बांदा की छह खास खबरों को पढ़ें



कृषि विज्ञान केन्द्रों का प्रयास विज्ञान व वैज्ञानिकता पर आधारित हो : कुलपति

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ

बांदा। बुन्देलखण्ड में उद्यान व वानिकी के महत्व को देखते हुये सभी कृषि विज्ञान केन्द्र उद्यान व वानिकी फसलों पर भी अन्य फसलों की तरह तकनीकी का प्रसार करें। इसे बढ़ावा देने के लिये सभी कृषि विज्ञान केन्द्र हाई टेक नर्सरी स्थापित करें। पशुपालन में थारपारकर नस्ल का प्रचार आवश्यक है, बुन्देलखण्ड के लिये यह नस्ल उपयोगी है। इसके अतिरिक्त लाल सिन्धी नस्ल भी यहाँ अच्छा उपयोगी हो सकती है। बुन्देलखण्ड की जालौनी नस्ल की भेंड कृषि विज्ञान केन्द्र, जालौन में रखा जाय जिससे उसका प्रसार हो सके। पशुपालन में भदावरी नस्ल की भैंस भी अच्छा उत्पादन दे सकती हैं। दलहन एवं तिलहन की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों को एक कृषि विज्ञान केन्द्र से अन्य कृषि विज्ञान केन्द्रों में भी कृषकों के लिये उपलब्ध कराया जाय। 

सभी कृषि विज्ञान केन्द्र प्रसार निदेशालय के नेतृत्व में एक लम्बी अवधि के लिये रूपरेखा एवं योजना बनाकर कार्य करें, जोकि बुन्देलखण्ड के विकास के लिये आवश्यक है। सभी जनपदों के जनसंख्या, कृषि कार्य, प्रमुख फसलें एवं सम्बन्धित अन्य जानकारी के बारे में सूचनायें संकलित कर कार्य करें। यह सुझाव कृषि विश्वविद्यालय बाँदा के कुलपति प्रो0 नरेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रसार निदेशालय द्वारा आयोजित द्वितीय प्रसार परिषद के बैठक में दी। प्रो0 सिंह ने सभी कृषि विज्ञान केन्द्र के केन्द्राध्यक्षों से कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र से जुड़े कृषकों से उनके अनुभव से अगली रणनीति तैयार करें। नई तकनीकी एवं नई प्रजाति जल्द से जल्द कृषक समूह में कैसे पहूँचे इसके लिये हमारी कोशिश होनी चाहिये।

प्रसार परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार व परिषद के सदस्य सचिव प्रो0 एन0 के0 बाजपेयी ने सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों की प्रगति आख्या एवं आगामी योजनाओं को प्रस्तुत किया। प्रो0 बाजपेयी ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रसार गतिविधियों के साथ-साथ दस अलग अलग शोध परियोजनायें संचालित हो रही हैं। दक्षता विकास कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ युवाओं को दक्ष बनाने के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी बनाया जा रहा है। दक्षता प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत दुग्ध उत्पादन, मशरूम, नर्सरी, उच्च गुणवक्ता युक्त बीजोत्पादन विषयक प्रशिक्षण दिये गये हैं। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा लगभग 880 हे0 क्षेत्रफल में दलहन व तिलहन में प्रदर्शन 94.8 हे0 में अनाज एवं मोटे अनाज वाली फसलों में तकनीकी प्रसार के लिये किया गया। तकनीकी सहायक कार्यक्रम के अन्तर्गत एकीकृत न्यूट्रीशन प्रबन्धन पर 25, एकीकृत रोग प्रबन्धन पर 70, एकीकृत पेस्ट प्रबन्धन पर 66, प्रजाति मूल्यांकन पर 66, रोग प्रबन्धन पर 10 तथा पोषण प्रबन्धन पर 61 कार्यक्रम आयोजित किये गये।

प्रो0 बाजपेयी ने बताया कि सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा लगभग 1721.44 कु0 दलहन तथा 1021.04 कु0 गेंहूँ व धान के उच्च गुणवक्ता युक्त बीज का उत्पादन कर कृषकों को उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा सब्जी, फूल, फल, वानिकी व औषधीय पौधों के लगभग 391933 पौध रोपण सामाग्री वितरित की गयी है। 2477 प्रसार कार्यक्रम आयोजित हुये जिससे 155966 कृषक लाभान्वित हुये। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में 22 फसलों को न्यूट्री गार्डन में लगाने हेतु लगभग 16008 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया। आदिवासी सब परियोजना के तहत झाँसी, जालौन, महोबा व ललितपुर के आदिवासी कृषकों को प्रशिक्षित कर स्वावलम्बी बनाने का कार्य किया गया। प्रो0 बाजपेयी ने कहा कि प्रसार गतिविधियों को और अच्छा करने हेतु सदस्यों के सुझाव भविष्य में लागु किये जायेंगे।

