हम सबको मानते हैं लेकिन अंधविश्वास में नहीं फंसते हैं : बाबा उमाकान्त जी महाराज

सहज मिले सो दूध सम, मांगे मिले सो पानी, कहत कबीर वा रक्त सम जामे खींचातानी

जो ज्यादा याद करता है वह ज्यादा दया लेता है

सूरत (गुजरात)। सब जीवों को अपना मानने वाले, सबसे समान प्रेम करने वाले, जिन्हें याद करने पर भरपूर दया करने वाले, धरती पर जीवात्माओं की रक्षा के लिए सबके पिता सतपुरुष द्वारा भेजे गए पूरे समरथ सन्त सतगुरु मुर्शिद-ए-कामिल, स्पिरिचुअल मास्टर, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 सितम्बर 2021 सांय  मुम्बई में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि हरि का भजे सो हर का होए। जो प्रभु का भजन करता है, हर किसी का होता है। जाती पाती पूछे नहीं कोई। लेकिन अगर मैं यह कह दूं कि हमारे यहां कोई जाति-पाती नहीं है, तुम कुछ मत मानो तो अभी कुछ लोग उल्टा प्रचार करना शुरू कर देंगे कि अरे बाबा तो जाति धर्म छुड़ा रहे हैं, अरे बाबा तो देवी-देवता को नहीं मान रहे, मंदिर मस्जिद किसी को नहीं मानते। अरे हम सबको मानते, जानते हैं, उस हिसाब से मानते हैं, अंधविश्वास में नहीं फंसते हैं। जो चीज दिखाई पड़ती है, समझ में आती है उसको कैसे मान लें कि आप अज्ञान होकर के जो कहते हो वो सही है। हम मानते सबको हैं।

हम तो बच गए साहिब दया से

महाराज जी ने 3 अक्टूबर 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि अच्छे-अच्छे लोग मन के चक्कर में आ गए। दो मिनट भी नहीं लगा, गिर गए पाराशर ऋषि। विश्वमित्र की हजारों वर्षों की तपस्या खत्म हो गई। नेमी ऋषि के नाक में नकेल डाल कर अप्सरा ने इन्द्र के सामने खड़ा कर दिया। हम तो बच गए साहिब दया से। अगर गुरु को बराबर याद करते रहोगे तो, साहिब किसको कहा कबीर साहब ने? उस मालिक को, जो सबका सिरजनहार है, जिसको सिख धर्म के आये सन्तों ने अकाल पुरुष कहा, अकाल तख़्त का मालिक कहा। तो कहा की उसकी दया से हम बच गए। उसको आप बाहरी आंखों से नहीं देख सकते हो लेकिन उसने जिसको भेजा जो सन्त रूप में आए, उस मालिक का भेद बताए, उनसे मिलने का तरीका बताये, जिनको सतगुरु मुर्शिद ए कामिल, स्पिरिचुअल मास्टर कहा गया, उनको बराबर याद करते रहना चाहिए। मनुष्य शरीर में जब वह है तो आप बराबर कैसे उनको याद करोगे? इसलिए आंख बंद कर के अंतर में उनके रूप को याद करना चाहिए तो वह मददगार हो जाएंगे, मन ढीला पड़ जायेगा।

सहज मिले तो दूध सम, मांगे मिले सो पान

महाराज जी ने 23 सितंबर 2021 सायं सूरत (गुजरात) में बताया कि सहज मिले सो दूध सम, मांगे मिले सो पान, कहे कबीर वा रक्त सम जामे खिंचा तान। कहते हैं सहज में मिली चीज दूध के समान, मांगने से मिले तो वह पानी की तरह और खींचातानी से, जोर जबरदस्ती से, तकलीफ देकर के लो, लाओ तो वही चीज खून की तरह हो जाती है।

जो ज्यादा याद करता है, वह ज्यादा दया लेता है

महाराज जी ने 18 सितंबर 2021 दोपहर सूरत (गुजरात) में बताया कि ज्यादा दया जो लेता है उसके अंदर ज्यादा दया रहती है। जो परमात्मा को बराबर याद करता रहता है, कौन याद करता रहता है? जिनको वक्त के महापुरुष, सन्त महात्मा कहा गया, वह बराबर याद करते रहते हैं तो उनके ऊपर ज्यादा दया होती है। आपको बच्चों, गृहस्थी, रिश्तेदारों, दुकान, दफ्तर, खेती आदि काम को भी देखना है तो हर वक्त तो आप याद नहीं कर सकते हो। यह जरूर है, जैसे पहले नियम था कि घर से निकलो तो प्रभु को याद कर लो, दुकान पर पहुंचो तो ताला खोलने से पहले प्रणाम करो, नाम ले लो, अंदर जाओ काम शुरू करो तो प्रणाम करो। खेत की बुवाई के लिए लोग भगवान का नाम लेकर निकलते थे। खेत की जुताई में, फसल तैयार करने में, हर जगह नाम लिया करते थे। तो इतना तो कर लेते थे पहले भी। इतना तो आप भी कर सकते हो। बराबर गृहस्थी को चलाने में नहीं याद कर सकते हो लेकिन जिन्होंने गृहस्थी को त्याग दिया वह तो 24 घंटे याद कर सकते हैं। तो जब याद करेंगे तो दया हो जाएगी। हिंदी में लिखते हैं या-द और उधर से पढ़ो तो द-या। कहते हैं DOG डॉग यानी कुत्ता और पलट के पढ़ो तो GOD गॉड यानी परमात्मा।

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