दुनिया आज भारत की ओर काफी भरोसे से देख रही है: मंत्री पीयूष गोयल


नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज दुनिया काफी भरोसे से भारत की ओर देख रही है। यह विश्‍वास भारत के निर्माण में 8 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद पैदा हुआ है। ढांचागत सुधार सरकार का मुख्य एजेंडा रहा है जिससे हमें भविष्य के लिए विकास की रूपरेखा तैयार करने में मदद मिली है। वह आज सीआईआई के तीसरे निर्यात शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। गोयल ने कहा कि भारत की एक अरब से अधिक आबादी देश के लिए वरदान है क्योंकि यह बहुत सारी कंपनियों को आकर्षित करने, बड़े पैमाने पर उत्‍पादन के जरिये लागत बचाने और अवसर सृजित करने में मदद करती है। श्री गोयल ने कहा कि भारत गुणवत्ता को अपना ब्रांड बनाए और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करे कि भारत का संबंध उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों से हो। उन्होंने कहा कि यदि हम गुणवत्‍ता को अपना ब्रांड बनाते हैं तो वास्तव में भारत के भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और हमारे निर्यात क्षेत्र में तेज विकास की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

पीयूष गोयल ने कहा कि विदेश में मौजूद भारतीय मिशनों से कहा गया है कि वे हमारे निर्यातकों की मदद करें, उन्हें उन देशों में नए अवसर तलाशने और नया कारोबार दिलाने में मदद करें। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वे भारतीय मिशनों के साथ जुड़ना शुरू करें और यदि कोई कठिनाई हो तो उनसे सहायता लें। उन्होंने कहा कि सीआईआई सरकार और निर्यातकों के बीच एक पुल का काम करता है और एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक प्‍लेटफॉर्म प्रदान करता है। उन्होंने सीआईआई से उद्योग के सामने आने वाले चुनौतियों को चिह्नित करने और उनके उपयुक्‍त समाधान के लिए सरकार को सुझाव देने का आग्रह किया।

मंत्री ने बड़े उद्योग जगत के कारोबारियों से छोटे कारोबारियों की मदद करने और उन्हें सहारा देने की अपील की ताकि वे गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के लाभों को समझ सकें और गुणवत्ता जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली वस्‍तुओं और सेवाएं उपलब्‍ध कराना आर्थिक रूप से भी विवेकपूर्ण है। गोयल ने जोर देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पारस्परिकता आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्‍होंने कहा कि भारत को अन्य देशों के साथ समान स्तर पर व्यापार प्रथाओं के लिए प्रयास करना चाहिए।

गोयल ने कहा कि उद्योग को आईटी क्षेत्र द्वारा हासिल की गई अभूतपूर्व सफलता से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब किसी भी क्षेत्र को अपने दम पर बढ़ने दिया जाता है और वह प्रतिस्पर्धा के आधार पर सफल होता है तो सेवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह भारतीय परिवेश जिसमें विश्वास, कानून का शासन, निर्णय लेने में समर्थ, मजबूत सरकार शामिल है, के साथ मिलकर बड़े बाजार हासिल करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि उद्योग को संरक्षणवाद की तलाश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ होने के लिहाज से विकास में मदद नहीं मिलेगी। उसे उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए जहां प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने की भावना के साथ हम अपने कारोबार का विस्तार करने और गुणवत्ता को बेहतर करने में समर्थ होंगे।

गोयल ने इसी साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के संबोधन का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया था। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर अपनी जड़ों की ओर लौटने और हमारी ताकत वाले प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही थी। गोयल ने कहा कि हमें आत्मविश्वास और उद्यम की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए, उद्यमी बनना चाहिए और नौकरी देने वाला बनना चाहिए न कि नौकरी तलाशने वाला।

गोयल ने निर्यातकों से 'एसपीआईसीई' - निरंतरता, उत्पादकता, नवाचार, सहयोग और उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी उत्पादन हो रहा है उसमें दुनिया की नजर निरंतरता और उत्पादकता पर होती है। उन्होंने कहा कि आज वे देश सफल हैं जिन्‍होंने नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने उद्योग जगत से प्रतिस्पर्धा की भावना को आत्मसात करने, एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करने का आग्रह किया।

सुनो-सुनो ऐ मेरे भाई अपना स्वार्थ नही है कोई, शाकाहारी बना रहे हैं नर्को से बचा रहे हैं - सन्त उमाकान्त जी 

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