तिंदवारी(बाँदा)। नेशनल हाईवे पर कस्बे में तकरीबन आधा दर्जन बड़े-बड़े गड्ढ़े जानलेवा साबित हो रहे हैं। जिसको लेकर कई बार खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।प्रकाशित खबर की न तो प्रशासन ने खबर ली और न ही एनएच अथॉरिटी ऑफ इंडिया, रायबरेली ने सुध ली। मगर आनन फानन में अस्थायी रूप से गड्ढों को ईंटों और कंकरीट से भरवा दिया। लेकिन यह अस्थायी व्यवस्था एक माह भी नही टिक पाई।
रात-दिन बालू भरे वाहनों की धमाचौकड़ी से बड़े-बड़े गड्ढ़े पहले की तरह जानलेवा साबित हो रहे हैं। यहां से गुजरने वाले वाहन अक्सर इन गड्ढों में फंस जा रहे हैं। घण्टों जाम की स्थिति भी बन जाती है, यातायात प्रभावित होता है। पानी भरे होने से गड्ढ़े की गहराई वाहन चालक भांफ नही पाते और जैसे ही निकलते है वैसे ही गिर कर घायल होते हैं। महोखर से लेकर बेंदाघाट तक तकरीबन एक सैकड़ा से ज्यादा छोटे बड़े गड्ढ़े पहले भाँति खतरनाक साबित हो रहे हैं।
बरसात में इन गड्ढों में पानी भर जाने से राहगीर हादसे का शिकार हो रहे हैं। नेशनल हाइवे के किनारे-किनारे बसे गांवों में महोखर, कुरसेजा, मुंगुस, तिंदवारी, जसईपुर, माटा, छापर, बेंदाघाट के ग्रामीण गड्ढ़ों से बेहद परेशान हैं। स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अभियंताओं से सड़क को स्थायी रूप से दुरुस्त कराने की मांग की है। उधर परियोजना प्रबंधक योगेश तिलक ने बताया कि कम्पनी द्वारा अप्रूवल (अनुमोदन) न मिल पाने टेंडर प्रक्रिया अभी रुकी है। पुराने ठेकेदार की अवधि बढ़ा दी गई है, 7 अक्टूबर से मरम्मती करण का शुरू हो जायेगा।
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