SCIENCE NEWS : 21 दिसंबर 2020 को बृहस्पति-शनि होंगे बेहद करीब, यह घटना होगा 397 साल बाद

  • 1623 में दिखे थे इतने करीब कई रहस्यों का हुआ खुलासा
  • दोनों ग्रह फिर 15 मार्च 2080 को नजदीक आएंगे नजर
  • दोनों ग्रहों के बीच भौतिक दूरी है 73.5 करोड़ किमी.
  • आभासी दूरी रह जाएगा मात्र 0.06 डिग्री

आज हम सौर मंडल के सबसे ग्रह बृहस्पति और शनि की बात करने जा रहे हैं। आपको बता दें कि यह दोनों ग्रह 21 दिसंबर, 2020 को एक दूसरे के बेहद करीब से होकर गुजरेंगे। इस संयोग से इस साल सबसे छोटे दिन देखने को मिलेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दुर्लभ खगोलीय घटना में दोनों ग्रहों के बीच की आभासी दूरी मात्र 0.06 डिग्री रह जाएगी। 

आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल के खगोल विज्ञानी डॉ. शशि भूषण पांडेय ने कहा कि आसमान में बृहस्पति व शनि को इन दिनों हम नग्न आंखों से भी देख सकते हैं। अब यह दोनों ग्रह रोमांचक संयोग बनाने जा रहे हैं, जिसमें बृहस्पति व शनि अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हुए एक-दूसरे को छूते हुए नजर आएंगे।


चांदी के समान चमकीले रंग के छल्लों में लिपटा शनि ग्रह के साथ उसके उपग्रह टाइटन व रेया भी दिखाई देंगे। साथ ही बृहस्पति के चार चांद यानी उपग्रह गायनामिडए, कैलेस्टोए, आइओ और यूरोपा भी इस दौरान साथ में नजर आएंगे। सबसे मुख्य बात तो यह है कि इस घटना में दोनों ग्रहों बृहस्पति और शनि के साथ-साथ उनके उपग्रहों के बीच की दूरी भी एक डिग्री के अंतराल में रह जाएगी।

इस घटना को पृथ्वी से देखने पर इनके बीच की यह आभाषीय दूरी होगी। लेकिन वास्तविकता में बृहस्पति और शनि के बीच नजदीक आने के बाद भी औसत दूरी करीब 65.5 करोड़ किमी होती है।  जबकि जब ये दोनों ग्रह सबसे ज्यादा दूर होते हैं तो इनमें अधिकतम दूरी औसतन 2.21 अरब किमी होती है। 

21 सितंबर, 2020 को दोनों ग्रहों के बीच आपसी दूरी 1.5 लाख से 2.5 करोड़ किमी होगी। इस दुर्लभ खगोलीय घटना में दोनों ग्रहों के उपग्रहों को सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता है, इसके लिए दूरबीन की मदद लेनी होगी। इस घटना के बाद करीब 376 साल बाद ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के इतने ही करीब पहुंचेंगे। हालांकि हर 20 साल में यह दोनों एक-दूसरे के करीब पहुंचते हैं।

महान विज्ञानी गैलीलिओ गैलीली ने टेलीस्कोप बनाने के बाद 1623 में बृहस्पति और शनि को इतने करीब देखा था। टेलीस्कोप की सुविधा उपलब्ध हो जाने से ग्रह नक्षत्रों समेत ब्रह्मांड के कई रहस्यमय व भ्रामक तथ्यों की सत्यता का पता चला था। 

इस बार यह खगोलीय घटना साल के सबसे छोटे दिन होने जा रही है। भोपाल की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि दो बड़े ग्रहों के पास दिखने की यह खगोलीय घटना ग्रेट कंजक्शन कहलाती है। पूर्णिमा का चंद्रमा जितना बड़ा दिखता है, उसके पांचवें भाग के बराबर इन दोनों ग्रहों के बीच की दूरी रह जाएगी। सारिका ने बताया कि गैलीलियो द्वारा उसका पहला दूरबीन / टेलिस्कोप बनाये जाने के 14 साल बाद 1623 में यह दोनों ग्रह इतने करीब आये थे, उसके बाद इतना नजदीकी कंजक्शन अब 21 दिसम्बर 2020 को दिखने जा रहा है। 

आने वाले समय में इतना सामीप्य लगभग 60 साल बाद 15 मार्च 2080 को होने वाले कंजक्शन में देखा जा सकेगा। कंजंक्शन का मतलब होता है आच्छादन। इस तरह की घटनाएं सौर मंडल में अक्सर होती रहती हैं, लेकिन दो बड़े ग्रहों के बेहद नजदीक आने की घटना सदियों बाद ही हुआ करती हैं, इस कारण इसे ग्रेट कंजंक्शन नाम दिया गया है।


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