रक्षाबंधन का सतसंग व नामदान कार्यक्रम बावल, रेवाड़ी, हरियाणा में होगा
अभी रक्षाबंधन आ रहा है। रक्षाबंधन का कार्यक्रम गुरु महाराज की दया मेहर रही, समय परिस्थिति अनुकूल रही तो यहीं पर (बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, बावल, रेवाड़ी, हरियाणा) में हो जाएगा। उसके लिए अपनी तरफ से प्रयास करो इंतजाम ठीक करो। बरसात का महीना है। लोग आएंगे। प्रचार हो जाएगा तो बहुत लोग आएंगे।
बंधन से कौन नहीं मुक्त होना चाहता
देखो बंधन में ही तो बंधे पड़े हैं। बंधना एक अलग होता है, जकड़ है, जकड़ में फसें हैं लोग। जैसे पायजामा का नाड़ा बांधा जाता है, जब चाहो फट से खोल दो। मकान बनाते हो तो बांस के ऊपर बांस रख करके कितना कस करके टाइट बांधते हो। वो है जकड़। इसी तरह से जकड़ में आ गए। थे तो पहले बंधन में, अब धीरे-धीरे वही बंधन जकड़ में होता जा रहा। देखो नारियल की रस्सी से कोई भी बांस लकड़ी बांधते समय ढीली रहती है, जब वह भीगती है तो एकदम टाइट हो जाती है। ऐसे ही यह दुनिया का मोह माया, इंद्रियों में भीगने लग गए, उसकी वजह से यह और टाइट होने लग गया।
रक्षाबंधन के कार्यक्रम में बहुत लोग आएंगे, प्रेमियों बनाओ व्यवस्था, करो तैयारी
बताया जाएगा तरीका कि बंधन से मुक्ति, रक्षा कैसे होगी। रक्षाबंधन का मतलब क्या होता है? बंधन से रक्षा हो जाए, निकल जाओ। जोगिया रंग चलो ये देश बीराना है यह दूसरे का देश है। यहां से निकल चलो। जब तक यहां रहो सुखी रहो। जब समय पूरा हो जाए तो अपने वतन अपने मालिक के पास पहुंच जाओ। सारे बंधन कट जाएं, सारे बंधन से मुक्त हो जाओ, निरबंधन हो जाओ, वह सब तरीका बताया जाएगा। लोग आएंगे सुनने के लिए। आप लोग सब व्यवस्था बनाओ, इंतजाम करो। मालिक की दया मौज रहेगी, समय परिस्थिति अनुकूल रहेगी, विघ्न बाधा कोई विशेष नहीं आएगी तो कार्यक्रम यहां पर 10-11 अगस्त को हो जाएगा।
बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन
पाप से बचो, पाप समुद्र में भी नहीं समाता है। तीसरे तिल में आत्मा का साक्षात्कार होता है। जीवन का मूल सिद्धांत तो सेवा और सत शब्द को पाने का है। मन मुखता से ही गुरु में दोष दिखाई देता है और अभाव आता है। जीवन खत्म होते ही सब खत्म, फिर दुनिया का कोई ज्ञान काम नहीं आयेगा।
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