भारत को एकता के सूत्र में पिराती है हिन्दी भाषा : आईजी

  • राजकीय महिला कॉलेज में हुआ हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन
बांदा। मंगलवार को राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आई.जी. के. सत्यनारायण एवं प्राचार्य डा. दीपाली गुप्ता ने हिन्दी प्रतिभाओं को सम्मानित किया। अपने वक्तव्य में आई.जी. बाँदा ने कहा कि हिन्दी जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली भाषा तो है ही, भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा भी है द्य प्राचार्य डॉ. दीपाली गुप्ता ने हिन्दी विभाग की रचनात्मक सक्रियता की तारीफ करते हुए कहा कि हिन्दी आज विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार देने वाली भाषा के रूप में स्थापित हुई है।

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा. शशिभूषण मिश्र ने ‘चंद्रपाल कश्यप स्मृति कविता सम्मान-2021’ की घोषणा की। उन्होंने बताया कि केदार स्मृति न्यास से जुड़े बाँदा के कवि चंद्रपाल कश्यप को कोरोना ने हमसे छीन लिया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की ऐसी छात्रा को प्रदान किया जाएगा जिसकी अभिरुचि कविता लेखन में होगी। 2100 रुपए नगद और सम्मान पत्र के साथ इस वर्ष का पुरस्कार प्राची मिश्रा को प्रदान किया गया। प्रतिवर्ष इस पुरस्कार राशि की व्यवस्था चंद्रपाल कश्यप के पुत्र प्रारब्ध कश्यप करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. अंकिता तिवारी ने हिन्दी की कालजयी कविताओं के पाठ के लिए छात्राओं  को आमंत्रित किया। साक्षी द्विवेदी ने सुभद्राकुमारी चौहान की ‘झांसी की रानी’, सावित्री निषाद ने मैथिलीशरण गुप्त की ‘पंचवटी’, नैन्सी सोनी ने महादेवी वर्मा की ‘जाग तुझको दूर जाना’, शिवी गुप्ता ने सोहनलाल द्विवेदी की ‘बढ़े चलो बढ़े चलो’, अंकिता गुप्ता ने बालकृष्ण शर्मा नवीन की ‘कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ’, अनुष्का मिश्रा ने हरिवंशराय बच्चन की ‘नीड़ का निर्माण फिर फिर’, मंजू पाल ने रामधारी सिंह दिनकर की ‘कुरुक्षेत्र’, विभा विश्वकर्मा ने केदारनाथ अग्रवाल की ‘मर जाऊँगा फिर भी’, नम्रता ने केदारनाथ अग्रवाल की ‘जो जीवन की धूल चाटकर’, सादिया ने दुष्यन्त कुमार की ‘साए में धूप’ की कुछ गजलों के साथ गोपाल दास नीरज के चर्चित गीत ‘तमाम उम्र मैं एक अजनबी’ का पाठ किया।

प्राध्यापकों में डा. अफजल और डा. विनय कुमार ने हिन्दी की भाषाई संस्कृति पर कविताएँ प्रस्तुत कीं द्य इस अवसर पर सबीहा रहमानी, डा. जितेन्द्र कुमार, डा. माया वर्मा, डा. जय कुमार चौरसिया, जयप्रकाश सिंह, जयन्ती सिंह, ज्योती मिश्रा, सपना सिंह, विनोद सिंह चंदेल, डा. सुधा तिवारी, वीरेन्द्र प्रताप चौरसिया, डॉ. अस्तुति  वर्मा, डा. नीतू सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।


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