करले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में

  • मन रोककर पढ़ने-करने पर भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पढ़ाई में सफलता मिल जाती है
  • बच्चों के पास दोनों मौके- भौतिक व आध्यात्मिक पढ़ाई पढ़ने का और बुड्ढों के पास केवल आध्यात्मिक कमाई का बचा है मौका

युवाओं व छात्रों को उनके प्रयास के बावजूद असफलता मिलने के कारण और उन्हें दूर करने के उपाय बताने वाले, उनके भौतिक और आध्यात्मिक तरक्की की राह एक साथ दिखा कर सर्वांगीण विकास पर जोर देने वाले, देश के भविष्य को स्वर्णिम और सुदृढ़ बनाने वाले, चरित्र रूपी पूंजी को कभी भी न खोने और फलस्वरूप देश सेवा का मौका प्राप्त करने की शिक्षा देने वाले, इस समय के महान समाज सुधारक, पथ प्रदर्शक, अव्वल दर्जे के देशभक्त, उज्जैन वाले दुःखहर्ता अंतर्यामी त्रिकालदर्शी समर्थ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बैशाख पूर्णिमा 15 मई 2022 सायंकाल उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बच्चों! कहा गया- कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में। 

इस समय पर आपको भौतिक और आध्यात्मिक रूप से तरक्की करने का मौका है। जो बुड्ढे हो गए, जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दिया या जो नहीं पढ़ पाए या जो जवान नहीं पढ़ पाए उनका एक मौका निकल गया। उनके पास केवल आध्यात्मिक पढ़ाई का मौका रह गया। बच्चों! आपके पास दोनों अवसर, मौका है। तो इसमें पढ़ाई कर सकते हो और साथ ही थोड़ा समय निकाल कर आध्यात्मिक पढ़ाई भी पढ़ लो।

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अध्यात्मिक पढ़ाई में क्या रहता है

इसमें मन को रोकने का विशेष बताया जाता है। मन को लगाकर के जब अभ्यास करते हैं तो साधना बनती है। इसी मनुष्य शरीर में देवी-देवता, स्वर्ग-बैकुंठ, ऊपर के लोक, सुगंधित देश दिखाई पड़ते है, सुगंधी वहां की मिलती है।

कोई भी काम मन लगा कर जब करोगे तो अनहोनी होनी में बदल जाएगी

कितने सन्त आए और सब यही बता कर के गए। मन लगाकर जब करते हैं तो ये सारी अनहोनी, असंभव चीजें होनी, संभव हो जाती है। मन आध्यात्मिक पढ़ाई में भी लगता है। इसमें अगर थोड़ी देर के लिए भी आपका कंसंट्रेट (एकाग्रता) हो गए, जिसको दृष्टि की साधना कहते हैं, उसमें अगर मन को रोक लिया तो आपका मन उसमें भी लगने लगेगा। पढ़ाई में भी जो बच्चा मन लगाकर के पढ़ता है, उसी को सफलता ज्यादा मिलती है।

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मन रोककर पढ़ने-करने पर भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पढ़ाई में सफलता मिल जाती है

जैसे समझो कुछ बच्चे 100 नंबर में से 98, 99, 99 पॉइंट कुछ नंबर तक ले आते हैं। वो कैसे पढ़ते हैं? वह जो पढ़ते हैं वहीं पर, उसी लाइन पर मन लगाकर रखते हैं, उसी को पढ़ते हैं। वहीं से आगे की लाइन भी मन लगाकर पढ़ते हैं तो उनके दिमाग में कंप्यूटर जैसा पेज नंबर तक भर जाता है। और जब मन नहीं लगाते हैं तो रटते रहो, रटते रहो, भूल गए, पढ़ते रहो, भूल गए, मन नहीं लगा। पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन मन कहीं और घूमने, सैर-सपाटा, कंप्यूटर, दोस्ती में लगा है तो पढ़ते, मेहनत करते हुये भी असफलता हाथ आती है। इसलिए ध्यान रखो।

बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन

समय किसी का इंतजार नहीं करता और निकला हुआ समय वापस नहीं आता। इसलिए समय के साथ चलने वाले कभी भी पीछे नहीं रहते। परमात्मा ने दुनिया में जितनी भी चीजें आपके लिए बनाई है, उनका दुरुपयोग मत करो। सन्तों का सतसंग सुनने से जीवन जीने का तरीका तो मालूम होता ही है, साथ ही बीमारियों का इलाज भी प्रकृति से मिल जाता है। सोचो! परमात्मा कब तक माफ करता रहेगा। इसीलिए खान-पान, चाल-चलन, विचार-भावना सही रखो। दुनिया की चीजें माया की छाया हैं, छाया किसी की नहीं होती। सन्त उमाकान्त जी का सतसंग प्रतिदिन प्रातः 8:40 से 9:15 तक (कुछ समय के लिए) साधना भक्ति टीवी चैनल और अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित होता है।

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