जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में हर्षोल्लास पूर्ण मनाया गया बसन्त पंचमी का पर्व

राजेश कुमार शास्त्री, ब्यूरो चीफ

सिद्धार्थनगर। जनपद मुख्यालय सिद्धार्थनगर सहित सभीं तहसील क्षेत्रों  के विभिन्न ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में स्थित सरस्वती शिशु व विद्यामन्दिरों में बसन्त पंचमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास व सादगी पूर्ण मनाया गया। पौराणिक व धार्मिक पंचांग के अनुसार प्रतु वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है। बसंत पंचमी के दिन किसी भी अच्छे कार्य की शुरूआत बिना किसी मुहूर्त के ही किया जा सकता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण कर विद्या की देवी भगवती सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है।

बताया जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा की जाती है। इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण कर भगवती सरस्वती की प्रतिमा अथवा छविचित्र को स्थापित किया जाता है तत्पश्चात शिखाबन्धन कर तिलक लगाया जाता है। इसके बाद धूप-दीप जलाकर माता सरस्वती जी को पीले पुष्प अर्पित किया जाता है । 

बसंत पंचमी के दिन यदि सरस्वती जी की पूजा मे सरस्वती स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इससे व्यक्ति को अद्भूत परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही आज के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, वाद्य यंत्र और किताबें रखकर उनको भी धूप-दीप दिखाएं और विधि विधान से पूजा करने तथा पूजास्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की प्रतिमाएं स्थापित कर श्री सूक्त का पाठ करना अत्यन्त कल्याणकारी व लाभकारी होता है।इसीलिए इस बसन्तपंचमी के दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के ही किया जा सकता है। 

शास्त्रों में इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष कार्य जैसे बसंत पंचमी के दिन प्रात: काल जगने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियां देखने से मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर फल प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के दिन शिक्षा से जुड़ी चीजें किसी जरुरतमंद को दान करना चाहिए। तथा इस दिन पुस्तकों की पूजा कर उनपर मोरपंख रखने से छात्रों का मन पढ़ाई में लगने के साथ ही उसके अन्दर एकाग्रता बढ़ती है। 

इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन पीले वस्त्र पहनकर पीले और सफेद रंग के फूलों एवं अन्य नानाप्रकार के पूजन सामग्री से पूजा करना चाहिए। क्योंकि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना कर उनके मंत्रों ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा जो अति प्रभावशाली मन्त्र है का जप करने से अथवा सरस्वती स्तोत्र व सरस्वती कवच का पाठ करने से विद्या-बुद्धि एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है इसमें कोई सन्देह नहीं है।

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