- जैसे कबीर, नानक, सूरदास भीखा, जगजीवन आदि पर लोग रिसर्च कर रहे हैं, ऐसे ही लोग गुरु महाराज पर करेंगे रिसर्च
- सबसे उत्तम सर्वश्रेष्ठ अध्यात्म की अलख जगाने वाले बाबा जयगुरुदेव जी ही मिलेंगे
इंदौर (मध्य प्रदेश)। इसी कलयुग में सतयुग के आने की भविष्यवाणी करने वाले बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के पूरे जीते जागते वक़्त के सन्त सतगुरु, नामदान देने के एकमात्र अधिकारी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 मार्च 2022 को इंदौर आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम पर प्रसारित संदेश में बताया कि वक्त के गुरु, मास्टर, डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। जब रास्ता बताने वाले मिल जाते हैं तो रास्ता तय हो जाता है।
वक्त के सन्त नामदान देते हैं, जो लोग नाम की डोर पकड़ कर ऊपर चढ़ जाते हैं उनका जन्म-मरण से छुटकारा हो जाता है
वह जो गुरु से रास्ता, नामदान लेते हैं, 'मन तू भजो गुरु का नाम' गुरु के बताए हुए नाम जो पकड़ लेते हैं उस नाम की डोर को पकड़ करके ऊपर चढ़ जाते हैं, पहुंच जाते हैं फिर जन्म-मरण की पीड़ा, 'जनमत मरत दुसह दुःख होई' झेलनी नही पड़ती हैं। आपके ऊपर उस प्रभु की दया हुई जो नए लोग नाम दान लेने के लिए आये हो। गुरु महाराज की दया से आपको रास्ता बताया जाएगा।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज इस धरती के बहुत बड़े सन्त हैं
गुरु महाराज रास्ता बताते थे, बहुत लोगों को बताए। धरती के यह बहुत बड़े संत हैं। अभी तो इनको गए हुए ज्यादा दिन नहीं हुए हैं लेकिन जब कुछ समय और बीत जाएगा तब इन पर भी रिसर्च होगी जैसे कुछ अभी पुराने लोग (सन्त) आए थे, उनके बारे में लोग रिसर्च कर रहे हैं, जैसे कबीर साहब क्या कहते थे? नानक साहब कैसे थे, क्या बताया उन्होंने? कैसे किसको फायदा हुआ? राधा स्वामी उन्होंने कैसे किसका फायदा किया, क्या बताते थे, गरीब साहब क्या बताते हैं आदि।
आज जो पिछले सन्तों सूरदास, जगजीवन, भीखा आदि पर लोग रिसर्च कर रहे हैं, ऐसे गुरु महाराज पर करेंगे लोग रिसर्च
ऐसे ही जो संतमत के चलने वाले लोग जैसे सूरदास या भीखा या जगजीवन जी आदि पर लोग रिसर्च करते हैं, ऐसे ही गुरु महाराज पर रिसर्च करेंगे और सब जब इकट्ठा करेंगे तब सबसे उत्तम, सबसे श्रेष्ठ, सबसे ज्यादा अध्यात्म का प्रचार करने वाले, लोगों के अंदर अलख जगाने वाले, यह हमारे गुरु महाराज ही मिलेंगे।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
देवी-देवता, ईश्वर-खुदा को देखा जा सकता है। पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े, पेड़-पौधे भोग योनि में है और ये रोबोट, केलकुलेटर की तरह कार्य करते हैं। मनुष्य कर्म योनी में है, इसे सभी कार्य सीखने पड़ते हैं। हर पशु-पक्षी की आवाज सभी जगह एक जैसी होती है। मनुष्य की भाषा क्षेत्र के हिसाब से बदल जाती है।
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