HISTORY : लक्ष्मीबाई ने राखी भेज नवाब बांदा से मांगी थी मदद

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

बांदा। बुंदेलखंड में रक्षाबंधन का पर्व सांप्रदायिक सौहार्द का पैगाम देते हुए हिंदू मुस्लिम के बीच के बीच रिश्तों की याद ताजा कराता है। जंग-ए-आजादी में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने नवाब बांदा को राखी भेजकर मदद मांगी थी। राखी के साथ लक्ष्मीबाई ने नवाब को यह पाती भी भेजी थी, कि हमारी राय है कै विदेसियों का सासन भारत पर न ओ चाहिए। अंगरेजन से लडवौ बहुत जरूरी है। बात 1849 की है। बांदा में नवाब अली बहादुर सानी द्वितीय का शासन था। नवाब और अंग्रेजी फौज में जंग छिड गयी। यह लडाई एक हफ्ते तक चली। नवाब की विजय हुयी। यानी स्वतंत्रता संग्राम में भारत में सबसे पहले बांदा को आजादी मिली। उधर रानी लक्ष्मीबाई ने भी अंग्रेजों से मोर्चा खोल लिया। अंग्रेजी फौज ने झांसी के किले को चारों तरफ से घेर लिया। झांसी जाने वाले रास्ते बंद कर दिये गये। अंग्रेजी फौज मंदिरों की आड लेकर किले पर बमबारी कर रही थी। 

नवाब बांदा

उधर रानी लक्ष्मीबाई के तोपची गुलाम गौस अपनी तोप कडक बिजली से जवाबी हमला करते हुए अंग्रेजों के छक्के छुडा रहा था। इसी बीच रानी लक्ष्मीबाई ने अपने एक सिपाहसलार के हाथ बांदा नवाब अली बहादुर को राखी भेजी। इस राखी के साथ रानी ने एक पत्र भी भेजा। इसमें लिखा कि बहन की लाज खतरे में है। अंग्रेजों झांसी घेर लिया है। मेरी मदद करो। इस पत्र में रानी लक्ष्मीबाई ने यह भी कहा कि हमारी राय है कि कै विदेसियों का सासन भारत पर न ओ चाहिए। अंगरेजन से लडवौ बहुत जरूरी है।

लक्ष्मीबाई द्वारा नवाब बांदा को भेजा गया पत्र


नवाब बांदा ने राखी का पूरा सम्मान किया। नवाब अपने दस हजार जवानों की फौज को लेकर जंगलों के रास्ते झांसी की ओर रवाना हो गये। नवाब ने लक्ष्मीबाई को झांसी में अंग्रेजों से घिरा देख अंग्रेजी फौज पर हमला कर दिया। तमाम अंग्रेज फौजी मारे गये। झांसी की रानी ने बानपुर के राजा अरिमर्दन सिंह को भी मदद के लिए ऐसा ही पत्र भेजा था। अरिमर्दन सिंह ने भी नवाब की फौज में शामिल होकर मुंह बोली बहन लक्ष्मीबाई की मदद की थी। आज भी इसकी मिसाल बांदा में देखने को मिलती है। रक्षाबंधन पर्व पर हर वर्ष बडी तादाद में हिंदू बहनें अपने मुंह बोले मुस्लिम भाईयों को राखी बांधती या भेजती है। मुंह बोले यह भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते है।

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