- अगर अब ठोस काम नहीं करोगे तो परिस्थितियां प्रतिकूल और रहने-खाने की सुख-सुविधाएं आपसे छिनती हुई दिखाई पड़ेंगी
पूरे विश्व में शाकाहार और नशामुक्ति की अलख जगाने वाले सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, भक्तों का लोक और परलोक दोनों बनाने के लिए अपने सर्वशक्तिमान गुरु से भरपूर दया दिलाने वाले, गुरु के वचनों को पकड़वाने, उन पर चलाने और दया लेने के पात्र बनाने वाले इस समय के त्रिकालदर्शी समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 3 मई 2022 सायंकाल को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव ऑनलाइन संदेश में बताया कि आप लोग प्रचार-प्रसार, जनहित, आत्महित का काम जो भी करो, ठोस काम करो जिसका कुछ परिणाम निकले। इस तरह से अब आपको काम करना है। अभी तक अपने हिसाब से करते रहे लेकिन समय अब ऐसा आ रहा है कि ठोस काम अगर नहीं करोगे तो अभी आपके रहने-खाने, काम करने की अनुकूल परिस्थितियां प्रतिकूल होती और सुख-सुविधाएं छिनती दिखाई पड़ेंगी। इसलिए इस समय पर मेहनत करने की जरूरत है।
योजना बनाकर के पुराने लोग यहां पर आ जाओ
प्रेमियों! आप सब लोग हर तरह कि योजना बना लो जैसे पहले बनाते थे। पहले से यहां आ जाते थे, अपना डेरा-रावटी लगाते, पानी, बिजली, भोजन भंडारे आदि की व्यवस्था करते, भंडारे के दिन पूजन की व्यवस्था करते, लोगों को पूजन करवाते, प्रसाद वितरण और जैसे-जैसे जो भी व्यवस्था आप लोग करते थे, पुराने आप लोग तैयारी करके यहां पर आ जाओ।
आने वालों की देख-रेख, खाने-पीने का विशेष ध्यान रखो
बाद में लोगों को साथ लाने का काम भी जिम्मेदारी का रहता है। लोगों के लिए बस, गाड़ियों, ट्रैन की (टिकट) सुविधा कराई जाए, साथ में नए लोगों को लाया जाए, यहां पर आवे तो उनकी देख-रेख, खाने-पानी आदि की व्यवस्था कराई जाए। इन सबका आपका संकल्प पूरा कर लो, इस समय पर अवसर है।
आपको याद दिलाते हैं गुरु महाराज के वचन, उनके अनुसार चलोगे तो अच्छा रहेगा
कुछ लोगों की सोच यह रहती है कि हम अपने परमार्थ और शरीर के लिए अपना ही धन खर्च करें, अपना ही अन्न खाएं। कुछ सोचते हैं कि दूसरे को खिला करके तब हम खाएं। यह परमार्थी भाव लोगों में रहता है। गुरु महाराज किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचने दिए। हर पहलू पर ध्यान रखते थे। गुरु महाराज जब चिट्ठी लिखते थे की भंडारे के लिए बच्चे-बच्चियों आटा, चीनी जो भी है उसको थोड़ा-थोड़ा लेते आना। प्रेमी भंडारे में लाते थे। खुद भी खाते और भूखे, कोढ़ी, अपाहिज, लूले-लंगड़े या अधिकारी-कर्मचारी, अनजान लोग जिनको नहीं मालूम कि वहां कुछ ले जाना चाहिए कि वहां भंडारा है, वो सब लोग भी खाते थे, उनकी व्यवस्था भी हो जाती थी। गुरु महाराज ने जितनी भी चीजें बताई, वही हमको भी बताना है। जितना भी गुरु महाराज ने उपदेश किया उस पर हमको भी चलना है। हम आपको याद दिलाते हैं। गुरु महाराज के अनुसार चलोगे तो अच्छा रहेगा।
जब आप पात्र बनकर समय से दया के घाट पर आओगे, दया लेने का काम करोगे तभी फायदा लाभ मिलेगा
जो नए लोग हो आप पुरानों से पूछ लेना तो आपको विस्तार में सब बता देंगे। काम तो सब गुरु की दया से हो जाएगा। गुरु की दया उस समय हम मांगेंगे। हमको यह विश्वास है कि गुरु महाराज दया देंगे और काम भी हो जाएगा। आप के लिए गुरु महाराज से दोनों तरह के काम की दया मांगेंगे ही मांगेंगे कि आपको धन, पुत्र, परिवार में भी दिक्कत न आवे और आपकी यह जीवात्मा अपने अचल अमर लोक में पहुंच जाए। लेकिन दया लेने के पात्र बनकर के आप जब समय से आओगे, दया के घाट पर बैठ जाओगे, दया लेने का काम जब आप करोगे तभी आपको फायदा लाभ मिल पाएगा।
आज अक्षय तृतीया के दिन से आप गुरु महाराज के भंडारे की तैयारी की करो शुरुआत
जैसे आज अक्षय तृतीया के दिन से कोई घर बनाना और अन्य मांगलिक कार्य शुरू करता है, आप भी भंडारे की तैयारी का अभियान शुरू कर दो। और भजन में बरकत हो, भजन में मन आपका स्थिर रह जाए, मन इधर-उधर न डोले, मन आपका कोई खराब न कर पावे इसलिए आज के दिन प्रेमियों बच्चे और बच्चियों संकल्प बनाओ।
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