प्रसार परिषद के सदस्य डा0 एस0 एस0 सिंह, निदेशक प्रसार, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी ने अपने सुझाव में बताया कि बुन्देलखण्ड में उर्द, गेंहूँ फसलचक्र काफी प्रचलित है। इन फसलों की अच्छी प्रजाति के प्रसार की आवश्यकता है। बुन्देलखण्ड की मृदा में कार्बनिक पदार्थ की कमी है, जिसको बढ़ानें हेतु जागरूकता एवं प्रयास आवश्यक है। धान वाले क्षेत्रों में सीधे बीज बुआई हेतु तथा 110 दिन के भीतर तैयार होने वाली प्रजाति को प्रचलित करने की जरूरत है। बुन्देलखण्ड में औद्यानिक फसलों की सम्भावनायें बहुत ज्यादा है। बुन्देलखण्ड में अंजीर, डैगन फ्रूट तथा स्ट्राबेरी कृषक आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हरे मटर की मांग को देखते हुये कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन किया जा सकता है जिससे मांग पूरी हो सके। कृषकों के उत्पाद को बाजार से जोड़ने हेतु यथासम्भव प्रयास करना जरूरी है। प्रसार परिषद के मा0 सदस्य व जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर की पूर्व निदेशक प्रसार, डा0 (श्रीमति) ओम गुप्ता ने भी अपने अनुभव साझा किये। 

उन्होने बताया कि युवाओं के लिये रोजगारोन्मुखी अल्प अवधि का दक्षता प्रशिक्षण शुरू करें। प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को कृषक उत्पादक समूह से जोड़कर उनके उत्पाद की बिक्री सुनिश्चित करवायें। कृषक प्रक्षेत्र तथा केन्द्र के प्रक्षेत्र पर बहुसतही खेती को प्रचलित करें। मत्स्य तालाब के किनारे खाली स्थान का उपयोग अवश्य करने हेतु कृषकों को जानकारी प्रदान करें।बैठक में सभी जनपदों के कृषक प्रतिनिधियों, विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालय के अधिष्ठातागण, सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के केन्द्राध्यक्ष, कृषि प्रसार विभाग के विभागाध्यक्ष व कृषक सम्मानित सदस्य के रूप में उपस्थित रहे। बैठक में निदेशक शोध, सह निदेशक प्रसार डा0 आनन्द सिंह व सहायक निदेशक प्रसार, डा0 पंकज कुमार ओझा भी उपस्थित रहे तथा सह निदेशक प्रसार, डा0 नरेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।

देश के आजादी में शहीद भगत सिंह का महत्वपूर्ण योगदानः लालू दुबे

  • कांग्रसियों ने बलिदान दिवस पर राजगुरू और सुखदेव को भी किया याद

बाँदा। बुधवार को देश के अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, शुखदेव का बलिदान दिवस कांग्रेस कार्यालय में मनाया गया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष लालू दुबे ने कहा कि आज के दिन इन महान पुरुषों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है। महान सपूतो के बलिदानों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इस मौके पर जिलाध्यक्ष सहित कांग्रेसी नेताओं ने चित्र पर तीनों शहीदों के चित्रों माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदुम्न कुमार लालू दुबे कहा कि इन महान सपूतों के बलिदान को कभी भी देशवासी भूल नही सकते है। यह लोग हमेशा देशवासियों के दिलों में जिन्दा रहेंगे। 

इन महान सपूतों के रक्त की एक एक बूंद देश के लोकतंत्र को सशक्त करेंगी, इनका हम पर जो कर्ज है। इसे कभी हम उतार नही सकते है।  सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है पढ़कर करो या मरो प्रकोष्ठ के संयोजक राजेश गुप्त पप्पू ने बैठक का संचालन शुरु किया। कार्यक्रम में  बी लाल, धीरू पाण्डे, केशव पाल, अनुरूद्र पाण्डे, नाथूराम सेन बसीम भाई, के पी सेन, अलीबक्स, सरफराज, अशोक वर्धन, चंदा देवी, आशीष सोनी, सुखदेव गाँधी आदि शामिल रहे।

