आज भी गरीबों के खिलाफ जाति और धर्म के आधार पर जुल्म हो रहा है - अर्जुन लाल
विशेष संवाददाता
लखनऊ। शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जयंती के अवसर पर लखनऊ के UP प्रेस क्लब में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के स्टैंडिंग कमेटी मेंबर व सीतापुर के जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल ने कहा कि आज भी जाति व धर्म के आधार पर शासक गरीबों व मेहनतकशों के ऊपर जुल्म ढा रहे हैं व भेदभाव कर रहे है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह के सपनो का भारत नहीं बन पाया, क्योकि की उनके मूल्यों व आदर्शों की विरोधी ताकते सत्ता पर काबिज है।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए इमरान राजा ने लखनऊ की अकबर नगर बस्ती के ध्वस्त किए जाने की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आज मेहनतकशों को न्याय दिलाने के लिए भगत सिंह की स्पिरिट को जगाना होगा और लड़ाई के मैदान में उतरना होगा। उन्होंने उजाड़े गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा चलाए जा रहें आंदोलन के बारे में बताया और कहा कि इंसाफ मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा। अकबर नगर से विस्थापित बुशरा जी ने उजाड़े गए लोगों के जीवन की बदहाली के बारे बताते हुए कहा कि हालात ये हो गए हैं कि लोगों के परिवार बिखर रहे हैं क्योंकि एक कमरे के छोटे से घर में पूरे परिवार का रह पाना संभव नहीं है।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार दया शंकर राय ने कहा कि जब तक समाज में जुल्म व गैरबराबरी है, तब तक भगत सिंह के विचार को जिंदा रखना होगा और आने वाली पीढ़ी को उनके विचारों से परिचित कराना होगा। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिकता को भगत सिंह सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे और उस समय पत्रकारिता में व्याप्त साम्प्रदायिक जहर के खिलाफ उन्होंने उस समय कीर्ति में लेख लिखा था। भगत सिंह का मानना था कि गोरे अंग्रेजों को हटा कर काले अंग्रेजों के सत्ता में आ जाने से जनता को सच्ची आज़ादी मिलने वाले नहीं है।
गोष्ठी को इंसाफ मंच के सचिव ओमप्रकाश राज ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता इंसाफ मंच के उपाध्यक्ष राजेश अम्बेडकर ने किया। गोष्ठी का संचालन करते हुए ऐपवा की मीना सिंह ने कहा कि भगत सिंह के प्रिय मूल्यों धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद के खिलाफ आज जो साजिश हो रही है, उसे शिकस्त देकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती हैं। गोष्ठी में उपस्थित अन्य प्रमुख लोग थे आरबी सिंह, रोज मुहम्मद, तस्वीर नकवी, ए एन सिंह, रितेश, सुमन, अंजू आदि प्रमुख लोग उपस्थित थे।
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