रक्षाबंधन का सतसंग नामदान कार्यक्रम 10-11 अगस्त को रेवाड़ी आश्रम पर होगा, बंधन से मुक्ति का रास्ता बताया जाएगा


रेवाड़ी (हरियाणा)।
विश्व विख्यात सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी, इस समय धरती पर मनुष्य शरीर में मौजूद वक़्त के गुरु जिनको नामदान देने का अधिकार गुरु महाराज वर्ष 2007 में सार्वजनिक रूप से सतसंग मंच से दे कर गए, कईयों को अंतर में पहचान गुरु महाराज ने करवा दी कि अब से येही (बाबा उमाकान्त जी महाराज) देखेंगे, येही सब करेंगे ऐसे समर्थ सतगुरु, मथुरा की संस्था के संविधान में लिखा है कि जिसको गुरु महाराज नामदान देने के लिए अधिकृत करेंगे जिसका नाम खोलेंगे, वोही उत्तराधिकारी, अध्यक्ष होगा, आगे सब नए-पुराने जीवों की संभाल करेगा -गुरु महाराज का ये आदेश मानने वाले और मनमुख बन कर आदेश नहीं मानने वालों- दोनों तरह के भक्तों से प्रेम करने वाले, दोनों की संभाल करने वाले, वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के प्रति माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाए जाने वाले मासिक भंडारा पर्व के शुभ अवसर पर 26 जुलाई 2022 प्रातः कालीन बेला में बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पिछले साल से जो क्षेत्रवार मासिक भंडारा कार्यक्रम मनाने की शुरुआत की गई थी, वही अभी चल रहा है, इसको बराबर चलाते रहना है। जहां जो भी प्रेमी हो मासिक भंडारे के दिन इसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया करें। ध्यान, भजन, सुमिरन करें। अगर संभव हो, कोई सुनाने वाला हो तो गुरु की महिमा बतावे समझावे और कुछ प्रसाद के रूप में वितरण हो जाया करेगा। तो यह बराबर नियम चलता रहेगा। आगे चलकर के जैसे दीपावली दशहरा अन्य तीज त्यौहार भारत देश में मनाए जाते हैं, इसी तरह से यह त्रयोदशी पर्व भी मनाया जाने लगेगा।

रक्षाबंधन का सतसंग व नामदान कार्यक्रम बावल, रेवाड़ी, हरियाणा में होगा

अभी रक्षाबंधन आ रहा है। रक्षाबंधन का कार्यक्रम गुरु महाराज की दया मेहर रही, समय परिस्थिति अनुकूल रही तो यहीं पर (बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, बावल, रेवाड़ी, हरियाणा) में हो जाएगा। उसके लिए अपनी तरफ से प्रयास करो इंतजाम ठीक करो। बरसात का महीना है। लोग आएंगे। प्रचार हो जाएगा तो बहुत लोग आएंगे।

बंधन से कौन नहीं मुक्त होना चाहता

देखो बंधन में ही तो बंधे पड़े हैं। बंधना एक अलग होता है, जकड़ है, जकड़ में फसें हैं लोग। जैसे पायजामा का नाड़ा बांधा जाता है, जब चाहो फट से खोल दो। मकान बनाते हो तो बांस के ऊपर बांस रख करके कितना कस करके टाइट बांधते हो। वो है जकड़। इसी तरह से जकड़ में आ गए। थे तो पहले बंधन में, अब धीरे-धीरे वही बंधन जकड़ में होता जा रहा। देखो नारियल की रस्सी से कोई भी बांस लकड़ी बांधते समय ढीली रहती है, जब वह भीगती है तो एकदम टाइट हो जाती है। ऐसे ही यह दुनिया का मोह माया, इंद्रियों में भीगने लग गए, उसकी वजह से यह और टाइट होने लग गया।

रक्षाबंधन के कार्यक्रम में बहुत लोग आएंगे, प्रेमियों बनाओ व्यवस्था, करो तैयारी

बताया जाएगा तरीका कि बंधन से मुक्ति, रक्षा कैसे होगी। रक्षाबंधन का मतलब क्या होता है? बंधन से रक्षा हो जाए, निकल जाओ। जोगिया रंग चलो ये देश बीराना है यह दूसरे का देश है। यहां से निकल चलो। जब तक यहां रहो सुखी रहो। जब समय पूरा हो जाए तो अपने वतन अपने मालिक के पास पहुंच जाओ। सारे बंधन कट जाएं, सारे बंधन से मुक्त हो जाओ, निरबंधन हो जाओ, वह सब तरीका बताया जाएगा। लोग आएंगे सुनने के लिए। आप लोग सब व्यवस्था बनाओ, इंतजाम करो। मालिक की दया मौज रहेगी, समय परिस्थिति अनुकूल रहेगी, विघ्न बाधा कोई विशेष नहीं आएगी तो कार्यक्रम यहां पर 10-11 अगस्त को हो जाएगा।

बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन

पाप से बचो, पाप समुद्र में भी नहीं समाता है। तीसरे तिल में आत्मा का साक्षात्कार होता है। जीवन का मूल सिद्धांत तो सेवा और सत शब्द को पाने का है। मन मुखता से ही गुरु में दोष दिखाई देता है और अभाव आता है। जीवन खत्म होते ही सब खत्म, फिर दुनिया का कोई ज्ञान काम नहीं आयेगा।

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