करवीर व्रत : सूर्य पूजा से होगा सभी दुखों का नाश


  • सूर्य की पूजा एवं साधना का पर्व है करवीर व्रत

राजेश शास्त्री,
संवाददाता 

इस वर्ष आज यानी 11 जून को करवीर व्रत किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल प्रतिपदा के दिन करवीर व्रत संपन्न होता है और सूर्य की पूजा की जाती है। हिन्दु धर्म में सूर्य देव को आत्मा का स्वरुप माना गया है। वह साक्षात प्रकृति के पालक माने जाते हैं। जिनकी अपार शक्ति, गति और ऊर्जा संसार का हर व्यक्ति को सकारात्मक फल देता है। सूर्य देव वनस्पति की जीवन शक्ति हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूर्य देव समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाले हैं। सूर्य का पूजन करने व सूर्य को जल देने के लिए नदी, जलाशय में खड़े होकर हाथों की अंजली बना कर अथवा पात्र में भर कर जल से अर्घ्य दिया देना चाहिए। करवीर व्रत अत्यंत ही उत्तम व्रतों की श्रेणी में आता है।

सूर्य की शक्ति पाने का अवसर

करवीर व्रत एक प्रकार से जीवन में शक्ति और प्रकाश के साथ हमारे जीवन को जोड़ने का पर्व भी है। इस दिन सूर्य के देव के नामों का स्मरण करना चाहिये। कलश में गुड़ अथवा गेहूं भर कर दान करना अत्यंत शुभ प्रभावदायक होता है। सूर्य देव का पूजन करने से हमे सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। करवीर व्रत का प्रभाव तुरंत फल देने वाला होता है। वेदों में सूर्य की उपासना के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन प्राप्त होता है। वेदो में सूर्य की स्तुति के अनेक सूक्त प्राप्त होते हैं। ऋगवेद में मौजूद इन स्तुति से सूर्य देव की महिमा का वर्णन स्पष्ट होता है -

आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ॥
तिस्रो द्यावः सवितुर्द्वा उपस्थाँ एका यमस्य भुवने विराषाट्।
आणिं न रथ्यममृताधि तस्थुरिह ब्रवीतु य उ तच्चिकेतत् ॥

सूर्य देव की पूजा को ऋगवेद में बताया गया है। सूर्य का एक नाम करवीर भी है। ऎसे में जीवन में कर्म का सिद्धांत भी इस दिन से मिलता है। सूर्य देव का पूजन अत्यंत ही सरल और प्रभावशाली भी होता है। सूर्य के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। सूर्य इस लोक में अपनी किरणों से जीव का संचार करता है। शारीरिक व मानसिक सभी कष्टों का निवारक भी बनता है। वनस्पतियों एवं जीवों के जीवन का मुख्य आधार होता है। ऐसे में शास्त्रों में सूर्य की उपासना का उल्लेख बहुत ही विस्तार रुप से प्राप्त होता है। करवीर व्रत के दिन सूर्य की पूजा के लिए सबसे जरुरी बात यह है की सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिये। उसके बाद स्नान नियमित कार्यों से उक्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिये। सूर्य नमस्कार करना चाहिये। सूर्य को तांबे के लोटे में जल से अर्घ्य देना चाहिये। जल देने से सूर्य की जो किरणें हमारे ऊपर पड़ती हैं वह हमारे शरीर के सभी रोगों को दूर करने में सहायक बनती हैं। सूर्य को जल चढ़ाने में लाल चंदन, चावल, लाल पुष्प डाल कर इस जल को अर्पित करना चाहिये। इस दिन मीठी वस्तुओं का ही सेवन किया जाना उत्तम होता है। गुड़ एवं लाल रंग के वस्त्र का दान करना चाहिये।

करवीर व्रत से संबंधित अन्य पौराणिक मान्यताएं

करवीर व्रत के संदर्भ में कुछ अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं। इन में से कुछ का संबंध देवी शक्ति से जोड़ा गया है। यह कथा इस प्रकार है की कौलासुर नाम का एक दैत्य था। उसकी शक्ति बहुत अधिक बढ़ गयी थी उसने हर तरफ अत्याचार फैला रखा था। अपनी शक्ति को और भी बढ़ाने के लिए उसने कठोर तपस्या की थी और उसे संपूर्ण विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता ह। लेकिन इसके साथ ही उसने वरदान प्राप्त किया कि वह केवल स्त्री द्वारा ही मारा जा सके। अपने वरदान के प्राप्ति के पश्चात उसने तीनों लोकों में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास आरंभ किया। ऎसे में देवों एवं समस्त लोकों की सुरक्षा हेतु विष्णु स्वयं महालक्ष्मी रूप में प्रकट होते हैं और सिंह पर आरूढ़ होकर उस राक्षस को युद्ध में परास्त किया। कोलासुर ने अपनी मृत्यु से पूर्व श्री शक्ति देवी से वर याचना की कि उस क्षेत्र को उसका नाम प्राप्त हो और देवी वहीं स्थित हों। ऎसे में देवी ने वर दिया और स्वयं भी वहीं पर स्थित हो जाती हैं। कोलासुर का वध करने के पश्चात देवी को कोलासुरा मर्दिनी के नाम से भी पुकारा जाता है।

करवीर पूजा में कनेर वृक्ष का पूजन

करवीर पूजन में कनेर के वृक्ष का पूजन करने का भी विधान बताया गया है। कनेर वृक्ष के पुष्प को भगवान शिव के पूजन में भी मुख्य रुप से उपयोग किया जाता है। कनेर वृक्ष का पूजन करने के लिए प्रातकाल स्नान इत्यादि से निवृत होकर कनेर वृक्ष का पूजन करना चाहिये। कनेर के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिये। वृक्ष को लाल रंग के धागे से बांधा जाता है। लाल रंग का वस्त्र अर्पित किया जाता है। कनेर के समीप घी का दीपक जलाना चाहिये और धूप, पुष्प इत्यादि से पूजा करनी चाहिये। कनेर वृक्ष के पुष्पों को भगवान शिव पर भी चढ़ाना चाहिये। यदि संभव हो सके तो आज के दिन कनेर वृक्ष को लगाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

करवीर पूजा महात्म्य

करवीर नाम को सूर्य और श्री लक्ष्मी देवी शक्ति के साथ संबंधित माना गया है। पद्मपुराण, देवी पुराण इत्यादि में इस शब्द का संबंध देखने को मिलता है। इस दिन किया गया भक्ति साधना एवं दान इत्यादि का कार्य बहुत ही शुभ फलदायक होता है। करवीर पूजा में वृक्ष पूजा का भी विशेष महत्व दिया गया है।

करवीर व्रत की महत्ता के विषय में बताया गया है की इस व्रत को देवी सावित्री, दमयंती और सत्यभामा ने भी किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें जीवन में संकटों की समाप्ति होती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

करवीर व्रत के पूजा उपासनअ एवं व्रत का पालन किया जाता है। इस दिन सूर्य पूजन, कनेर वृक्ष पूजन एवं लक्ष्मी पूजन करने के उपरांत ब्राह्मणों को सामर्थ्य अनुसार भोजन एवं दक्षिणा प्रदान करनी चाहिये। इस व्रत को करने से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है, संतान सुख प्राप्त होता है और जीवन में किसी भी प्रकार का रोग परेशान नहीं करता है, आरोग्य की प्राप्ति होती है।

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