- आईजी परिक्षेत्र ने वादी को सौंपी धनराशि
- शेष धनराशि जल्दी दिलाने का दिया आश्वासन
बांदा। जौनपुर जनपद के मूल निवासी अब्दुल हकीम अंसारी जो कि बांदा में संयुक्त निदेशक अभियोजन के पद तैनात हैं को साईबर चोरों ने ठगी का शिकार बना लिया। उनके खाते से 1027174 रूपये धोखाधड़ी करके उड़ा दिए गए। पीड़ित के सूचना के बाद आईजी के निर्देश पर साईबर सेल ने कार्यवाही करते हुए पीड़ित की धनराशि वापस दिलाई।
आईजी परिक्षेत्र के के. सत्यनारायणा ने बताया कि संयुक्त निदेशक अभियोजन के पद पर तैनात श्री अंसारी के मोबाइल पर अभियुक्त द्वारा भारतीय स्टेट बैंक का कर्मचारी बताते हुये खाता अपडेट का झांसा देकर ओटीपी पूछकर, वादी के खाते से करीब दस बार में 10,27,174/- रुपये की साइबर धोखाधड़ी की गई। जिसके सम्बंध में परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थाना चित्रकूटधाम बांदा में वादी मुकदमा ने उपास्थित होकर अपनी लिखित सूचना धोखाधड़ी से सम्बंधित दी। जिसके आधार पर अभियोग पंजीकृत किया गया। जिसकी विवेचना प्रभारी निरी0 मो0 फहीम अख्तर द्वारा की जा रही है।
विवेचना के क्रम में परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थाना चित्रकूटधाम बांदा कि साइबर टीम प्रभारी निरी0 के साथ उ0नि0 श्रीमती सुषमा चौधरी, हे0का0 महितोष मिश्र, हे0का0कम्प्यूटर सौरभ कुमार, म0का0 प्रीति पटेल, का0 रविन्द्र सिंह, का0 दिनेश पटेल,का0 विशाल सेन ने त्वरित कार्यवाही करते हुये तकनीकि संसाधनों का प्रयोग कर, सम्बंधित से सम्पर्क स्थपित करके वादी के खाते में 7.39,793 /- (सात लाख उन्तालीस हजार सात सौ तिरान्वे रुपये) वापस कराये तथा शेष धनराशि वापसी हेतु प्रक्रिया व विवेचना प्रचलित।
साइबर टीम की इस कार्यवाही से प्रसन्न होकर वादी अब्दुल हकीम अंसारी नि0 ग्राम ताडतला(नैपुरा) थाना जफराबाद, जनपद- जौनपुर ने साइबर थाना टीम की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक चित्रकूटधाम,परिक्षेत्र बांदा का परिवार सहित सह्दय आभार व्यक्त किया।
प्रभारी निरी0 मो0 फहीम अख्तर द्वारा बताया गया कि आजकल यह देखने में आ रहा है कि साइबर अपराधी सिम बन्द होना, बैंक का खाता बन्द होना या केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर 10/- रुपये का रिचार्ज कराते है और ऐनीडेस्क, क्वीकस्पोर्ट, टीमवीवर जैसी एप्लीकेशन डाउनलोड कराकर फोन ऐक्सेस पर लेते है और साइबर धोखाधड़ी करते है। जनता से निवेदन है कि इस तरह के लोगों के झांसे में न आये और अपनी गोपनीय जानकारी किसी को न दें क्योंकि साइबर अपराध से सिर्फ जागरुकता ही बचा सकती है।
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