सूरज सिंह, विशेष संवाददाता
बाराबंकी। आए दिन कोरोना वायरस की चपेट में आकर लोग असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। सबसे अधिक मौतें ऑक्सीजन की कमी से हो रही हैं। कोरोना से बचाव में दवा के साथ चेस्ट फिजियोथैरेपी महत्वपूर्ण भूमिका है।
कोरोना संक्रमित के कई लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत भी एक प्रमुख लक्षण माना गया है। इसका सीधा संबंध फेफड़ों से है। कोरोना के अलावा फेफड़ों के ऐसे कई रोग हैं, जिन्हें खतरनाक समझा जाता है जैसे-अस्थमा, सीओपीडी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि।
जब फेफड़े ठीक से काम नहीं करते या इससे जुड़ी गंभीर बीमारी हो तो डॉक्टर कुछ थेरेपी करवाते हैं। ये इलाज में कारगर होती हैं। डॉक्टरी भाषा में इसी को चेस्ट फिजियो-थेरेपी कहा जाता है। इसी को सीपीटी या चेस्ट पीटी भी कहते हैं।
कब दी जाती है चेस्ट फिजियोथेरेपी
शुरुआती लक्षणों के दिखते ही एकदम थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं।
इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज,चेस्ट परक्यूजन,चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं। इनसे फेपड़ों में जमा बलगम बाहर निकालने में मदद मिलती है।
निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी रामबाण है। इसे जरूर करना चाहिए। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह ली जा सकती है।
सर्जरी से गुजरने पर
सिस्टिक फाइब्रोसिस और सीओपीडी जैसी बीमरियों के बाद मरीजों को दूसरे इलाज के साथ चेस्ट फिजियोथेरेपी की भी जरूरत पड़ती है। इसके अलावा जो लोग सर्जरी से गुजरते हैं, उन्हें भी इस थेरेपी की सलाह दी जा सकती है।
मरीज को विभिन्न पोश्चर में लेटा कर गहरी सांसें लेने व छोड़ने को बोला जाता है। मरीज की पीठ, छाती व पसलियों के बीच में थप थपाकर और कंपन उत्पन्न कर फेफड़ों में जमे बलगम को बाहर निकल जाता है।
चेस्ट फिजियोथेरेपी से फेफड़ों में बलगम जैसे अवरोधक तत्वों को बाहर निकलने में मदद मिलती है। स्वसन की प्रक्रिया आसान हो जाती है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज करते रहने से फेफड़ों को मजबूत बनाए रखा जा सकता है। एक्सरसाइज के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो इसकी वजह से फेफड़ों में ज्यादा ऑक्सीजन का प्रवाह होता है।
इनके लिए मना चेस्ट थेरेपी
- पसली की हड्डी टूटी हो
- सिर या गर्दन में कोई चोट होने पर
- रीढ़ की हड्डी में चोट वालों को
- फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके हों
- गंभीर अस्थमा में
- पल्मोनरी एम्बोलिज्म हो
- फेफड़ों से जब खून बह रहा हो
- शरीर में कहीं कोई ताजा घाव हो
- कटे का निशान या जली हुई त्वचा हो
0 टिप्पणियाँ
Please don't enter any spam link in the comment Box.