लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मजबूत होगा सभी विकसित राष्ट्र बनेगा इंडिया : एके बिंदुसार


राजेश शास्त्री, संवाददाता 

भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं वाइस प्रेसिडेंट अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अधिकार महामोर्चा के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मजबूत होगा सभी विकसित राष्ट्र बनेगा इंडिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन करना है। इन तीन उद्देश्यों में सम्पूर्ण पत्रकारिता का सार तत्व समाहित किया जा सकता है। अपनी बहुमुखी प्रवृतियों के कारण पत्रकारिता व्यक्ति और समाज के जीवन को गहराई तक प्रभावित करती हैं। 

एक सवाल पत्रकारिता का उद्देश्य क्या है?

पत्रकारिता का उद्देश्य सच्ची घटनाओं पर प्रकाश डालना है, वास्तविकताओं को सामने लाना है। बाबा  साहेब डॉ.बीआर अंबेडकर के अनुसार, 'पत्रकारिता के तीन उद्देश्य हैं- पहला जनता की इच्छाओं, विचारों को समझना और उन्हें व्यक्त करना है। दूसरा उद्देश्य जनता में वांछनीय भावनाएं जागृत करना और तीसरा उद्देश्य सार्वजनिक दोषों को नष्ट करना है।

पत्रकारिता का मुख्य कार्य सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाना है। समाचार अपने समय के विचार, घटना और समस्याओं के बारे में सूचना प्रदान करता है। यानी कि समाचार के माध्यम से देश दुनिया की समसामयिक घटनाओं समस्याओं और विचारों की सूचना लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस सूचना का सीधे सीधे अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है। आज वर्तमान प्रवेश पर अगर पत्रकारिता पर हम चर्चा करें तो ठीक उसका उल्टा देखने को मिलता है। 

देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों एवं संविधान निर्माता ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि आने वाले दिनों में हम जिस लोकतांत्रिक देश की स्थापना कर रहे हैं कहीं वह गुलामी वाले समय से भी भयानक रूप धारण कर लेगा हमारी आने वाली पीढ़ी आजाद भारत की गुलाम नागरिक बन कर रह जाएगी।

आज हमें तो ऐसा ही महसूस हो रहा है इसका मात्र एक उदाहरण देना चाहूंगा कि आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को आज तक संवैधानिक दर्जा नहीं प्राप्त हो सका यह बहुत बड़ा सवाल है आखिर क्यों? आज देश के अंदर अपने अस्तित्व के लिए जितना किसान तड़फड़ा रहा है रोजगार और शिक्षा के लिए जितना नौजवान और छात्र को बेचैनी है।

ठीक उसी तरह पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता आज अपने अस्तित्व के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए अपने संवैधानिक मान्यताओं के लिए संघर्ष पर संघर्ष किए जा रहा है लेकिन शासन सत्ता में बैठे हुए लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। इसका मात्र कारण है भ्रष्टाचार कायम रहे भ्रष्टाचार कायम रहे। 

एक कहावत है अपना काम बनता तो भाड़ में जाए जनता।अगर स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना करनी है अगर आजाद भारत में आजाद नागरिक बनकर के जीना है यह जिम्मेदारी देश के प्रत्येक नागरिक की है कि वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को सशक्त बनाने में योगदान दें।

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