जब गृहस्थ धर्म का पालन करोगे, पिता-पुत्र, पति-पत्नी के फर्ज को समझोगे तब चरित्र हीनता नहीं आएगी : बाबा उमाकान्त जी महाराज


  • रोटी खिलाना, पानी पिलाना, लोगों के दु:ख को दूर करना यह है सच्चा मानव धर्म

इंदौर (मध्य प्रदेश)। मनुष्य को असली धर्म, कर्म और अध्यात्म की सही सच्ची शिक्षा देकर उसके चरित्र व नैतिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस समय के महान सन्त व समाज सुधारक उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 मार्च 2022 को सायंकालीन बेला में इंदौर आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि धर्म, कर्म और अध्यात्म सब जुड़े हुए हैं। धर्म के ह्रास होने पर कर्म बिगड़ जाते हैं और कर्म खराब होने पर धर्म चला जाता है। जहां धार्मिक भावना की कमी होती है वहां अध्यात्म जल्दी समझ में नहीं आता है। इसलिए इन तीनों को समझने की जरूरत होती है।

मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है

जैसे कहते हैं कि इनमें मानवता है। रोटी खिलाना, पानी पिलाना, दुःखी का दुःख दूर करना, यह मानव धर्म है। यह हर किसी को अपनाना चाहिए। सत्य जब रहता है, हिंसा-हत्या की भावना नहीं रहती, जीवों पर जब लोग दया करते हैं तब परोपकार, सेवा भाव जगता है। जिसके अंदर झूठ, छल-कपट भरा है, हिंसा-हत्या करता है, प्रभु के बनाए हुए जीवों को सताता है उसके अंदर परोपकार की भावना नहीं रहती, सेवा भाव जो मानव को करना चाहिए, वह नहीं करता है।

धर्म का जब अभाव हो जाता है तब लोगों का चरित्र हो जाता है ख़राब

समाज या देश या घर में धर्म की जब कमी हो जाती है तब लोगों के कर्म खराब हो जाते हैं फिर चरित्र गिर जाता है और आदमी दु:खी हो जाता है।

राम चरित मानस में भी राम के चरित्र का वर्णन है, जिससे सीखना चाहिए

गोस्वामी जी ने रामचरितमानस में मानस के अंदर जो प्रभु का चरित्र हो रहा है उसके बारे में बताया जिसको आध्यात्मिक खंड बताया गया और बाहर से भी उनका चरित्र बताया। माता-पिता को प्रणाम करते, सेवा करते थे। पिता के आदेश पर राजगद्दी को ठोकर मार कर जंगल चले गए। अपने गृहस्थ धर्म का पूरा पालन किया। माता-पिता, पत्नी, प्रजा के प्रति फर्ज निभाया। औरत के लिए दर-बदर घूमते रहे, पता लगाते रहे, खोजबीन करवाते रहे।

राम ने ऐसा चरित्र अपनाया, माता-पिता, पत्नी, प्रजा के प्रति कर्तव्यों को निभाया

रावण को मार कर जब वापस अयोध्या आए, राजा बन गए तो प्रजा के प्रति उनका चरित्र क्या था? एक कपड़ा धोने वाले साधारण आदमी के कहने पर सती जैसी सीता माता, अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया था। चरित्र का संबंध होता है। धर्म को धारण करना, चरित्र को अपनाना चाहिए। 

जब आदमी का चरित्र चला जाता है तो सब कुछ चला जाता है

देखो चरित्र जब आदमी का चला जाता है तो सब कुछ चला जाता है। इंग्लिश में कहा गया है-

Money is lost, nothing is lost.
Helth is lost, something is lost.
But character is lost, everything is lost.

यह सब चीजें करैक्टर में ही आती हैं। 

जब गृहस्थ धर्म का पालन करोगे तब चरित्र हीनता नहीं आएगी

आजकल चरित्र हीनता ज्यादा बढ़ गई है इसलिए ज्यादा ध्यान लोगों का उसी तरफ जा रहा है। चरित्र हीनता कब खत्म होगी? जब गृहस्त धर्म का पालन करोगे, माता-पिता के बातों के अनुसार चलोगे, पति-पत्नी, पिता-पुत्र के फर्ज को समझोगे तब चरित्र हीनता नहीं आएगी।

सन्त उमाकान्त जी के वचन

शरीर पुराना हो जाने की वजह से सन्त भी अजर-अमर नहीं होते हैं। आदमी अपनी उम्र को घटा-बढ़ा सकता है। जीभ के स्वाद के लिए लोग मांस खाने का पाप करते हैं। थोड़ी देर के तर्क-वितर्क से सृष्टि के नियम-कानून को नहीं जाना जा सकता है। शाकाहारी, नशा मुक्त, सदाचारी व्यक्ति जहां भी रहेगा, सफल रहेगा।

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