राजेश शास्त्री, संवाददाता
बांसी, सिद्धार्थनगर। जनपद सिद्धार्थनगर के बांसी तहसील अन्तर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए गए आदेश और आवश्यक कार्रवाई के बावजूद भी पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पा रहा है जिससे वह दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। राधेश्याम का आरोप है कि कोई कार्यवाही न होने से उसी विरोधियों द्वारा जानमाल की धमकी भी दी जा रही है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर बांसी तहसील क्षेत्र के ग्राम नचनी निवासी राधेश्याम ने कहा है कि वे एक किसान हैं। उनका इकलौता पुत्र संतोष चौधरी एक परिषदीय विद्यालय का अध्यापक है। जो वर्तमान में पूर्व माध्यमिक विद्यालय गोल्हौरा पर कार्यरत है। परिवार का सारा भरण पोषण उसी पुत्र के ऊपर निर्भर है।
उन्होंने कहा है कि उनका पुत्र कुछ माह पहले पूर्व माध्यमिक विद्यालय पीढ़वा पर कार्यरत था। शासन के निर्देशानुसार प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय का संविलियन हो जाने पर प्राथमिक विद्यालय पीढ़वा के इंचार्ज प्रधानाध्यापिका का चार्ज छिन जाने पर इस विद्यालय पर कार्यरत समस्त अध्यापकों को उनके पुत्र के बारे में अनर्गल बातों से बरगला कर कई बार झूठा आरोप लगाया गया तथा उसके साथ मारपीट करके अध्यापक आचरण नियमावली के विपरीत भी कार्य किया गया।
राधेश्याम का कहना है कि झूठे आरोप के चलते उनका पुत्र मानसिक रूप से परेशान है। तथा अब तक तीन बार आत्महत्या करने का प्रयास कर चुका है। विभागीय जांच में भी संतोष चौधरी निर्दोष पाया गया है। परंतु उसके बाद भी उक्त शिक्षिकाओं द्वारा उत्पीड़न जारी है और बार-बार आत्महत्या के लिए उकसाया जा रहा है।
राधेश्याम का कहना है कि इस बारे में उन्होंने 11 फरवरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेज कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर मानवाधिकार आयोग से 15 मार्च 2021 को इस याचिका पर जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर को जांच करवा कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था।
लेकिन इस मामले में आज 2 महीने बाद भी कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हैं। राधेश्याम का कहना है कि उनकी पुत्रवधू कमलावती देवी ने 5 मई को राज्य महिला आयोग को भी पत्र भेजकर मामले की जांच कराने की मांग की है।
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