होली के दिन यह संकल्प बनाओ की जीवात्मा का कल्याण सच्चे सन्त की खोज करके इसको नरक-चौरासी से छुटकारा दिलायेंगे : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • आज होली के दिन संकल्प बनाओ दु:ख के संसार में रोने-धोने के लिये नही आयेंगे जो गुरु ने रास्ता बताया उसको विश्वास के साथ करेंगे 
  • होली के दिन आपके अंदर कोई बुराई है तो उसको छोड़ने का मौका है 

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। अनमोल मनुष्य शरीर की वास्तविक कीमत और असली उद्देश्य को बताने वाले, त्योहारों के असली मतलब को बताने-समझाने वाले, इस समय के पूरे महापुरुष उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 10 मार्च 2020 को उज्जैन में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम पर प्रसारित संदेश में बताया कि तीज-त्यौहार किसने बनाया? सन्त, महात्माओं, ऋषि-मुनियों ने बनाया। किस लिए बनाया? लोगों को समझाने, बताने, लाभ दिलाने के लिए। लेकिन जब से सतसंग से अलग हो गए, महात्माओं से दूर हो गए तो त्यौहार मनाने का तरीका बदल गया। होली के दिन कोई पुआ, मिठाई, गुजिया बना खा रहा है, कोई भांग, कोई शराब पी रहा है, तरह-तरह से होली के त्यौहार को हुड़दंग बना दिए। 

होली का मतलब न समझ पाने की वजह से शराब भांग पी करके हुड़दंग करते हैं लोग 

जो 24 घंटे गुलाल और अबीर उड़ रहा है जिसकी नकल यहां पर (इस दुनिया में) किया गया है कि उपर इस तरह से गुलाल-अबीर होता है, होली हमेशा होती रहती है। खुशी का वह देश है। खुशी हमेशा वहां रहती है। रोना-धोना नहीं है। उसी तरह से त्यौहार के दिन खुशी मनाओ लेकिन अब उसको छोड़ करके कीचड़, गोबर, मिट्टी की होली लोग खेलने लग गए। कपड़े गंदे, बदन गंदे, बीमारियां पैदा करने लग गए शराब पीकर भांग पीकर करके। त्योंहार की रूपरेखा ही बदल गई। 

आज होली के दिन आपके अंदर कोई बुराई है तो उसको छोड़ने का मौका है 

त्यौहार के दिन बुराइयां छोड़नी चाहिए। आप लोगों को भी अपने अंदर अगर कोई कमी महसूस होती है तो उसको आज ही छोड़ अच्छाई को ग्रहण कर लीजिए। सबसे अच्छी चीज, सबसे बड़ी अच्छाई है कि जीवात्मा का कल्याण किया जाए, इसको नरकों-चौरासी से छुटकारा दिलाया जाय। 

बच्चे को मां के पेट में 24 घंटा प्रभु का दर्शन होता रहता है 

जन्मते वक्त देखो कितनी पीड़ा होती है। बच्चा रोते हुए ही पैदा होता है। आज तक कोई बच्चा हंसता हुआ पैदा नहीं हुआ। चुपचाप अगर पैदा हुआ, रोया नहीं तो बचा नहीं। रोते क्यों है? तकलीफ, कष्ट होता है क्योंकि नंगा पैदा होता है। गर्म और ठंड हवा बच्चे के कोमल बदन में सैकड़ों सुई की तरह चुभता है। मां के पेट में जब रहता है तो 24 घंटे प्रभु का दर्शन होता रहता है। जब बाहर निकलता है तो माया का पर्दा पड़ जाता है। प्रभु का दर्शन होना बंद हो जाता है तो रो पड़ता है अपनी औकात से तेज रोता है। 

जन्म लेते और मरते समय बहुत तकलीफ होती है 

जन्मते वक्त और मरते वक्त भी तकलीफ होती है जो पापी कुकर्मी जीव होते हैं उनकी जीवात्मा को यमराज के दूत मार-मार करके जब निकालते हैं तो हड्डी-हड्डी चटकती है। उस वक्त पर आंख की रोशनी खत्म, कान से सुनाई नहीं पड़ता, जुबान तुतली हो जाती है। कितना भी आवाज लगाए काका चाचा दादा नाना मामा लेकिन कोई मददगार होता है? नहीं होता। बहुत तकलीफ जन्मते और मरते वक्त होती है। 

आज संकल्प बनाओ कि दु:ख के संसार में दुबारा रोने-धोने के लिये नही आयेंगे, जो गुरु ने रास्ता बताया उसको विश्वास के साथ करेंगे 

इस समय पर पूरी जिंदगी रोने में ही लोगों की निकलती जा रही है। अब इस दुख के, रोने धोने के संसार में दुबारा आना न पड़े, यह संकल्प आज बनाने की जरूरत है। यह कब होगा? कैसे होगा? यह संभव होगा कि नहीं होगा? संभव होगा, विश्वास की बात होती है। मजबूती विश्वास में लानी चाहिए। विश्वास डगमगाना नहीं चाहिए।

जो रास्ता बताने वाले होते हैं, गुरु कहलाते हैं। चाहे इस धरती पर बतावे और दुनिया की चीजों का बोध करावे। चाहे क ख ग घ, ए बी सी डी पढ़ावे, चाहे अध्यात्मिक विद्या का ज्ञान करावे। जहां सारी विद्या खत्म हो जाती है वहां से अध्यात्मिक विद्या की शुरुआत होती है। जो उस विद्या का ज्ञान करावे है उनको गुरु कहते हैं। उन पर भरोसा औऱ विश्वास करना चाहिए। उनके वचनों के अनुसार चलना चाहिए तो कामयाबी मिल जाती हैं। 

सन्त उमाकान्त जी के वचन 

शिव नेत्र सबके पास है। समरथ गुरु की दया से खुल सकता है। जो जीवों पर दया करेगा, ईश्वर उसकी मदद करेगा। साधक को गुरु के वचन पर कुर्बान होना चाहिए। समरथ गुरु, कामिल मुर्शिद की तलाश करके रूहानी इबादत करो। अहंकार न करें, यह विनाश का कारण बना देता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