मां दुर्गा का नाम शैलपुत्री क्यों पड़ा, आइए जाने


राजेश शास्त्री 

भगवती नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों की विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परंतु यह सब एक हैं। 

निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं- 

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। 
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।। 
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। 
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।। 
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। 
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।। 

शैलपुत्री 

देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। 

शैलपुत्री : मां दुर्गा का पहला रूप देवी शैलपुत्री का पूजन 

नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है इस मन्त्र से-

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। 
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥ 

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