समाजसेवी ने किया ऐसा कारनामा, जिसे जानकर आप भी हो जाएंगे दंग

 

भक्तिमान पांडेय

रामसनेहीघाट, बाराबंकी। गोमती नदी के किनारे बसा गैरिया गांव आज ग्रीन जोन बनने की ओर अग्रसर है। यह सब यहां के पर्यावरण प्रेमी ओम प्रकाश अवस्थी के प्रयासों का नतीजा है। उनके सतत प्रयासों से गांव की ऊसर बंजर भूमि पर आज हरे भरे पेड़ लहलहा रहे हैं। विकासखंड बनीकोडर के गैरिया गांव निवासी ओम प्रकाश अवस्थी को बचपन से ही पेड़ पौधे लगाने का शौक था। खेल खेल में उनके द्वारा लगाए गए नन्हे पौधे आज विशाल वृक्ष बन गए हैं। प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए वह लखनऊ चले गए। पढ़ाई लिखाई पूर्ण कर वह वहीं रह कर परिवार के व्यवसाय में अपना हाथ बंटाने लगे बाद में खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया।

इसी दौरान उनकी भेंट प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी चंद्रभूषण तिवारी से हुई। उन्हीं से वृक्षारोपण की प्रेरणा मिलने के बाद वर्ष 2015 में वह गांव आए और गांव की ऊसर बंजर जमीन को चिन्हित करवा कर सरकार के सहयोग से उस पर वृहद पैमाने पर विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों का रोपण शुरू करवा दिया।

गोमती नदी का किनारा होने के कारण यहां पर कटीले वृक्षों की बहुतायत थी। फलदार तथा छायादार वृक्ष दूर-दूर तक नजर नहीं आते थे। फिर उन्होंने खुद की तथा पंचायत की जमीन पर इमारती तथा फलदार वृक्षों का बड़े पैमाने पर रोपण करवाया। करीब 5 वर्ष पूर्व मलिहाबाद लखनऊ से लाकर आम की विभिन्न प्रजातियों के 25 पेड़ों का भी रोपण किया। लखनऊ से लाकर लगाए गए आम के इन पेड़ों में फल भी आने लगे हैं पिछली बार आम का अच्छा उत्पादन हुआ।

इस बार भी फल आए हैं। आज पूरी आम की बाग तैयार हो गई है। इसके अलावा करीब 78.2 बीघे भूमि जो अनुपयोगी पड़ी थी उस पर इमारती लकड़ी वाले वृक्षों के साथ-साथ नीम शीशम सागौन कटहल आम तथा जामुन के पेड़ों का भी रोपण करवाया। 

आज गांव के चारों तरफ हरियाली दिखाई दे रही है बंजर पड़ी भूमि पर हरे भरे पेड़ लहलहा रहे हैं। उनके द्वारा अब तक हजारों वृक्ष लगवाए जा चुके हैं। बागवानी के साथ-साथ ओम प्रकाश अवस्थी वैज्ञानिक ढंग से खेती भी करवा रहे हैं। इसके साथ ही जो किसान बटाई पर खेती करवाते थे उन्हें स्वयं खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। इस कार्य में वह किसानों का सहयोग भी कर रहे हैं।

पर्यावरण प्रेमी ओम  प्रकाश अवस्थी ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को इमारती लकड़ी के साथ ही फलदार तथा छायादार वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। वृक्ष लगाने के बाद निरंतर उसकी देखरेख भी करनी चाहिए वृक्ष तैयार होने पर जब फल देता है तो बहुत बड़ी आत्म संतुष्टि मिलती है। ऐसी संतुष्टि धन कमाकर नहीं पाई जा सकती है।

उन्होंने बताया कि कर्नाटक के रहने वाले ओम साईं राम बाबा की प्रेरणा से अपनी डेढ़ बीघा खेती योग्य भूमि उन्होंने लंगड़ा चौसा सफेदा आम के वृक्षों का रोपण करवाया था। लखनऊ निवासी बागवानी पर्यावरण प्रेमी तथा समाजसेवी चंद्रभूषण तिवारी से भी उन्हें बागवानी करने की प्रेरणा मिली।

उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें पेड़ पौधे लगाने का शौक था। उनका सपना था कि गांव की कंकरीली पथरीली जमीन पर भी हरियाली दिखे अपने सपने को मूर्त रूप देने की खातिर ही उन्होंने प्रयास शुरू किया विशेषज्ञों तथा कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग और मार्गदर्शन में उन्होंने अपने बचपन के इस सपने को साकार कर दिखाया है। क्षेत्र के लोगों के लिए आज वह प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।

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