तबरेज आलम, संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम, प्रदेश का सबसे बड़ा निगम है और लगभग 55,000 (संविदा हटाकर) कार्मिकों के साथ प्रदेश की जनता की सेवा में लगा रहता है। तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक एवं वर्तमान प्रबन्ध निदेशक के द्वारा विगत कई माह से निगम की एवं कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण हेतु आधिकारिक बैठक नही की। जिससे निगम और निगम के कर्मचारियों की समस्याओं का अंबार लग गया है।
अगर संगठन आंदोलन किए जाने की बात करता है तो महामारी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि महामारी में काम न होने की वजह से कर्मचारियों का शोषण चरम सीमा पर पहुँच गया है। आज प्रबन्ध निदेशक के लिए कर्मचारियों की समस्याओं का एक वृहद मांग पत्र सौंपा गया है। अगर समस्याओं का निस्तारण वार्ता से नही किया जाता है तो फिर आंदोलन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता है। जो इस प्रकार है-
- राष्ट्रीय क्रत मार्गो पर निजी वाहनों को परमिट दिए जाने के प्रस्ताव का निगम कठोर तरीके से विरोध करे क्योंकि ऐसा होने से निगम के अस्तित्व पर एवं कर्मचारियों के भविष्य पर खतरा पैदा हो जाएगा।
- घोर महामारी में निगम के अल्प वेतन भोगी संविदा के चालकों, परिचालकों का शोषण चरम सीमा पर है, वेतन में 50% लोड फैक्टर की बाध्यता खत्म की जाए।
- प्रति वर्ष 10% की वेतन में बढ़ोतरी के अनुसार संविदा कर्मचारियों को 2.35 प्रति किलो मीटर की दर से भुगतान किया जाए यह बढ़ोतरी 17000,14000 फिक्स वेतन पर भी हो के साथ एन.सी.आर क्षेत्र के कर्मचारियों की भी हो।
- नियमित कर्मचारियों के वेतन में 13% महंगाई भत्ते जो बकाया है तत्काल जोड़ा जाए।
- परिवहन निगम में पिछले दो साल से कोई नई बस नही खरीदी गई है तत्काल 4000 बसे परिवहन निगम के बेढ़े में जोड़ी जाए।
- कलपुर्जो के अभाव में बस बेढ़ा प्रभावित हो रहा है कलपुर्जों की कमी को दूर किया जाए।
- कर्मचारियों की नियमित भर्ती की जाए क्योंकि शासन के नार्म्स से बहुत कम नियमित कर्मचारी है तत्काल 10000 नियमित कर्मचारियों की भर्ती की जाए जिसमे संविदा कर्मचारियों और आऊट सोर्सिंग के कर्मचारियों को वरीयता दी जाए।
- डग्गामार संचालन को बंद कराया जाए साथ ही शासन के आदेश के अनुसार बस स्टैंड से 1 किलो मीटर की दूरी से पहले कोई अनाधिकृत वाहन संचालित ना हो।
- क्षेत्रों के प्रशासनिक कार्यालय के कार्यालय सहायक के रूप में कार्यरत कर्मचारियों को पूर्व की भांति पदोन्नति का चैनल खोला जाए ताकि इनकी योग्यता का लाभ निगम को मिल सके।
- निलंबन एवम संविदा समाप्ति से पूर्व जांच कराई जाए।
- संविदा चालक/परिचालकों को सम्पूर्ण सेवा अवधि में एक अवसर उनके गृह जनपद के निकटतम क्षेत्र/डिपोज़ में स्थानांतरण किया जाए।
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