सपाईयों ने जयंती पर डा. राममनोहर लोहिया को किया याद

  • सपा कार्यालय में मनाई गई जयंती

बांदा। बुधवार को समाजवादी पार्टी जिला कार्यालय में समाजवादी चिंतक और विचारक गरीब किसान मजदूर दबे कुचले शोषित लोगों के मसीहा डा. राम मनोहर लोहिया की जयंती मनाई गई उनकी प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाकर उनके विचारों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष विजय करण यादव ने किया और कहा की लोहिया ने जिस तरह से अपने जीवन काल में सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करने का काम किया और गरीब किसान शोषित लोगों की लड़ाई लड़ने का काम डाक्टर लोहिया ने किया वह एक महान पुरुष थे कार्यक्रम का संचालन जिला महासचिव मोहम्मद हनीफ ने किया।

इस मौके में उपस्थित वरिष्ठ नेता हसनुद्दीन सिद्दीकी जिला उपाध्यक्ष अशोक श्रीवास चेयरमैन मोहन साहू ईशान सिंह लवी कल्लू चौहान विद्यासागर तिवारी आलोक यादव अवध बिहारी यादव राजकुमार गुप्ता  मिश्री लाल यादव नंदू यादव राजन चंदेल आमिर खान मुशीर अहमद अरविंद यादव अफजल भाई राकेश राजपूत संत राम बाल्मिक अजय चौहान आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 

जसपुरा/बांदा। जसपुरा ब्लाक् परिसर में आज बुधवार को दो दिवसीय ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुवात की गई। कार्यक्रम में ब्लॉक क्षेत्र की आशाबहुओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका, समूह की महिलाओं को जल गुणवत्ता जांच पर क्षमता संवर्धन के बारे में बताया गया।ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के द्वारा घर-घर शुद्ध व स्वाच्छ जल पहुँचाने के साथ ही ग्राम पंचायत से पांच-पांच महिलाओं को रोजगार मिले इसके लिए मशीन के द्वारा पानी की गुणवत्ता जांच करने की ट्रेंनिग मास्टर ट्रेनरों के द्वारा दी गई।मास्टर ट्रेनर हनीफ खान ने सभी महिलाओं को मशीन के द्वारा कैसे पानी की जांच की जाती हैं सिखाया गया।मास्टर ट्रेनर मनोज कुमार के द्वारा भी सभी महिलाओं को स्वच्छ जल के लाभ बताया गए।

अब गोद लेकर सुधारी जाएगी क्षय रोगियों की सेहत

  • एनजीओ व आम नागरिक भी ले सकते हैं गोद
  •  जिले में 704 क्षय रोगियों को किया गया चिन्हित

बांदा। प्रशासनिक अधिकारियों अफसरों और जनप्रतिनिधियों की तरह अब आमनागरिक भी क्षय रोगियों को गोद ले सकेंगे। गोद लिए जाने से क्षय रोगियों की सेहत में जल्दी सुधार लाया जा सकता है। जनपद में 704 क्षय रोगियों को गोद लेने का लक्ष्य रखा गया है। 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस पर इसकी शुरूआत होगी। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इच्छुक लोगों के आवेदन पर क्षय रोगियों को गोद दिया जाएगा।

केंद्र और प्रदेश सरकार देश को वर्ष 2025 से पूर्व क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए जुटे हुए हैं। क्षय रोगियों को बीमारी से छुटकारा दिलाते हुए उनकी सेहत सुधारने के लिए प्रदेश स्तर पर अभियान चल रहा है। इसके साथ ही क्षय रोग के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है, जिससे लोग लक्षण दिखते ही मरीजों की जांच कराने के साथ इलाज करवा सकें। वहीं, अब क्षय रोगियों को गोद देने की योजना शुरू की जा रही है। जब क्षय रोगी की सेहत बेहत रहो जाएगी तो गोद लेने वाले व्यक्ति को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित भी किया जाएगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजय कुमार शैवाल ने बताया कि क्षय रोगियों को बीमारी से छुटकारा दिलाते हुए उनकी सेहत सुधारने के लिए शासन की ओर 700 क्षय रोगियों को गोद लेने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन यहां लक्ष्य को बढ़ाते हुए 704 रोगियों को गोद लिया जाएगा। ेउन्होंने कहा कि थकान, बुखार, तीन या उससे ज्यादा हफ्तों से खांसी, खांसी में खून आना, खांसते या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना, अचानक वजन घटना, ठंड लगना और सोते हुए पसीना आना इत्यादि टीबी के लक्षण होते हैं। इसको बिल्कुल भी नजर अंदाज मत करें। समय से और इलाज लें।

