BANDA NEWS : राजस्थान से छुड़ाए गए डेढ़ दर्जन दलित बंधुआ मजदूर पहुंचे अपने घर


  • लालच देकर मजदूरों से ईंट भट्ठे में बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी


बांदा। कोरोना काल का नरसंहार देखने के बाद भी इंसानियत नाम की जात की आंख नहीं खुल रही है। मानव को मानव द्वारा बंधक बनाकर काम कराने की प्रथा रुकने का नाम नहीं ले रही इसी कड़ी में बांदा एवं चित्रकूट जनपद  के रहने वाले 18 मजदूरों को राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित विजयनगर से छुड़ाया गया है। लालच देकर इन मजदूरों से  ईट भट्टे में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही थी। बीते 21 जून को मजदूरों के लिए काम करने वाली संस्था असंगठित मजदूर मोर्चा के संज्ञान में जब मामला आया तो एक्शन एड बंधुआ मुक्ति मोर्चा और असंगठित मजदूर मोर्चा ने मिलकर सारी जानकारी जुटाने शुरू कर दिए सही जानकारी के आधार पर जब संपर्क किया गया तो पता चला कि मजदूरों को बिना मजदूरी दिए जबरदस्ती काम कराया जा रहा था इतना ही नहीं नाबालिग बच्चों से भी काम कराया जा रहा था।

इन सभी मजदूरों को अगस्त 2020 में बांदा वा चित्रकूट जनपद से प्रलोभन देकर राजस्थान के श्रीगंगानगर ले जाया गया था। बंधन मुक्त कराए गए मजदूरों में से एक 23 वर्षीय राम सिंह ने जानकारी दी थी कि हम 18 लोगों में से चार महिलाएं, पांच पुरुष सहित नौ बच्चे हैं। हम लोग जहां काम करते हैं वहां सिर्फ आने जाने का किराया ही मिलता है। मजदूरी नहीं मिलती औरतों के साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता है बंधुआ मुक्ति मोर्चा और असंगठित मजदूर मोर्चा एवं एक्शन एड के सहयोग से इन मजदूरों को असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार जी ने बंधन मुक्त कराया और उनके घरों को रवाना किया। 

यह सभी मजदूर अपने अपने घरों पर पहुंच गए हैं। छुड़ाए गए इन मजदूरों में राम सिंह पुत्र राजा उम्र 23 वर्ष, बुद्ध विलास पुत्र राजा उम्र 21 वर्ष, रोशनी पुत्री राजा उम्र 18 वर्ष, सुरेश पुत्र सूबेदार उम्र 36 वर्ष, राम पति-पत्नी सुरेश उम्र 32 वर्ष, सालनी पुत्री सुरेश उम्र 6 वर्ष, कामिनी पुत्री सुरेश उम्र 9 वर्ष, सरवन पुत्र सुरेश उम्र 3 वर्ष, लकी पुत्र सुरेश उम्र 3 माह, रामलाल पुत्र राम सजीवन उम्र 55 वर्ष, विमला पत्नी रामलाल उम्र 51 वर्ष, सुशील पुत्र रामलाल उम्र 13 वर्ष, सुमंगल पुत्र राम बहादुर 35 वर्ष, आरती पत्नी शिवमंगल 33 वर्ष, पूजा पुत्री सुमंगल 9 वर्ष, जुगल किशोर पुत्र मंगल 7 वर्ष, नंदकिशोर पुत्र मंगल 4 वर्ष, शुभम पुत्र सुमंगल उम्र 2 वर्ष शामिल हैं।

मजदूरों से कई दिनों तक भूखे पेट काम कराया जा रहा था। इस बात की जानकारी करते हुए मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार ने बताया है कि जब उन्हें इस बात का पता चला तो वह स्वयं एक लोकल दुकानदार से बात करके उन्हें पैसे भेज करके उनके खाने पानी की व्यवस्था कर आया। राजस्थान के गंगानगर से छुड़ाया गए इन मजदूरों में एक बात तो कामन है कि यह सभी दलित वर्ग के हैं। सोचने वाला सवाल यह है कि क्या यह वर्ग आसानी से बंधुआ मजदूरी कराने वालों का शिकार हो जाता है?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसे मजदूरों के लिए  सरकारें जागरूक क्यों नहीं हो पाती हैं। जवाब की बात करें तो सरकार की अपेक्षा हमारे पास इन बातों का बेहतर जवाब होता है। लेकिन सरकार उनके लिए कुछ नहीं करती। हमारा संगठन असंगठित मजदूर मोर्चा गरीब दलित शोषित पीड़ित लोगों के लिए हमेशा संघर्ष करता रहेगा।




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