबीयत खराब हो गया या कोई परेशानी आ गई है, तो वह दूसरे दिन काम पर जाते हैं। यह कार्ड बिल्कुल निशुल्क बन रहा है। किसी के बहकावे में आ कर के सूची में नाम नहीं है तो पैसा दे कर कार्ड बनवाने का दुस्साहस न करें। यह अपराध है। जिन लोगों का नाम सूची में है तो उनका निशुल्क कार्ड बन रहा है। इसमें कोई सन्देह नहीं है। आइए जानते है आयुष्मान कार्ड के बारे में कुछ खास जानकारी-
आयुष्मान कार्ड योजना क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य' योजना की घोषणा की है। इसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर से देशभर में लागू कर दिया गया है। सरकार एबीवाई के माध्यम से गरीब, उपेक्षित परिवार और शहरी गरीब लोगों के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना चाहती है।
आयुष्मान कार्ड कैसे बनवाएं?
- आयुष्मान सूचीबद्ध निजी व सरकारी अस्पतालों में निशुल्क बनाए जाते हैं।
- आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए व्यक्तिगत पहचान के लिए आधार कार्ड लेकर जाएं।
- परिवार की पहचान के लिए राशन कार्ड अथवा प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री का पत्र अथवा परिवार रजिस्टर की नकल साथ लेकर जाएं।
आयुष्मान भारत कार्ड कैसे निकाले?
- पंजीकृत और निजी हॉस्पिटलों के द्वारा।
- सर्वप्रथम आपको अपने नज़दीकी निजी या सरकारी अस्पतालों में अपने दस्तावेज़ों जैसे आधार कार्ड, राशन पत्रिका, पंजीकृत मोबाइल नंबर आदि के साथ जाना होगा।
- इसके बाद आपका नाम जन आरोग्य योजना की सूची में जाँचा जायेगा।
- इस सूची में नाम आने के बाद ही आपको आयुष्मान कार्ड प्रदान किया जायेगा।
आयुष्मान भारत कार्ड में अपना नाम कैसे देखें?
- सबसे पहले अपने मोबाइल फोन में आयुष्मान भारत की ऑफिसियल वेबसाइट https://mera.pmjay.gov.in को ओपन करना है।
- इसके बाद आपको अपना मोबाइल नंबर लिखकर सामने दिए गए कैप्त्चा कोड को भरना है।
- इससे आपके एंटर किये गए मोबाइल में छह डिजिट का एक OTP आएगा, जिसे आपको इस साईट में एंटर कर देना है।
आयुष्मान कार्ड कब तक बनेगा?
आपको बता दें कि फ्री गोल्डन कार्ड 31 मार्च तक बनेंगे। आवेदन राज्य में केंद्र व राज्य की आयुष्मान योजना के पात्र व्यक्तियों के गोल्डन कार्ड 31 मार्च तक निशुल्क बनाए जाएंगे। यह निर्णय स्टेट हेल्थ एजेंसी की ओर से लिया गया है। अभी तक कागज का कार्ड बनाया जा रहा है, जल्द ही लोगों को प्लास्टिक कार्ड दिया जाएगा। अब तक इसे गोल्डन कार्ड कहते थे। लेकिन अब इसका नाम बदलकर आयुष्मान कार्ड कर दिया गया है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत गरीब लोग पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज करवा सकते हैं। यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों लोगों के लिए है।
आपको बता दें कि इस गोल्डन कार्ड/आयुष्मान कार्ड के जरिए बीमा की राशि मिलती है। इस कार्ड से बीमार मरीज पूरे देश के किसी भी संबंद्ध अस्पताल में निशुल्क दवा, जांच, इलाज आदि की सुविधा ले सकते हैं। इसके लाभार्थी हेल्पलाइन नंबर 14555 या 104 टॉल फ्री नंबर पर कॉल करके कोई भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
आयुष्मान भारत योजना की पात्रता क्या है?
इसकी पात्रता के लिए सबसे पहले जरूरी है कि वह भारत का नागरिक हो। और उसके परिवार की पहचान गरीब और सुविधाओं से वंचित लोगों (बीपीएल धारक) के तौर पर हुई है। आयुष्मान भारत योजना (ABY) का लाभ लेने के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। PM-JAY का लाभ लेने के लिए परिवार के आकार या उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
आयुष्मान भारत में कौन कौन सी बीमारी का इलाज होता है?
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थियों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तावित नवीन योजना हेल्थ बेनिफिट पैकेज (एचबीपी) 2.0 को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार से लागू कर दिया है। इसमें बर्न मैनेजमेंट के साथ ओपेन सर्जरी और लेप्रोस्कोपी को भी शामिल किया है।
आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत कब की गई?
इस प्रकार की समस्या का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना लॉन्च की थी।


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