बड़े-बड़े देश के लोगों ने अपने ही विनाश खत्म होने का बना रखा है हथियार - सन्त बाबा उमाकान्त

कुदरत के बनाये नियम पर नहीं चलोगे तो सजा देगी

उज्जैन इशारों में गहरी बात बता देने वाले, आगामी भारी नुकसान से सबको चेताने वाले, सबके हितैषी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 अक्टूबर 2023 प्रातः उज्जैन (मध्य प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो, पेट भरने पर कुत्ता और नहीं खाता। लेकिन आदमी का पेट भरा हो, कोई बढ़िया चीज आ गई तो ये नहीं देखता है कि पेट भरा है, ये नही सोचता कि खाएंगे तो नुकसान हो जाएगा और खाता दबाता चला जाता है। लेकिन कुत्ता सयंम और नियम का पालन करता है। कोई भी चीज पड़ी हो पहले सूँघेगा, जब भूख लगेगी, तभी खाएगा। जब उसको यह लगेगा कि भूख लगने पर हमको खोजना पड़ेगा, दरवाजे-दरवाजे पर जाना पड़ेगा, डांट खानी पड़ेगी तो उस खाने की चीज को उठा करके कहीं दूसरी जगह रख देगा, लेकिन खायेगा तभी जब भूख लगेगी। लेकिन आदमी को संतोष नहीं है। जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वह करता, देता खिलाता वह है, उस पर विश्वास नहीं करता। अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सबके दाता राम।

कुदरत के बनाये नियम पर नहीं चलोगे तो सजा देगी

देने वाला तो वह प्रभु है। लेकिन उस पर से आदमी को विश्वास हट गया। सोच लेता है कि खा ले, कल मिले या न मिले। बुद्धि ऐसी हो गई। जानवर नियम का पालन करते हैं। भूख लगे तब खाओ। कुत्तें 12 महीने में केवल कुंवार के महीने में पगलाते हैं, इधर-उधर घूमते हैं। और आदमी को देखो, हमेशा पागलपन सवार है। कुदरत प्रकृति के नियम का पालन जानवर करते हैं, आदमी नहीं करता। जब कुदरत के नियम का पालन नहीं करोगे तो कुदरत सजा देगी। वो तो सजा देने के लिए तैयार है। इंसान इस वक्त बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है, कभी भी आग लग जाए, खत्म हो जाए।

मारने काटने की प्रवृत्ति कैसे बनती है

बड़े-बड़े देश के लोगों ने अपने ही विनाश, खत्म होने का हथियार बना रखा है। अब यह नहीं मालूम है कि इसी गोला-बारूद के ढेर में अगर आग लग जाए तो हम ही खत्म हो जाए लेकिन मारने-काटने की प्रवृत्ति बढ़ती चली जा रही। यह भावना कैसे बनती है? इसी (दूषित) खान-पान की वजह से। अब कुत्ता बिल्ली शेर को हाथ जोड़कर के कहो कि शाकाहारी हो जाओ, तुम भगत बन जाओ तो भगत बनेगा? उसका तो काम ही यही है। जब उस जानवर का मांस खाया तो बुद्धि उसी तरह की हो गई। समझाने की जरूरत है की भाई इन चीजों को छोड़ो, मानव काया को साफ-सुथरा रक्खो जिससे प्रभु के बैठने का स्थान बन जाए, जिससे देवी-देवताओं की झलक, प्रकाश, रेंज आने की, उनके आने की संभावना बन जाए, इसलिए बराबर प्रचार की जरूरत है।

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