प्रतिकात्मक चित्र |
- भूँख से बेजुबान हो रहे मौत के शिकार
- बरसंडा खुर्द मे गोशाला के गोवंश पर भारी पडा रहा भ्रष्टाचार
- सचिवालय के पीछे बनी गौशाला में मरी पड़ी गायों को नोच नोच कर खाते नजर आए कुत्ते
- प्रधान और सचिव की लापरवाही देखने को मिली
- ठंड से बचने के लिए नहीं है कोई व्यवस्था तड़प तड़प कर मर रहे जानवर
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ |
बाँदा। प्रदेश में भाजपा के सत्तारूढ़ होते ही मुख्यमंत्री योगी ने गोवंश के संरक्षण के लिए बडे पैमाने पर अबैध बूचड़खाने और गोकशी पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर कडे कानून की व्यवस्था के साथ गायों के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर गोशालाओं का निर्माण और चारे भूसे के साथ गौपालकों को प्रतिमाह प्रति गाय के पालन करते हुए धन देकर गोवंश संरक्षण को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। लेकिन उसके परिणाम आशाओं के उलट गायो की स्थिति दिनोंदिन भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही से आकाल मौत से मृत्यु को प्राप्त हो रही हैं अभी कुछ दिनों महुआ खंड विकास के अंतर्गत आने वाले बरसंडा बुजर्ग में गोवंश के साथ किए गए अमानवीय कृत्य ने जिले से लेकर राजधानी तक गोवंश प्रेमियों को गहरा आघात देते हुए बिचारणीय योजना पर सुधार कर सोचने के लिए मजबूर कर दिया।अभी सैकड़ों गायों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का मामला थमा नहीं था।
ताजा मामला महुआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत बरसंडा खुर्द का है मीडिया द्वारा ग्राम पँचायत का बरसंडा खुर्द दौरा किया गया जिसमे अस्थायी रूप से बनी गौशाला मे बहुत ही अनियमितता पाई गयी गौशाला मे न तो भूसा चारा था मौके पर पडी अल्प मात्रा में पडी सूखी सडी पराली को आधे पेट खाकर इस हाँडकपाऊ ठंड में बिना किसी ऊपाय के खुले आसमान के नीचे जिन्दगी जीने की जिद्द मे मौत की जंग लड रही हैं। मरी हुई गायों को कुत्ते नोच नोच कर खा रहे हैं गौवँशो के देखरेख के लिए ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा कागज मे लगभग आधा दर्जन कर्मचारी नियुक्त किये गये है लेकिन मौके पर दो कर्मचारी ही मौजूद मिले जिनको मात्र प्रतिदिन के हिसाब से सौ रूपये दिये जाते है। ऐसी कडकडाती ठँड मे बेजुबान गौवँश खुले आसमान के नीचे बँधक बनाकर अस्थायी गौशाला मे रखे गये है। बेजुबानो के साथ हो रहे अत्याचार का जिम्मेदार किसे ठहराया जाए।
क्योंकि सभी लोगों ने अपनी जेबों को भरने के लिए इन गोवंश के मुह का निवाला और मिलने वाली सरकारी मदद को कागजों मे ही आल इज वेल दिखाकर बंदरबांट की सीमाओं को भी लांघ दिया है। यहां तक कि मरने वाले जानवरो को जमीन मे दफनाया भी नही जाता तथा खुले आसमान के नीचे फेककर कुत्तों के नोचकर खाने के लिए फेक दिया जाता हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गौशाला मे भूसा मौजूद नही रहता है तथा भूँख एवँ ठँडक से गौवँशो की मृत्यु हो रही है मौके पर मौजूद ग्रामीण रोहित सुनील आदि लोग मौजूद रहे। जब पूरे मामले की जानकारी सचिव शशि प्रकाश से ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि अगर गाय मरी हैं तो इसमें मैं क्या करूं उनको सुबह दफना दिया जाएगा।
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