संत महात्मा ऋषि-मुनियों ने पेट की सफाई के लिये उपवास का बनाया नियम : बाबा उमाकान्त जी महाराज



  • नवरात्र में नींबू और पानी का व्रत करने से बहुत से रोगों से मिलती है मुक्ति 
  • जोड़ो-घुटनो का दर्द, आव का बहना, गैस यह सारी परेशानी पेट की ख़राबी से ही होती है 

उज्जैन, मध्य प्रदेश । व्यक्तिगत ही नहीं अपितु परिवार, समाज, देश, विश्व स्तर की समस्या, परेशानीयों को दूर करने के उपाय बता कर मनुष्य की आध्यात्मिक तरक्की का मार्ग दर्शन करने वाले इस समय के त्रिकालदर्शी समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 13 अप्रेल 2021 को उज्जैन मध्यप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सतसंग संदेश में भक्तों को बताया कि आज नवरात्रि का पहला दिन है। बहुत से लोग व्रत रहते हैं। आप लोगों को भी व्रत के बारे में बताया गया। व्रत रहना चाहिए। गुरु महाराज भी बताते रहे कि पेट को साफ करने के लिए, मशीन को थोड़ा आराम देने के लिए उपवास किया जाता है। एकादशी का व्रत, मंगल का व्रत, इतवार का व्रत  लोग रहते थे। 

व्रत का मतलब क्या होता है ?

संकल्प बनाना कि हमने व्रत ले लिया है। अब इसको हमको पूरा करना ही करना है। उसी तरह से संकल्प ले लिया जाता है कि आज हमको नहीं खाना है, आज हमको एक टाइम ही खाना हैनमक नहीं खाना है, मीठा ही भोजन करना है, तरह-तरह के विकल्प हैं। आप समझो संत महात्मा ऋषि मुनियों ने जो भारत देश में आए उपवास का नियम बना दिया। प्रेमियों! 9 दिन का जो समय होता है इसमें तत्वों की तबदीली होती है। मौसम जब बदलता है तो ये तत्व भी बदलते हैं। ऐसे समय में पेट को साफ रखा जाता है। सबसे बढिया नींबू पानी से सफाई होती है। न चल पाये तो दूध थोड़ा  ले ले, आलू खा लो, तरह-तरह से विकल्प समय परिस्थिति के अनुसार निकाल दिया गया।

सारे रोग पेट की खराबी से ही होते हैं इसलिए पेट को साफ करना है जरूरी 

शरीर को जब हल्का रखोगे, इसकी सफाई करोगे तो रोग से मुक्ति मिलेगी। रोग हटेंगे, घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द है, आव का बहना, गैस का बनना। यह सब परेशानी किसकी वजह से होती हैं? पेट की वजह से होती हैं। पेट की खराबी की वजह से होती हैं। सारी तकलीफ, सारा रोग पेट की खराबी से ही होता है। 

 मनुष्य शरीर के अंदर दो तरह के कीड़े होते हैं 

आप समझो प्रेमियों शरीर के अंदर दो तरह के कीड़े होते हैं। एक तो शरीर को नुकसान करते हैं और दूसरे ऐसे होते हैं जो नुकसान करने वाले कीड़ों को खा जाते हैं। उनका रहना शरीर के अंदर जरूरी होता है। आप समझो यह कुदरती चीज है। इसको लोग देख नहीं पाते, समझ नहीं पाते। ऐसा इसमें सिस्टम होता है कि उसको बहुत से लोग समझ नहीं पाते हैं। तो आप प्रेमियों समझो, इसको साफ सुथरा रखो पेट के अंदर कोई ऐसी चीज नहीं डालनी चाहिए कि जिससे रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण की बढ़ोतरी हो

तेज तर्राट चीजों को खाने से बढ़ता है क्रोध 

देखो तेज-तर्राट चीज खा लेने से क्या होता है? क्रोध बढ़ता है। शरीर के अंदर गर्मी आ जाती है। क्रोध बढ़ता है तो पाप करवाता है। काम की भावना तेज हो जाती है। अहंकार आदमी को सताने लगता है। शरीर के अंदर जो गलत चीज डाली जाती है तो यह जो पांच भूत बताये गये हैं- काम क्रोध लोभ मोह अहंकार यह बढ़ते हैं और शील क्षमा संतोष विरह विवेक- इनका ह्रास होता है, यह कम होते हैं। इसलिए पेट को हल्का रखना चाहिए। पेट के अंदर कोई ऐसी चीज नहीं डालनी चाहिए जिससे रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण की बढ़ोतरी हो।

 


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