मेहनत और ईमानदारी की कमाई की रोटी खाने से घर में सुख-शांति रहती है : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • गुरु नानक जी के दृष्टांत से समझाया मेहनत, ईमानदारी के और लूटमार, दिल दु:खाकर, जुए से लाये धन में अंतर

इंदौर (मध्य प्रदेश)। जीवों को जन्म-मरण और नर्कों, चौरासी की असहनीय यातनाओं से छुटकारा दिलाने वाले अनामी प्रभु के अवतार, अनमोल दौलत नामदान देने के इस समय पर एक मात्र अधिकारी, इस धरती पर मौजूद प्रकट सन्त सतगुरु पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने देपालपुर इंदौर में 10 जनवरी 2022 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम पर प्रसारित सन्देश में बताया कि आप उस मालिक पर विश्वास करो जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वह करता है, देता वह है, खिलाता वह है और उसी को आप भूल जाते हो। सोचते हो मैं नहीं करूंगा तो नहीं होगा। दिन-रात दौड़ते रहते हो लेकिन मिलता उतना ही है जितना प्रारब्ध में है।

जब मारकर, लूटकर, छीनकर, दिल दु:खाकर, जुआ में जीतकर लक्ष्मी को लाते हो तो वो रुकती नहीं खिसक जाती हैं

दूसरी आप कमाने का तरीका नहीं जानते हो। बगैर मेहनत का जब आदमी को मिल जाता है तो बस उसी तरफ जाता है। किसमें छीन कर, थप्पड़ मार कर, लूटकर, धोखा देकर ले आया तो मन खुश हो गया और उसी में लग जाता है। सही तरीके से कमाना नहीं जानता है।

लक्ष्मी किसको कहते हैं

जब रुपया मिलता है तो बहुत से लोग इज्जत के साथ माथे पर लगाते हो। है तो कागज का नोट ही जब तक चलता है, जब नहीं चलेगा तो कोई कीमत नहीं रह जाएगी। तो उसको आप लक्ष्मी समझते हो और आराम से जेब में रखते हो। लक्ष्मी कब खुश होती हैं? जब मेहनत-ईमानदारी की कमाई करके इनको लाते हैं। और जब इधर-उधर से मारकर, लूट करके, जुआ में जीत करके ले आते हैं तो चली जाती हैं, रुकती नहीं है।

मेहनत और ईमानदारी की कमाई की रोटी खाने से घर में सुख-शांति रहती है

मोटी बात समझो, मेहनत, ईमानदारी की कमाई में बरकत होती है। उसमें कुछ बचत दिखाई पड़ती है। घर में सुख शांति रहती है। टेंशन घर में नहीं रहता है। लूटमार कर लाने वाला हमेशा परेशान रहता है। इसलिए मेहनत, ईमानदारी की कमाई आदमी को करना चाहिए। उसका जो भोजन होता है वह दूध की तरह से होता है। लूटमार कर, दिल दु:खाकर लाने गए धन का भोजन खून की तरह से होता है। इसका ज्ञान आप लोगों को नहीं है, महात्माओं को, सन्तों को होता है।

राजा और किसान के दृष्टांत से समझाया दोनों में अंतर

नानक साहब कलयुग के दूसरे संत थे। उनके भक्तों में एक राजा और एक किसान था। राजा ने कहा भोजन के लिए मेरे यहां चलिए। यही इच्छा किसान की भी इच्छा थी। किसान मेहनत की कमाई करता था, पसीना बहाता था। और राजा के यहां कैसा बनता था? प्रजा का कर ले कर के। राजा तो कोई मेहनत करता नहीं था। बहुत आग्रह करने पर, और लोगों ने भी कहा तो राजा के यहां गए। उन्होंने कहा कि किसान से कि जा तू भी रोटी बनाकर के ले आ। किसान गया सूखी रोटी और साग बना करके ले आया और राजा के यहां 36 प्रकार के व्यंजन आये लेकिन खाया उन्होंने  किसान का सूखी रोटी साग। राजा दु:खी हो गया पूछ बैठा हमारा क्यों नहीं खाए। तो कुछ नहीं बोले। किसान की रोटी उठाया और दबाया उसको उसमें से दूध निकला और राजा का पुआ पकोड़ा मिठाई को दबाया तो उसमें से खून निकला। तो समझो मेहनत, ईमानदारी का धन दूध की तरह और दिल दु:खाकर लाया हुआ धन खून की तरह से, खून पाइन जैसा होता है। इसलिए बात बताई जाती है कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई करो।

सन्त उमाकान्त जी के वचन:

  • कलयुग जाएगा तो कलयुगी जीवों को घसीटते हुए ले जाएगा।
  • गुरु आपके हर अच्छे बुरे कर्मों को देखता है।
  • बिना अनुभव किए शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
  • भक्ति तो निष्काम सेवा से दृढ़ होती है।
  • भक्ति के अनुसार ही कामना पूरी होती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