बाबा उमाकान्त जी ने बताया अकाल मृत्यु किसे कहते है, प्रेत क्यूँ परेशान करते हैं

प्रेत आत्मा मुखाग्नि देने वाले पर हमला करती है

अकाल मृत्यु वालों के प्रेत योनि में कैसे लक्षण होते हैं

उज्जैन (म.प्र.)। आदि से अंत तक की पूरी जानकारी रखने वाले, सभी तरह के रहस्यों को जानने और जना देने कि पॉवर रखने वाले, मानवीय क्षमताओं से परे की समस्यों को भी जड़ से सुलझा देने वाले, भौतिक विज्ञान जहां समाप्त होता हैं वहां से जिनका आध्यात्मिक विज्ञान शुरू होता है ऐसे इस समय के विलक्षण युगपुरुष, दुःखहर्ता, त्रिकालदर्शी, परम दयालु, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने  24 अक्टूबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में दिए सन्देश में बताया कि उमर पूरी किए बिना बीच में ही शरीर छूटने को अकाल मृत्यु कहते हैं। कहीं दुर्घटना में, पहाड़ पेड़ से गिर गए, कहीं ट्रेन से कट गए, कहीं बस से कुचल गए, किसी ने चाकू मार दिया, किसी ने गला काट दिया आदि तो वह अकाल मृत्यु कहलाता है।

अकाल मृत्यु की वजह से चली गयी आत्माओं को प्रेत योनि में जाकर भटकना पड़ता है। और अगर पूजा-पाठ वाली आत्मा है और कहीं अकाल मृत्यु में चली गई तो वही जिसके सिर पर सवार होती है, वह अपने को दुर्गा कहता है, हनुमान का भक्त अपने को हनुमानजी कहता है। तो कहते हैं यह जिन्न है, बह्म है, यह बहुत जिद्दी, ताकतवर है, छोड़ेंगे नहीं, इस तरह से वह बोलते भी हैं।

अकाल मृत्यु वाले प्रेत योनि में कैसे लक्षण होते हैं

यदि कोई बहुत पूजा-पाठ करने वाला, भगवान को मानने वाला, श्लोक गीता रामायण पढ़ने वाला अकाल मृत्यु में चला गया तो उस वक्त भी वही विद्वता वहीं सफाई रहेगी, जिसके ऊपर (चढ़ा) रहेगा वह उसी तरह से खाना-पीना पसंद करेगा, वह करवाएगा उसी तरह से और कहेगा नहलाओ धुलाओ फिर हमको खिलाओ, हमारी पूजा करो, पाठ करो। तो जब प्रेत आत्माएं आ जाती है तो बोलने लगती हैं कि बकरा, भैसा, मुर्गा चढ़ाओ उससे आदमी और पापी हो जाता है। करता तो है कि दुर्गा भवानी हनुमान जी भैरव बाबा हमारी मदद करेंगे लेकिन वह मदद नहीं करते हैं। कमजोर भूत अगर किसी को लगा हो तो उसको तो हटा देंगे लेकिन कहो कि कर्मों की, जीव हत्या की जो सजा मिलेगी उससे वह मुक्त नहीं कर सकते हैं। 

अगर असली दुर्गा की पहचान हो जाए, असली दुर्गा आपको अंतर में मिल जाए, दिखाई पड़ जाए तो समझो उनसे आपको कुछ मिल भी सकता है लेकिन उसकी जानकारी कराने वाले जब कोई मिलते हैं तभी जानकारी हो पाती है। जानकारी कौन कराता है? जानकारी महात्मा सन्त सतगुरु कराते हैं। जब उनकी खोज की जाएगी तो वह बता समझा भी देंगे और उनसे मिलने का रास्ता भी बता देंगे और दिखा भी देंगे। क्योंकि इन बाहरी आंखों से जो आप क्षेत्र चीजों को देखते हो, इनकी सीमा निश्चित है मान लो आधा किलोमीटर देख लिया, कोई उंचाई पर चढ़ गया तो ज्यादा दूर तक देख लिया लेकिन पूरी दुनिया तो नहीं देख सकता। 

लेकिन अंदर के विद्या, ज्ञान से आप पूरी दुनिया देख सकते हो। यहां तक कि देव लोक सूर्यलोक पित्र लोक चंद्रलोक आदि सब आप देख सकते हो, आप देवी-देवताओं से मिल भी सकते हो, उनसे अपनी अर्जी भी लगा सकते हो, जो उनके लायक है वो मदद आप उनसे ले सकते हो। और आप उससे आगे भी जाकर के असली प्रभु असली मालिक जो सबका सिरजनहार है, जिसने सबको उत्पन्न किया, देवी देवता पारब्रह्म को, उसका भी आप दर्शन कर सकते हो। आप भाग्यशाली हो जिनको ये रास्ता (नामदान) मिला।

प्रेत आत्मा मुखाग्नि देने वाले पर हमला करती है

महाराज जी ने 3 अगस्त 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि कोई आत्मा प्रेत योनि में चली गई तो शरीर को जलाने वाले, दाह देने वाले पर हमला करती है। क्योंकि अचानक निकली और जब लौटने की कोशिश किया तो शरीर मिलता नहीं है। तब प्रेत योनि में जो आत्मा चली जाती है वह देखती है कि इन्होंने हमारे शरीर को जलाया है तो वह परेशान करती है। अग्नि मुखाग्नि करने वाले कुछ लोग कहते हैं रात में हमको दिखाई पड़े, डरा रहे, खाना मांग रहे थे, रात में हमारे ऊपर चढ बैठे। 

जिनका दाह संस्कार करते हैं, वह अगर प्रेत योनि में चले जाते हैं तो परेशान करते हैं। तो उनको खिलाया जाता है। क्या? वही जो श्राद्ध करते हैं, घी और हवन कराते हैं। सुगंधी उनका आहार होता है। मीठी चीजों, खुशबू वाली चीजों को उनको खिलाते हैं तो थोड़ी उनको शांति मिल जाती है। नहीं तो भूखे रहते हैं तो परेशान करते रहते हैं। लेकिन स्थाई उपाय तो वक़्त के महापुरुष ही बताते हैं।

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