पूरा विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है, जरा सी क्रोध की चिंगारी कब, कहां तबाही मचा देगी, कुछ कहा नहीं जा सकता

गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा, फेर लोगे नजर तो वो फंस जायेगा

उज्जैन (म.प्र.)। इस समय पर घर-परिवार से लेकर देश-दुनिया के सभी लोग दुखी व परेशान नजर आते हैं। घर-घर में बीमारी, टेंशन, झगड़ा-झंझट ने आदमी का सुख-चैन छीन लिया है। कितना भी कमाते हैं, पूरा नहीं पड़ता। क्रोध का भूत हर समय आदमी के सिर पर सवार मालूम पड़ता है। ऐसे हालात में आदमी ठीक से फैसला भी नहीं कर पाता कि उसके लिए कौन सा रास्ता सुखदाई होगा।

पूरा विश्व बारूद के ढेर पर है खड़ा

दुनिया में नजर डालें तो पता चलता है कि पूरा विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। जरा सी क्रोध की चिंगारी कब, कहां तबाही मचा देगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। सब तरफ युद्ध के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। जिसको देख, समझ कर बेचैनी बढ़ रही है।

आज के खराब समय में जीवों की संभाल करने वाले के लक्षण

इतिहास बताता है कि जब भी ऐसा समय आया है तो उस प्रभु ने अपने जीवों की रक्षा व संभाल के लिए अपनी कोई न कोई शक्ति, अवतार या सन्त रूप में इस धरती पर अवश्य भेजी है। आज के इस कलियुग के खराब समय में जीवों को लोक व परलोक का सुख व शांति, समय का ऐसा महात्मा दिला सकता है जो स्वयं त्यागमय जीवन बिताते हुए सतमार्ग पर चलकर दूसरों के दुःख दूर करने के लिए अपने सुखों की परवाह नहीं करता हो, उसके दर पर कैसा भी दुखिया आ जाए वो खाली हाथ न जाता हो।

समर्थ सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज दुखहर्ता के रूप में इस धरती पर मौजूद हैं

सौभाग्य से आज ऐसे ही समय के सच्चे समर्थ सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज दुखहर्ता के रूप में इस धरती पर मौजूद हैं जो जीवन में हर तरह के दुखों से बाहर निकलने का रास्ता दिखाते हैं। बाबा जी बताते हैं कि मनुष्य शरीर भगवान का बनाया हुआ सच्चा हरि मंदिर है, इसे मांस, शराब जैसी गन्दी चीजों को डालकर गन्दा नहीं करना चाहिए। जो बुराइयां, पीछे किये बुरे कर्म इंसान को दुःख दे रहे हैं उनके प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है, सतसंग में बाबा जी सबको इसका सरल उपाय बताते हैं। इसी मनुष्य मंदिर में बैठकर सच्चे गुरु के बताए अनुसार भजन करने पर जीते जी स्वर्ग-बैकुंठ, ऊपर के लोकों और अपने निज घर जाने का सरल रास्ता भी बाबाजी अपने सतसंग में बिना किसी भेद-भाव के सबको बताते हैं।

बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी एवं जीवहितकारी वचन

सच्चे सन्त के दर्शन, सतसंग और आशीर्वाद से नहीं बनने वाला काम भी बन जाता है। विवेकशील बुद्धिजीवियों को भारत के आध्यात्मवाद की गरिमा जगाते रहना चाहिए। महात्माओं के यहाँ हर जाति-धर्म के लोग लाभ पा सकते हैं। समर्थ गुरु की दया लेने वाले का जन्म मरण छूट जाता है। धन, बल, प्रतिष्ठा का अहंकार पतन का रास्ता दिखा देता है। मनुष्य शरीर प्रभु प्राप्ति के लिए मिला है, यह हमेशा याद रखो ! याद रखो ! मान-सम्मान, कुर्सी मिल जाने पर सेवा भाव खत्म हो सकता है माता-पिता, बूढ़े, बुजुर्गों, आधिकारी, कर्मचारी सबका सम्मान करो। नामदान बड़े भाग्य से मिलता है, यह हैवान से इंसान, इंसान से भगवान और भगवान से परमात्मा बना देता है, नामदान से काल का प्रकोप कम हो जाता है। 

जीव हत्या करके पैसा कमाने वाला कोई भी देश कभी भी तरक्की नहीं कर सकता है। अब ऐसा समय आ गया है कि आप सब लोग शाकाहारी, चरित्रवान, नशे से मुक्त, देशप्रेमी, धर्मप्रेमी बनकर कुदरती कहर का मुकाबला करो, नहीं तो अस्तित्व ही मिट जाएगा। गांजा, भांग, अफीम, चरस, कोकीन व शराब जैसा नशा करने वाला मनुष्य दीन और दुनिया का सुख प्राप्त नहीं कर सकता। आगे ऐसी परिस्थिति पैदा हो जाएगी कि लोग मांस, मछली, अंडा और नशे की चीजों को छोड़ने के लिए मजबूर हो जायेगें। किसी भी जाति, धर्म व धार्मिक पुस्तक की निंदा अपमान मत करो, सब के दिल में प्यार मोहब्बत का जज्बा पैदा करो। ध्यान दें ! बच्चे और बच्चियों में नशे की आदत व चरित्र का गिरना भारत जैसे धार्मिक देश के लिए खतरनाक होगा। मेहनत - इमानदारी की कमाई करो।

दिल दुखाकर लाया हुआ, बिना मेहनत का पैसा फलता-फूलता नहीं बल्कि तकलीफ देता है। गरीबी-अमीरी कर्मों की देन है। लक्ष्मी (रुपया) अच्छे-बुरे कर्मों से बढ़-घट जाती हैं। आजमाइश करके देख लो, जयगुरुदेव नाम प्रभु का ही है। जब मुसीबत में आदमी, देवी-देवता, फरिश्ते मददगार नहीं होंगे तब यह जयगुरुदेव नाम शाकाहारी, चरित्रवान, नशामुक्त लोगों के लिए मददगार होगा। जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव " नाम की ध्वनि रोज एक घंटा लगातार बोलने से तकलीफों में आराम मिलने लगता है।

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