पुलिस के हिरासत में होते हुए भी छोडे गये वसूलानंद


  • चौकी प्रभारी ने मौके पर पूंछकर दर्ज किये थे रहस्यमयी डायरी में वसूलानंदों के नाम

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ 

बांदा। विगत दिनों बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा रिक्शेवालों से सौ-सौ रुपयें की जबरन अवैध वसूली की जा रही थी। जिसकों लेकर मामला जब चर्चा में आया तो मौके पर जेल पुलिस चौकी प्रभारी ने पहुंचकर उनकों अपनी हिरासत में ले लिया। पकडे़ गये वसूलानंदों के नाम चौकी इंचार्ज द्वारा अपनी डायरी में दर्ज किया गया। रिक्शेवालों के हंगामें और मीडियाकर्मियों के पहुंचने पर काफी देर बाद पुलिस की गाडी़ पहुंची और सभी आरोपियों को कोतवाली में बंद कर दिया गया। मामले की जानकारी होने पर बजरंग दल के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने कोतवाली को घेर लिया। इसके बाद पुलिस के उच्चाधिकारी धीरे-धीरे कोतवाली की रूख करना शुरू कर दिया। बजरंग दल के हंगामे को देखकर लगभग रात दस बजे सभी आरोपियों को निजी मुचलके में छोड़ दिया गया। 

जनकारी के अनुसार कुछ रिक्शेवालों द्वारा पुलिस को तहरीर दी गयी थी कि बजरंग दल के कार्यकर्ता लगातार दो दिनों से प्रति रिक्शा सौ रुपयों की जबरन वसूली कर रहे है। तहरीर में पीडितों ने किसी के नाम नहीं खोले थे। रिक्शेवालों से की जा रही जबरन वसूली की जानकारी होने पर जेल चौकी प्रभारी ने बतायी हुयी जगहों पर छापा मारा। जहां पर उन्होंने आधा दर्जन से अधिक लोगों को रिक्शेवालों से वसूली करते हुए रंगे हाथों पकडा। जेल चौकी प्रभारी ने पकडे गये आरोपियों के नाम अपनी रहस्यमयी डायरी में दर्ज कर उन्हें कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया। कोतवाली में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की गिरफतारी की बात जैसे ही बजरंग दल के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को हुयी तो उन्हें रात के समय ही कोतवाली को घेर कर कार्यकर्ताओं की रिहाई को लेकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। 

हालात बिगडते देख पुलिस के आलाधिकारी भी कोतवाली पहुंचे और धीरे धीरे सभी पकडे गये वसूलानंदों को निजी मुचलके में छोड दिया गया। वहीं इस संदर्भ में अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र प्रताप चौहान का कहना है कि सभी नौ लोगों पर धारा 184 के तहत कार्यवाही की गयी है। जबकि लिखे गये मुकदमें में पुलिस द्वारा किसी भी अभियुक्त का नाम दर्ज नहीं किया गया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पकडे गये वसूलानंद अपराधी है कि नहीं। यदि वह अपराधी नहीं है तो उनकों निजी मुचलके पर क्यों छोडा गया और यदि वह वसूली में संलिप्त पाये गये है तो उनका नाम एफआईआर में दर्ज क्यों नहीं दर्ज किया गया।

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