गुणवत्तायुक्त शोध एवं प्रसार गतिविधियों से ही कृषि क्षेत्र में आयेगा परिवर्तनः महानिदेशक



  • कृषि विश्वविद्यालय परिसर में हुआ दो दिवसीय समीक्षा कार्यशाला का आयोजन

बांदा। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के दो दिवसीय अर्धवार्षिक मूल्यांकन एवं समीक्षा कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में आयोजित किया गया है। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति  डा0 नरेन्द्र प्रताप सिंह एवं महानिदेशक, उपकार डा0 संजय सिंह द्वारा सयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया। उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार), लखनऊ के महानिदेशक डा0 संजय सिंह जी ने कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा की शोध उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र का विकास शासन की प्राथमिकता है। कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाओं का विकास हो सके इसके लिए सभी सहयोग प्रदान किया जायेगा। डा0 सिंह ने तेजी से बदलते मौसम एवं क्षीण होते प्राकृतिक संसाधनो के दृष्टिगत प्राकृतिक खेती, सहफसली खेती, कृषि-वानिकी, उद्यान-वानिकी, प्रसंस्करण, मूल्य वर्धित उत्पाद एवं कृषक हितैषि पारियोजना प्रस्ताव तैयार करने की बात कही।

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति डा0 नरेन्द्र प्रताप सिंह ने बुन्देलखण्ड की प्रथम कृषि विश्वविद्यालय, बीयूएटी, बाँदा में शोध की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए बुन्देलखण्ड की विशिष्ट जलवायु एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत शोध कार्यों के महत्व के बारे में बताया। विंध्य क्षेत्र के विशिष्ट फल, सब्जियों, औषधीय, वानिकी वृक्षों के संरक्षण एवं वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन की तकनीकों को विकसित करने तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विशिष्ट पहचान मोटे अनाज, कठिया गेहूँ, दलहन, तिलहन, रेशा फसलों की उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियाँ विकसित करने तथा कृषि प्रौद्योगिकी विकसित करने का आहवान किया। 

बी0यू0ए0टी0, बाँदा के अन्तर्गत उपकार प्रायोजित शोध परियोजनाओं के अर्धवार्षिक मूल्यांकन की दो दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस महानिदेशक, उपकार लखनऊ, प्रधान वैज्ञानिक, उपकार, निदेशक, प्रसार निदेशालय, अधिष्ठाता, उद्यान महाविद्यालय, कृषि महाविद्यालय, वानिकी महाविद्यालय एवं प्राध्यापकों द्वारा कृषि विश्वविद्यालय के शोध प्रक्षेत्रो, प्रदर्शन इकाईयों, पौधशाला, उत्तक संवर्धन इकाई, फल प्रसंस्करण इकाई, संरक्षित खेती, उच्च प्रौद्योगिकी उद्यानिकी, जैव प्रौद्योगिकी इकाई, मूल्य सवंधित इकाई का भ्रमण किया गया। 

सभी प्रक्षेत्रों, प्रयोगशालाओं में संचालित शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों के भ्रमण उपरान्त, महानिदेशक, उपकार, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा एवं निदेशक प्रसार, ने समापन समारोह में प्रतिभागिता कर रहे वैज्ञानिकों, प्रध्यापकों एवं शोध सहायकों से शोध कार्यों को समयानुकुल एवं कृषक हितैषी बनाने पर जोर दिया।डा0 संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार ने शोध कार्यों ने जैव प्रौद्योगिकी के प्रयोग तथा प्रसंस्करण के महत्व पर प्रकाश डालते हुये, वैज्ञानिकों को बुन्देलखण्ड के लिये प्रजातियाँ विकसित करने तथा उद्यानिकी-वानिकी के सर्वात्तम पौध सामाग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। बुन्देलखण्ड के विकास में उद्यानिकी की प्रचुर संभावना पर निदेशक प्रसार, डा0 एन0 के0 बाजपेयी ने जानकारी देते हुये व्यवसायिक उत्तक संर्वधित इकाई की स्थापना की आवश्यकता बताई। 

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उपकार के सहयोग से 5 परियोजनायें संचालित की जा रही है, जिनके प्रधान अन्वेषकों कमशः  डा0 ए0 के0 श्रीवास्तव, डा0 चन्द्र मोहन सिंह, डा0 कमालुद्दीन, डा0 आर0 के0 सिंह, डा0 हितेश कुमार एवं डा0 बी0 एस0 राजपूत ने अपने प्रस्तुतीकरण दिये। उपकार के प्रधान वैज्ञानिक डा0 बी0 के0 तिवारी ने समीक्षा की तथा भविष्य के परियोजना प्रस्तावों के लिए मार्गदर्शन किया। इस कार्यशाला में सभी अधिष्ठाता, निदेशक एवं प्राध्यापकों ने प्रतिभागिता की। कार्यशाला में आये सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करते हुये सह निदेशक शोध, डा0 ए0सी0 मिश्रा ने भविष्य में विश्वविद्यालय के शोध क्षेत्र में और भी सार्थक प्रयास करने की बात कही।

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