- महफिलों को लूटने में हैं माहिर तो दिलों के साथ ही कई दिमागों में भी है राजू भैया का राज
- पत्रकारिता लेखन हो या फिर कोरोना जागरूकता अभियान अथवा कोई भी मंच सिर चढ़कर बोलता है उनका जलवा
- लगातार सामाजिक कार्यों को करने वाले हंसमुख राजू भैया शारदीय नवरात्र दुर्गा पूजा महोत्सव में हैं व्यस्त
सूरज सिंह, विशेष संवाददाता
बाराबंकी। वे दिलों में ही नहीं कुछ लोगों के दिमाग में भी राज करते हैं। मुंहफट अंदाज लेकिन सरल बातचीत, चेहरे पर हमेशा निश्छल मुस्कान, किसी भी समाज सेवा के कार्य में अग्रणी। जी हां हम बात कर रहे हैं बाराबंकी जनपद के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया की। सच है हरफन में माहिर हरफनमौला भैया लोगों के दिलों में विश्राम करते हैं तो वही उनका कई दिमागों पर भी राज चलता है। फिलहाल तो इस समय वे माता रानी के दुर्गा पूजा महोत्सव में व्यस्त हैं। जनपद के हैदरगढ़ कस्बे के मूल निवासी कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया आज पहचान के मोहताज नहीं है। उन्होंने युवावस्था में कदम रखते ही समाज के तमाम कार्यों में अपनी भागीदारी शुरू कर दी थी। चाहे 1993 में मादक पदार्थों के विरुद्ध राज्यपाल तक उनकी पदयात्रा रही हो या फिर कई मुद्दों पर हैदरगढ़ बंद का आयोजन। अथवा कई आंदोलनों में उनका जेल जाना यह सब कुछ उनके व्यक्तित्व में एक इतिहास बनाता चला गया। एक समय में भाजपा के धुरंधर युवा नेता माने जाने वाले राजू भैया ने एकाएक अघोषित राजनीतिक वनवास की चादर ओढ़ ली! लेकिन अपने सामाजिक कार्यों को तेज कर दिया।
भैया ने पूरे जनपद की पदयात्रा करके वर्ष 2015 में लोगों को कन्या भ्रूण हत्या तथा शराब के नशे से दूर रहने एवं प्राथमिक शिक्षा के उन्नयन के लिए जमकर जागरूकता अभियान चलाया। यह बाराबंकी जनपद की बहुचर्चित पदयात्रा रही। यही नहीं उन्होंने श्मशान घाट की सफाई के सहित कई लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार में भी महती भूमिका निभाई। गोमती नदी का सफाई हो या फिर स्वच्छता अभियान हर मामले में राजू भैया युवाओं के प्रेरणा स्रोत बनते नजर आए। पत्रकारिता क्षेत्र में एक अलग स्थान रखने वाले कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया की खबरें आज भी तमाम लोगों को आइना दिखा जाती है।
निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले राजू भैया हर मुद्दे पर अपनी बात बेबाकी से रखते हैं। शायद यही वजह है कि आज देश के कई बड़े अखबारों में उनके संपादकीय पन्नों पर लिखे लेख दिखाई देते हैं। जिस समय कोरोना महामारी ने तांडव शुरू किया। इस दौरान राजू भैया ने अवधी भाषा में जमकर जागरूकता अभियान चलाया। उनके कोरोना गीत पूरे देश में खूब चर्चित हुए। उनकी अवधी भाषा में आम लोगों से बातचीत को लोगों ने खूब पसंद किया। इस दौरान उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया। राजू भैया को दिल्ली, राजस्थान, बनारस एवं मध्य प्रदेश कई स्थानों पर सम्मानित किया जा चुका है।
वर्तमान में शारदीय नवरात्र दुर्गा पूजा महोत्सव चरम पर है। ऐसे में अपने राजू भैया भी इस महोत्सव में व्यस्त हैं। वह हैदरगढ़ केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के 21 वर्षों तक अध्यक्ष रहे। वह पूजा के प्रबंधन की कड़ी तो हैं ही। अलबत्ता उनका हरफनमौला अंदाज जनता की मांग पर उन्हें मंच पर भी ले जाकर खड़ा कर देता है। फिर माता रानी के आम भक्त बन राजू भैया जब जगजननी का गुणगान करने जुटते हैं तो भक्तों में भक्ति एवं आनंद का हाहाकार मच जाता है। तभी तो गोतौना दुर्गा पूजा समिति हैदरगढ़ के प्रांगण में उनका 25 वर्षों से माता रानी के गुणगान का सहायतार्थ कार्यक्रम चल रहा है। माता रानी की भेंटे को गाते समय जो धन मिलता है उसे वह कमेटी को देकर चले आते हैं। यह श्री भैया की किशोरावस्था से चल रहा है।
लेकिन यह सब उनकी भक्ति है वह पैसे पर कहीं कार्यक्रम करने नहीं जाते। यही नहीं आदि गंगा गोमती को स्वच्छ रखने के लिए राजू भैया ने बड़ा अभियान चलाया। आज हैदरगढ़ क्षेत्र में लोग देव देवी प्रतिमाओं का विसर्जन गोमती में ना कर के बगल में खोदे गए गड्ढे में करते हैं। स्पष्ट है कि मंच चाहे भाषण देने का हो या फिर अपनी प्रस्तुति देने का! राजू भैया जहां भी पहुंचते हैं महफिल लूट लें जाते हैं। अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर को लूटे जाने के विरोध में दिल्ली जंतर मंतर में हुए प्रदर्शन में राजू भैया की बेबाकी ने उन्हें पूरे देश के लंगर चलाने वाले शिव भक्तों में चर्चित कर दिया ।लेकिन श्री भैया का जीवन साधारण है।
उन्होंने कभी पैसे को महत्व नहीं दिया। संस्कार, सेवा, कर्तव्य व स्वाभिमान यही उनके प्राथमिक जीवनसूत्र हैं। अपने व्यवहार से समाज के हर तबके में लोकप्रिय भैया को लोग कौमी एकता का प्रतीक बोलते हैं। तभी तो कई वर्षों तक वे मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ले से सभासद भी रहे। कुल मिलाकर यह सही है कि युवाओं के प्रेरणास्रोत्र कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया आवाम के दिलों में विश्राम करते हैं। तो कई लोगों का दिमाग भी इससे टेंशन में रहता है।
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