काम की तलाश में कहकर निकला था युवक, पहुंचा पाकिस्तान 12 साल बाद जेल से हुई रिहाई

  • 14 अगस्त को बांदा के युवक की पाकिस्तान की जेल से हुई रिहाई
  • अचानक आई खबर ने परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू भर दिए
  • कब और कैसे पाकिस्तान पहुंच गया इस बारे में परिजनों को जानकारी नहीं है

अरबिन्द श्रीवास्तव

बाँदा। 12 साल बाद अचानक आई एक खबर ने परिजनो की आंखों में खुशी के आंसू भर दिए। युवक काम की तलाश में साइकिल से घर से निकला था और फिर वापस नही लौटा तो मां बाप ने आशा छोड दी। साथ ही तमाम सवाल भी पैदा कर दिए कि उनका अविवाहित बेटा आखिर पाकिस्तान कैसे पहुंच गया और इतने साल वहां की जेल में कैदी बना रहा। 14 अगस्त को पाकिस्तान से हुई रिहाई। रामबहादुर को देखने के लिए पूरा परिवार पलकें बिछाए है। उसकी पाकिस्तान के लाहौर जेल से रिहाई हो गई। पाकिस्तान ने 14 अगस्त को उसे छोड़ दिया था। अभी अमृतसर के अस्पताल में भर्ती है। घर कब तक पहुंचेंगे। इसकी जानकारी परिवार को नहीं है।

अतर्रा के पचोखर अंश कोटेदार का पुरवा निवासी बुजुर्ग दंपति गिल्ला और उनकी पत्नी कुसमा ने बताया कि 12 साल पहले बेटा रामबहादुर लापता हो गया था। घर से काम की तलाश में जाने की बात कहकर गया था। साइकिल लेकर निकला था। परिचितों, नाते-रिश्तेदारी में खोजबीन की पर कोई खबर नहीं मिली। अतर्रा थाने में भी सूचना दी। राम बहादुर के छोटे भाई मइकू ने बताया कि उनके परिवार में मां-बाप के साथ पत्नी मिढ़िया, तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उन्होंने बताया कि रामबहादुर अविवाहित हैं। भाई घर से काम की तलाश में जाने की कहकर निकला था। कई बार काम के लिए जा चुका था। कब और कैसे पाक सीमा पर पहुंच गया। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

रामबहादुर के माता-पिता ने बताया कि जनवरी में चार पहिया से दो लोग आए थे, जिन्होंने रामबहादुर के पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद होने की जानकारी दी थी। इसके बाद किसी ने संपर्क नहीं किया। मंगलवार को पुलिसकर्मी आए थे। नाम-पता नोट कर ले गए। रामबहादुर के आने के बाबत कोई जानकारी नहीं दी। मंगलवार को अमृतसर प्रशासन ने जब फोन पर रामबहादुर के मिलने की सूचना दी तो घर में सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे।

पूर्व प्रधान लवकुश त्रिपाठी ने बताया कि इसी साल मई में लोकल इंटेलीजेन्स यूनिट की टीम गांव आई थी। उन्होंने पाकिस्तान प्रमुख सचिव का पत्र दिखाकर बताया था कि रामबहादुर पाकिस्तान की जेल में है। तहसीलदार ने घरवालों के बयान दर्ज किए थे। पत्र में लिखा था कि उसे पाकिस्तान में सात साल की सजा हुई है। वह पाकिस्तान कैसे पहुंचा! ये अभी किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि परिवार के लोग रामबहादुर को लाने के लिए पैसे की व्यवस्था करने  में जुट गए हैं।

परिवार ने रामबहादुर के लापता होने पर थाने में सूचना देने की बात कही पर अतर्रा थाना प्रभारी वीर प्रताप चौहान ने रिकॉर्ड में ऐसी कोई सूचना होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले पोस्टिंग हुई है। गुमशुदगी की बाबत रिकार्ड खंगाला गया पर कोई मामला दर्ज नहीं है। एसपी अभिनंदन ने बताया कि अतर्रा निवासी रामबहादुर पाकिस्तान जेल से रिहा किए गए हैं। इस संबंध में आधिकारिक संपर्क कहीं से नहीं किया गया है। सुर्खियों के जरिए जानकारी हुई। उनके बारे में जानकारी जुटाई गई है। कब तक बांदा पहुंचेंगे। अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।



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