Baba Umakant Ji Maharaj : अगर मनुष्य शरीर पाने की कीमत न समझे तो शरीर छूटते ही होती है भारी तकलीफों की शुरुआत


  • दूरदर्शी राजा की कहानी से समझाया कि शरीर के रहते-रहते अपनी जीवात्मा के लिए थोड़ी जगह प्रभु के धाम में भी बनाओ

उज्जैन, मध्य प्रदेश। इस मिथ्या जगत के फेर में फंस कर अपना सम्पूर्ण मानव जीवन व्यर्थ न करने और मृत्यु के बाद कि तैयारी पहले ही करने की शिक्षा देने वाले इस समय के पूरे सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 5 जनवरी 2022 को रत्नाखेड़ी उज्जैन (म. प्र) में दिए व यूट्यूबचैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव संदेश में बताया कि मनुष्य शरीर से प्रभु की अंश जीवात्मा के निकलने के बाद मिट्टी को श्मशान घाट पर ले जाकर जलाकर राख कर देंगे। शरीर की तो मुक्ति करा देते हैं लेकिन जीवात्मा की मुक्ति नहीं होती है। इसको कर्मों के अनुसार नर्कों में जाना पड़ता है, मार पड़ती है, काटी जाती है, सड़ाई-गलाई जाती है।

मनुष्य शरीर छूटने के बाद जीवात्मा को पिशाच के शरीर में डाल कर देते हैं तरह-तरह सजाए

मनुष्य शरीर तो छूट जाता है लेकिन पिशाच का शरीर जो मनुष्य शरीर जैसा ही होता है, उसमें बंद करके ले जाते हैं, सजा देते हैं। जब वहां से छुटकारा मिलता है तब कीड़ा, मकोड़ा, सांप, बिच्छू आदि के शरीर में जीवात्मा बंद की जाती है। चौरासी लाख योनियां बताई गई। इतनी बार मरना और पैदा होना पड़ता है। जन्मत-मरत दुःसह दु:ख होई। बहुत तकलीफ होती है। अंत में गाय-बैल की योनि के बाद फिर यह मनुष्य शरीर मिलता है।

 चौरासी लाख योनियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ योनि है मनुष्य शरीर, यह बार-बार मिलने वाला नहीं

इसीलिए इसको चौरासी लाख योनियों में उत्तम और सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। मनुष्य शरीर जो अभी मिला है यह फिर जल्दी मिलने वाला नहीं इसलिए शरीर के रहते-रहते अपना काम बना लो। अपना काम क्या है? जो इस शरीर के लिए करने में लगे हुए हो, यह अपना काम नहीं है। आप कहते हो मेरा बैंक बैलेंस, मेरी जमीन, मेरा मकान लेकिन जब शरीर छूटेगा तो सब दूसरे का हो जाएगा। शरीर के रहते-रहते आप अपनी जगह बनाओ जहां से कोई आपको निकाल नहीं सकता।

दूरदर्शी राजा के माध्यम से समझाया कि मौत के बाद की तैयारी पहले ही कर लो

एक राज्य था। वहां का नियम था कि राजा को एक साल तक रखते थे। एक साल पूरा होने पर राज्य के बाहर एक नदी के पार के जंगल में ले जाकर के राजा को छोड़ देते थे। एक समझदार होशियार राजा आ गया। उसने प्रजा को बुलाया कहा मेरा कहना मानोगे? प्रजा बोली एक साल तक। मंत्री को बुलाया, कह प्रजा को ले जाओ नदी के उस पार। सब जंगल कटवा दो। वहां दुकानें, कल कारखाने खुलवा दो, घर, महल बनवा दो, इसी तरह का एक राज्य उधर बनवा दो। मंत्री ने 6 महीने के अंदर तैयार कर दिया। 

एक साल के बाद प्रजा ने जंगल में राजा छोड़ा तो उधर जंगल था नहीं। खेती, कल-कारखाने, दुकानें, प्रजा का चहल-पहल था। जैसे इधर आदमी वैसे उधर भी आदमी दिखाई पड़ रहे थे। तो जब वहां जब गया तो उसी महल में पहले की तरह राज्य करने लग गया। ऐसे ही इस जीवात्मा के लिए आपको अपनी थोड़ी जगह बनानी है। तो कहां बनेगी? वहां प्रभु के धाम में, प्रभु के पास वहां बन जाएंगी। कैसे बन जाएगी? इसी गृहस्थ आश्रम में रहते हुए सीधा सरल रास्ता नामदान का आपको बताया जाएगा, उससे।

सन्त उमाकान्त जी के वचन

शरीर के रहते-रहते ही मुक्ति-मोक्ष मिलता है। अंतर में प्राप्त हुई शक्तियां इच्छा करते ही फल देने लगती है। भक्तों को मस्त रहना चाहिए, उनके ऊपर तारीफ या निंदा का फर्क नहीं पड़ना चाहिए। स्त्री मादा योनि में ही जाती हैं। अंतर में मानसरोवर में स्नान करने पर नर-मादा का भेद खत्म हो जाता है।

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