गोद लेने वाले करेंगे खानपान की व्यवस्था

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोगियों को गोद लेने के बाद उनके खानपान की व्यवस्था गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था को ही करनी होगी। इसके लिए अलग से बजट का कोई प्रावधान नहीं है। क्षय रोगियों को प्रोटीन से भरपूर खुराक डाइट दी जाती है। इसमें चना, गुड़ आदि शामिल होता है। यही नहीं, महीने में एक बार क्षय रोगी के घर जाकर हालचाल भी लेना होगा।

विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर विशेषः नियमित इलाज से रितिका ने दी टीबी को मात

  • आत्मविश्वास से खाई दवा, एक्सडीआर से मिली निजात
  • रोग के खिलाफ समुदाय में लोगों को कर रहीं जागरूक

बांदा। क्षय रोग यानि टीबी को हराने के लिए दो बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। पहला समय से इलाज शुरू हो जाए और दवा का सेवन नियमित किया जाए। इससे अधिक गंभीर एमडीआर व एक्सडीआर टीबी ग्रसित मरीज भी पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकते हैं। कुछ ऐसा ही संदेश दे रही हैं छात्रा रितिका। शहर के आवास विकास कालोनी निवासी 24 वर्षीया रितिका (बदला हुआ नाम) भी एक्सडीआर टीबी से ग्रसित थीं, लेकिन नियमित दवाओं के सेवन से न सिर्फ उन्होंने खुद को पूरी तरह टीबी मुक्त कर लिया बल्कि समाज में इस रोग के खिलाफ मुहिम भी छेड़ रखी है।

रितिका बताती हैं कि वह वर्ष 2019 में भोपाल (मध्यप्रदेश) में रह कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहीं थी। तभी उसे बुखार, खांसी व जुकाम हो गया। दवा खाने से बुखार ठीक हो गया, लेकिन जनवरी 2020 में अचानक से फिर बुखार आया। चिकित्सक ने सीने का एक्स-रे की जांच करवाई, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। बुखार, दवा और जाँच यह क्रम चलता रहा। घर आकर परिजनों को बताया, लेकिन लाकडाउन की वजह से सही इलाज नहीं मिल पाया। कुछ दिन बाद डाक्टर ने जांच के बाद उसे एक्सडीआर टीबी होने की पुष्टि की।

रितिका ने बताया कि एक्सडीआर का इलाज 18 माह से तीन साल तक होता है। डाक्टर की सलाह पर उसने दवा का सेवन शुरू कर दिया। दवा खाने में उसे कुछ दिक्कतें भी हुईं, जैसे उल्टी आना, गैस बनना, सिरदर्द, घबराहट, बेचौनी, सांस फूलना, बाल झड़ना व त्वचा आदि की समस्याएं आईं। इसके बावजूद दवा खाना बंद नहीं किया, जिसका नतीजा रहा कि उसका इलाज पूरा हो गया है। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गई है। वह लोगों को इसमें लारवाही न करने के बारे में जागरूक कर रही हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजय कुमार शैवाल ने कहा कि थकान, बुखार, तीन या उससे ज्यादा हफ्तों से खांसी, खांसी में खून आना, खांसते या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना, अचानक वजन घटना, ठंड लगना और सोते हुए पसीना आना इत्यादि टीबी के लक्षण होते हैं। इसका इलाज संभव है। सरकार की तरफ से इलाज बिल्कुल मुफ्त है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखे तो संकोच नहीं करें। तत्काल अस्पताल आकर अपनी जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी होने की पुष्टि होती है तो दवा लेकर तत्काल इलाज शुरू करवा लें। इससे जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। इलाज में देरी करने पर यह खतरनाक हो सकता है। जनपद में टीबी के 1236 मरीज हैं। जिन्हें निक्षय पोषण योजना से 500 रूपए की हर माह प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।  

बीमारी के चलते उठा पिता का साया

बांदा। रितिका बताती हैं कि उनके पिता 50 वर्षीय राजकुमार (परिवर्तितनाम) एक व्यवसायी थे। काफी समय से वह बीमार चल रहे थे। वर्ष 2016 में उनकी तबियत ज्यादा खराब हुई। घरवाले उन्हें अस्पताल ले गए। जहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ। लेकिन तबियत में सुधार नहीं हुआ। मार्च 2017 में उनकी मृत्यु हो गई। पिता के मौत कुछ महीने बाद छोटे भाई आकाश (परिवर्तित नाम) की तबियत खराब हुई। जांच में डाक्टर ने टीबी बताई। बिना देर किए ही उसका इलाज शुरू करा दिया गया। वह अब पूरी तरह से ठीक है।

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