बाबा जयगुरुदेव मंदिर बनाने के लिए संकल्प बनाना चाहिए


बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताये बिना दवा के बीमारीयां ठीक करने के सूत्र

जो गुरु को मनुष्य मानता है वह महादु:खी हो जाता है

बाबल रेवाड़ी (हरियाणा)। बिमारी चाहे शरीर की हो या आत्मा की, दोनों को सहज में दूर करने का उपाय बताने वाले, सतसंग सेवा साधना करवा कर भक्तों के तकलीफ देने वाले पिछले कर्मों को ख़त्म करवा देने वाले, अपने भक्तों की इज्जत बचाने वाले, बिना दवा के बीमारिया ठीक कराने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सतगुरु, दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 दिसंबर 2022 प्रातः बावल रेवाड़ी (हरियाणा ) में बताया कि जो भी जहां जैसी जरूरत है वैसी तन, मन, धन की सेवा का संकल्प बना लो। रोज सेवा करने, रोज सेवा निकालने का संकल्प बनाओ। रोज न कर पाओ तो महीने में, 2 महीने में, 3 महीने में। कैसे भी हो हर तरह से आप लोगों को गुरु महाराज का मंदिर बनाने का संकल्प बनाना चाहिए और गुरु महाराज से यही प्रार्थना करनी चाहिए। हम भी गुरु महाराज से यही प्रार्थना करते रहते हैं। और आज दादा गुरु को भी याद कर के रात में प्रार्थना करते रहे कि आप अपने आध्यात्मिक पुत्र बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का बाबा जयगुरुदेव मंदिर यहां (बावल, रेवाड़ी में) दया करके प्रेमियों के द्वारा बनवा लो। आपसे भी हमारा कहने का हक है तो आपसे भी कह रहा हूं।

सेवा खूब करते हैं भगत लोग

सेवक सुख नहीं मान भिखारी और व्यसनी धन नहीं शुभ गति व्यभिचारी। सेवक सुख की खोज नहीं करता है। वो न तन के सुख की खोज करता है कि हमारे शरीर को आराम मिले, हम अच्छी जगह पर रहे, अच्छे बिस्तर पर सोए, अच्छा खाने को मिले। और सेवा और भजन करने वाले को मान-सम्मान बहुत मिलता है लेकिन वह उसको परछाई समझते हैं। जो समझे प्रभुता परछाई, प्रभुता पाई काही मद नाही। उनको अंहकार नहीं होता है। नहीं तो करा कर सब गया, जब आया अंहकार। अहंकार खत्म करा देता है।

जो गुरु के भरोसे रहते हैं गुरु उनकी इज्जत रखते हैं

जो गुरु के ही भरोसे रहते हैं, मालिक के ही भरोसे रहते हैं, गुरु उनकी इज्जत रखता है, वह प्रभु उनकी इज्जत रखता है। इज्जत खत्म नहीं होने देता है। जो कहता है, मैं करता हूं, मेरे करने से होगा, मैं अपने दिमाग से, बुद्धि से, बल से, दिमाग से, ताकत से ही आगे बढ़ जाऊं, वह आगे नहीं बढ़ पाता है।

जो गुरु को मनुष्य मानता है वह महादु:खी हो जाता है

जो गुरु को मानुष जानते ते नर कहिये अंध, महा दुखी संसार में आगे यम के फंद। गुरु मनुष्य रूप में नहीं होते हैं। और जो उनको मनुष्य मानता है वह महादुखी हो जाता है। क्योंकि गुरु को मनुष्य समझ करके बात को मानता नहीं है और भ्रम और भूल की इस दुनिया में फंसा रह जाता है, उससे निकल नहीं पाता है। जैसा गुरु बताते हैं, कर नहीं पाता है तो इंद्रियों के सुख के लिए गलत से गलत काम नभ्या जिभ्या से, इंद्रियों से कर डालता है तो यमराज के फंदे में आखिर में वह आ जाता है। गुरु तो अंधे होते नहीं क्योंकि गुरु एक पावर होती है। 

मनुष्य शरीर का नाम तो गुरु होता नहीं है। और गुरु पद पर इनका स्थान होता है। रहते वो इसी मनुष्य शरीर में है, काम भी इसी मनुष्य शरीर में करते हैं। जगह-जगह जाकर लोगों को बताते समझाते हैं। तमाम भूले-भटके लोगों को, बिगड़े हुए लोगों को बताते, समझाते, अच्छा बनाते हैं। लेकिन उनकी आत्मा की डोर गुरु पद से हमेशा जुड़ी रहती है। जो समरथ गुरु होते हैं जिन जीवों को पकड़ते हैं फिर उनको छोड़ते नहीं है, उनको तो पार करते ही हैं। चाहे एक जन्म लगे चाहे दो, तीन या चार जनम लगे, पार करते ही हैं। वो खुद चले जाते हैं तो दूसरे को चार्ज दे देते हैं। वो संस्कार को जगा देते हैं और जीव गुरु की दया लेकर के, नाम दान लेकर के पार हुआ करता है।

बिना दवा के बीमारियां ठीक हो जाती है

महाराज जी ने 4 दिसंबर 2022 सायं बावल रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि सुबह का टहलना आदमी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सुबह सूरज निकलने से पहले अगर आदमी दो-तीन-चार किलोमीटर घूम कर के आ जाए तो यह शुगर ब्लड प्रेशर घुटने का दर्द गैस आदि बिना दवा के अपने आप निकल जाते हैं। (शाकाहारी प्रचार हेतु) प्रभात फेरी जब सुबह निकालने के लिए लोगों को कहा गया और जब लोगों ने प्रभात फेरी निकालना शुरू किए तो बताने लगे घुटने का दर्द, चक्कर आना, गैस, पेट से संबंधित अन्य तकलीफ थी, घूमने चलने में सब खत्म हो गया। कहते हैं एक पंथ दो काज। दोनों काम हुआ। शाकाहारी का प्रचार भी हो गया और टहलना भी हो गया ।

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